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*उल्काएँ [[क्षुद्र ग्रह|ग्रहों]] के टुकड़े तथा [[धूमकेतु|धूमकेतुओं]] के द्वारा पीछे छोड़े गए धूल और गैस के पिंड होते हैं जो पृथ्वी के निकट से गुजरने पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से आकर्षित होकर गतिमान हो जाते है ओर स्वयं चमकने लगते है। | *उल्काएँ [[क्षुद्र ग्रह|ग्रहों]] के टुकड़े तथा [[धूमकेतु|धूमकेतुओं]] के द्वारा पीछे छोड़े गए धूल और गैस के पिंड होते हैं जो पृथ्वी के निकट से गुजरने पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से आकर्षित होकर गतिमान हो जाते है ओर स्वयं चमकने लगते है। | ||
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11:40, 10 जनवरी 2011 का अवतरण
- उल्काएँ प्रकाश की चमकीली धारी के रूप में दिखती हैं, जो आकाश में क्षणभर के लिए चमकती हैं और लुप्त हो जाती हैं।
- उल्काएँ ग्रहों के टुकड़े तथा धूमकेतुओं के द्वारा पीछे छोड़े गए धूल और गैस के पिंड होते हैं जो पृथ्वी के निकट से गुजरने पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से आकर्षित होकर गतिमान हो जाते है ओर स्वयं चमकने लगते है।
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