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राजनेता और जनसाधारण, दोनों ही आज़ादी के आन्दोलनों में बराबर के भागीदार थे। नन्ही इन्दिरा के दिल पर इन सभी घटनाओं का अमिट प्रभाव पड़ा और 13 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने 'वानर सेना' का गठन कर अपने इरादों को स्पष्ट कर दिया।
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13:22, 31 मई 2010 का अवतरण

इंदिरा गाँधी- भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री

जन्म-1917, मृत्यु-1984

इंदिरा गाँधी
Indira-Gandhi.jpg
पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी
अन्य नाम इन्दु
जन्म 19 नवम्बर, 1917
जन्म भूमि इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 31 अक्टूबर, 1984
मृत्यु स्थान दिल्ली, भारत
मृत्यु कारण हत्या
पति/पत्नी फ़िरोज़ गाँधी
संतान राजीव गाँधी और संजय गाँधी
स्मारक शक्ति स्थल, दिल्ली
प्रसिद्धि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की विजय
पार्टी काँग्रेस
पद भारत की तृतीय प्रधानमंत्री
कार्य काल 19 जनवरी 1966-24 मार्च 1977, 14 जनवरी 1980-31 अक्टूबर 1984
विद्यालय विश्वभारती विश्वविद्यालय बंगाल, इंग्लैंड की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी, शांति निकेतन
भाषा हिन्दी, अग्रेज़ी
पुरस्कार-उपाधि भारत रत्न सम्मान

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इन्दिरा गांधी ने न केवल भारतीय राजनीति को नये आयाम दिये बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी वे एक युग बनकर छाई रहीं। राष्ट्रप्रेम, राष्ट्र की अखण्डता, राजनीति और लोक कल्याण, आदि उन्हें अपने दादा पं मोतीलाल नेहरू और पिता पं जवाहर लाल नेहरू से विरासत में मिले थे। उन दिनों भारत ब्रिटिश दासता के चंगुल से मुक्त होने के लिए छटपटा रहा था।

जीवन परिचय

एशिया की इस लौह-महिला का जन्म 19 नवम्बर, 1917 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के एक सम्पन्न परिवार में हुआ। इनका पूरा नाम है- 'इन्दिरा प्रियदर्शनी गांधी'। वे राष्ट्रनायक तथा भारत के प्रथम पंधानमंत्री पं0 जवाहर नेहरू की इकलौती सन्तान थीं। 1942 में उनका विवाह फिरोज़ गांधी से हुआ। उनके दो पुत्र हुए- राजीव गाँधी और संजय गाँधी। राजीव गांधी भी भारत के प्रधानमंत्री रहे हैं।

वानर सेना का गठन

राजनेता और जनसाधारण, दोनों ही आज़ादी के आन्दोलनों में बराबर के भागीदार थे। नन्ही इन्दिरा के दिल पर इन सभी घटनाओं का अमिट प्रभाव पड़ा और 13 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने 'वानर सेना' का गठन कर अपने इरादों को स्पष्ट कर दिया।

प्रथम महिला प्रधानमंत्री

  • भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद श्रीमती इन्दिरा गांधी भारत की तृतीय और प्रथम महिला प्रधानमंत्री निर्वाचित हुई।
  • 1971 में पुनः भारी बहुमत से वे प्रधामंत्री बनी और 1977 तक निरन्तर इस गौरवशाली पद पर रहते हुए उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक नयी शक्ति के रूप में स्थापित किया।

उपलब्धियाँ

करोड़ों लोगों की प्रिय प्रधानमंत्री का जीवन-इतिहास उपलब्धियों से भरा पड़ा है। जिनमें प्रमुख हैं—

  1. बैंकों का राष्ट्रीयकरण,
  2. निर्धन लोगों के उत्थान के लिए आयोजित 20 सूत्रीय कार्यक्रम,
  3. गुट निरपेक्ष आन्दोलन की अध्यक्षा, इत्यादि।
  • 1980 में वे विपक्षी दलों को करारी पराजय देकन पुनः प्रधानमंत्री चुनी गईं।

निधन

31 अक्टूबर, 1984 की मनहूस सुबह को उन्हीं के अंगरक्षकों ने गोलियों से उन्हें शहादत की बलिवेदी पर चढ़ा दिया।

सम्बंधित लिंक


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