"धूमकेतु" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | [[चित्र: | + | [[चित्र:comets.jpg|thumb|300px|धूमकेतु <br />Comet]] |
*[[सौरमण्डल]] के छोर पर बहुत ही छोटे–छोटे अरबों पिण्ड विद्यमान हैं, जो धूमकेतु या [[पुच्छल तारा]] कहलाते हैं। | *[[सौरमण्डल]] के छोर पर बहुत ही छोटे–छोटे अरबों पिण्ड विद्यमान हैं, जो धूमकेतु या [[पुच्छल तारा]] कहलाते हैं। | ||
*यह [[गैस]] एवं धूल का संग्रह हैं, जो आकाश में लम्बी चमकदार पूँछ सहित प्रकाश के चमकीले गोले के रूप में दिखाई देते हैं। | *यह [[गैस]] एवं धूल का संग्रह हैं, जो आकाश में लम्बी चमकदार पूँछ सहित प्रकाश के चमकीले गोले के रूप में दिखाई देते हैं। |
23:31, 15 जनवरी 2011 का अवतरण
- सौरमण्डल के छोर पर बहुत ही छोटे–छोटे अरबों पिण्ड विद्यमान हैं, जो धूमकेतु या पुच्छल तारा कहलाते हैं।
- यह गैस एवं धूल का संग्रह हैं, जो आकाश में लम्बी चमकदार पूँछ सहित प्रकाश के चमकीले गोले के रूप में दिखाई देते हैं।
- धूमकेतु केवल तभी दिखाई पड़ता है, जब वह सूर्य की ओर अग्रसर होता है, क्योंकि सूर्य कि किरणें इसकी गैस को चमकीला बना देती हैं।
- धूमकेतु की पूँछ हमेशा सूर्य से दूर होती प्रतीत होती है।
- हैले नामक धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष है, यह अन्तिम बार 1986 में दिखाई दिया था। अगली बार यह 1986+76=2062 में दिखाई देगा।
- धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं, फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता है।
|
|
|
|
|