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'''कुमारीगिरि''' [[उदयगिरि उड़ीसा|उदयगिरि]], [[उड़ीसा]] का एक भाग है, जिसका उल्लेख [[कलिंग]] नरेश [[खारवेल]] के प्रसिद्ध [[अभिलेख]] में है। इस स्थान को 'कुमारी पर्वत' के नाम से भी जानते हैं। कुमारी नदी सम्भवत: इसी स्थान से निकलती है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=204|url=}}</ref>
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'''कुमारीगिरि''', [[उदयगिरि उड़ीसा|उदयगिरि]], [[उड़ीसा]] का एक भाग है, जिसका उल्लेख [[कलिंग]] नरेश [[खारवेल]] के प्रसिद्ध [[अभिलेख]] में है। इस स्थान को 'कुमारी पर्वत' के नाम से भी जानते हैं। कुमारी नदी सम्भवत: इसी स्थान से निकलती है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=204|url=}}</ref>
  
 
*खारवेल ने अपने शासन के 13वें वर्ष में इस स्थान पर, जो अर्हतों के निवास स्थान के निकट था, कुछ स्तंभों का निर्माण करवाया था।
 
*खारवेल ने अपने शासन के 13वें वर्ष में इस स्थान पर, जो अर्हतों के निवास स्थान के निकट था, कुछ स्तंभों का निर्माण करवाया था।

09:29, 25 जुलाई 2012 का अवतरण

कुमारीगिरि, उदयगिरि, उड़ीसा का एक भाग है, जिसका उल्लेख कलिंग नरेश खारवेल के प्रसिद्ध अभिलेख में है। इस स्थान को 'कुमारी पर्वत' के नाम से भी जानते हैं। कुमारी नदी सम्भवत: इसी स्थान से निकलती है।[1]

  • खारवेल ने अपने शासन के 13वें वर्ष में इस स्थान पर, जो अर्हतों के निवास स्थान के निकट था, कुछ स्तंभों का निर्माण करवाया था।
  • कुमारीगिरि भुवनेश्वर से 7 मील पश्चिम में स्थित है।
  • जैनों के प्रचीन तीर्थ स्थल के रूप में कुमारीगिरी प्रसिद्ध है।
  • यह माना जाता है कि तीर्थंकर महावीर कुछ दिन यहाँ रहे थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 204 |

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