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*[[अमृतसर]] [[पंजाब]] राज्य का सबसे महत्त्वपूर्ण और पवित्र शहर है। अमृतसर के पर्यटन स्थलों में अकाल तख्त का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है।  
 
*[[अमृतसर]] [[पंजाब]] राज्य का सबसे महत्त्वपूर्ण और पवित्र शहर है। अमृतसर के पर्यटन स्थलों में अकाल तख्त का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है।  
 
*अकाल तख्त, [[स्वर्ण मंदिर]] एवं पवित्र सरोवर विशाल परिसर के मध्य स्थित है, जिसका मुख्य प्रवेशद्वार उत्तर दिशा में है। इस द्वार पर एक क्लॉक टॉवर बना है। मंदिर में प्रवेश करते समय सिर पर पगड़ी या कोई कपड़ा या टोपी अवश्य होनी चाहिए। अंदर सरोवर के आसपास संगमरमर का बना परिक्रमा पथ है।  
 
*अकाल तख्त, [[स्वर्ण मंदिर]] एवं पवित्र सरोवर विशाल परिसर के मध्य स्थित है, जिसका मुख्य प्रवेशद्वार उत्तर दिशा में है। इस द्वार पर एक क्लॉक टॉवर बना है। मंदिर में प्रवेश करते समय सिर पर पगड़ी या कोई कपड़ा या टोपी अवश्य होनी चाहिए। अंदर सरोवर के आसपास संगमरमर का बना परिक्रमा पथ है।  
*मंदिर परिसर में दिनभर गुरुवाणी की कर्णप्रिय गूंज सुनाई देती रहती है। परिसर में और भी अनेक महत्त्वपूर्ण भवन एवं छोटे [[गुरुद्वारे अमृतसर|गुरुद्वारे]] हैं। इनमें सबसे प्रमुख अकाल तख्त है। [[हरिमंदिर साहिब]] के सामने स्थित यह सफेद भवन सामाजिक नीतियों तथा धार्मिक विषयों का सर्वोच्च आसन है।  
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*मंदिर परिसर में दिनभर गुरुवाणी की कर्णप्रिय गूंज सुनाई देती रहती है। परिसर में और भी अनेक महत्त्वपूर्ण भवन एवं छोटे [[गुरुद्वारे अमृतसर|गुरुद्वारे]] हैं। इनमें सबसे प्रमुख अकाल तख्त है। [[हरिमंदिर साहिब]] के सामने स्थित यह सफ़ेद भवन सामाजिक नीतियों तथा धार्मिक विषयों का सर्वोच्च आसन है।  
 
*अकाल तख्त से जारी प्रत्येक आज्ञा हर सिक्ख के लिए अनुकरणीय होती है। अकाल तख्त की स्थापना छठे गुरु गुरु हरगोविंद सिंह जी ने की थी। भवन में गुरुओं के पुराने अस्त्र-शस्त्र, भेंट में प्राप्त मूल्यवान वस्तुएं तथा आभूषण आदि भी रखे हैं।  
 
*अकाल तख्त से जारी प्रत्येक आज्ञा हर सिक्ख के लिए अनुकरणीय होती है। अकाल तख्त की स्थापना छठे गुरु गुरु हरगोविंद सिंह जी ने की थी। भवन में गुरुओं के पुराने अस्त्र-शस्त्र, भेंट में प्राप्त मूल्यवान वस्तुएं तथा आभूषण आदि भी रखे हैं।  
 
*यहीं कोठा साहिब नामक वह स्थान भी है, जहां गुरुग्रंथ साहिब को रात्रि के समय सुखासन के लिए लाया जाता है।  
 
*यहीं कोठा साहिब नामक वह स्थान भी है, जहां गुरुग्रंथ साहिब को रात्रि के समय सुखासन के लिए लाया जाता है।  

14:11, 12 फ़रवरी 2011 का अवतरण

  • अमृतसर पंजाब राज्य का सबसे महत्त्वपूर्ण और पवित्र शहर है। अमृतसर के पर्यटन स्थलों में अकाल तख्त का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है।
  • अकाल तख्त, स्वर्ण मंदिर एवं पवित्र सरोवर विशाल परिसर के मध्य स्थित है, जिसका मुख्य प्रवेशद्वार उत्तर दिशा में है। इस द्वार पर एक क्लॉक टॉवर बना है। मंदिर में प्रवेश करते समय सिर पर पगड़ी या कोई कपड़ा या टोपी अवश्य होनी चाहिए। अंदर सरोवर के आसपास संगमरमर का बना परिक्रमा पथ है।
  • मंदिर परिसर में दिनभर गुरुवाणी की कर्णप्रिय गूंज सुनाई देती रहती है। परिसर में और भी अनेक महत्त्वपूर्ण भवन एवं छोटे गुरुद्वारे हैं। इनमें सबसे प्रमुख अकाल तख्त है। हरिमंदिर साहिब के सामने स्थित यह सफ़ेद भवन सामाजिक नीतियों तथा धार्मिक विषयों का सर्वोच्च आसन है।
  • अकाल तख्त से जारी प्रत्येक आज्ञा हर सिक्ख के लिए अनुकरणीय होती है। अकाल तख्त की स्थापना छठे गुरु गुरु हरगोविंद सिंह जी ने की थी। भवन में गुरुओं के पुराने अस्त्र-शस्त्र, भेंट में प्राप्त मूल्यवान वस्तुएं तथा आभूषण आदि भी रखे हैं।
  • यहीं कोठा साहिब नामक वह स्थान भी है, जहां गुरुग्रंथ साहिब को रात्रि के समय सुखासन के लिए लाया जाता है।
  • प्रात:काल तीन बजे यहीं से गुरुग्रंथ साहिब की सवारी उसी सम्मान से हरिमंदिर साहिब ले जाई जाती है। अकाल तख्त के सामने दो निशान साहिब भी स्थापित हैं।
  • अकाल तख्त के गुंबद पर भी सुनहरी चमक मौजूद है।

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