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कोच्चि शहर, भूतपूर्व कोचीन, [[अरब सागर]] पर प्रमुख बंदरगाह, पश्चिम-मध्य [[केरल]] राज्य, दक्षिण-पश्चिम [[भारत]] में स्थित है। पूर्व में एक रियासत राज्य का नाम भी 'कोचीन' था, जो आजकल कभी-कभी एर्णाकुलम, मत्तनचेरी, फ़ोर्ट कोचीन, विलिंग्डन द्वीप, आइपिन द्वीप और गुंडू द्वीप को मिलाकर बनने वाले द्वीपों और कस्बों के समूह के लिए भी प्रयुक्त होता है। शहरी संकेद्रण में [[त्रिक्कारा]], [[एलूरू]], [[कलमस्सेरी]] और [[त्रिप्पुनिधुरा]] के इलाके शामिल हैं।
 
कोच्चि शहर, भूतपूर्व कोचीन, [[अरब सागर]] पर प्रमुख बंदरगाह, पश्चिम-मध्य [[केरल]] राज्य, दक्षिण-पश्चिम [[भारत]] में स्थित है। पूर्व में एक रियासत राज्य का नाम भी 'कोचीन' था, जो आजकल कभी-कभी एर्णाकुलम, मत्तनचेरी, फ़ोर्ट कोचीन, विलिंग्डन द्वीप, आइपिन द्वीप और गुंडू द्वीप को मिलाकर बनने वाले द्वीपों और कस्बों के समूह के लिए भी प्रयुक्त होता है। शहरी संकेद्रण में [[त्रिक्कारा]], [[एलूरू]], [[कलमस्सेरी]] और [[त्रिप्पुनिधुरा]] के इलाके शामिल हैं।
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
कोचीन मछुआरों का एक महत्त्वहीन सा गाँव था, बाद में अरब सागर के पश्चजल और घाटों से उतरने वाली जलधाराओं ने गाँव को मुख्यभूमि से अलग कर दिया, जिससे यह भूमिबद्ध बंदरगाह भारत के दक्षिण-पश्चिम तट के सर्वाधिक सुरक्षित बंदरगाहों में से एक बन गया। इस बंदरगाह को एक नया सामरिक महत्त्व मिला और यहाँ वाणिज्यिक समृद्धि आई, जब 15वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में पुर्तग़ालियों ने [[हिन्द महासागर]] में प्रवेश किया और भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर पहुँचकर 1500 ई. में पुर्तग़ाली नाविक [[पेड्रो अल्वारेस कैब्रल]] ने भारतीय भूमि पर पहली यूरोपीय बस्ती की स्थापना कोचीन में की, भारत क समुद्री मार्ग को खोजने वाले [[वास्कोडिगामा]] ने 1502 ई. में पहली पुर्तग़ाली फैक्ट्री (व्यापार केंद्र) की स्थापना की और पुर्तग़ाली वाइसरॉय अल्फांसो दे अल्बुक़र्क़ ने वहाँ सन् 1503 ई. में पहला पुर्तग़ाली क़िला बनवाया। सन् 1663 ई. में डचों द्वारा जीते जाने तक यह शहर पुर्तग़ाली स्वामित्व में रहा। शहर में अब भी बहुत सा पुर्तग़ाली स्थापत्य विद्यमान है।
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कोचीन मछुआरों का एक महत्त्वहीन सा गाँव था, बाद में अरब सागर के पश्चजल और घाटों से उतरने वाली जलधाराओं ने गाँव को मुख्यभूमि से अलग कर दिया, जिससे यह भूमिबद्ध बंदरगाह भारत के दक्षिण-पश्चिम तट के सर्वाधिक सुरक्षित बंदरगाहों में से एक बन गया। इस बंदरगाह को एक नया सामरिक महत्त्व मिला और यहाँ वाणिज्यिक समृद्धि आई, जब 15वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में पुर्तग़ालियों ने [[हिन्द महासागर]] में प्रवेश किया और भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर पहुँचकर 1500 ई. में पुर्तग़ाली नाविक [[पेड्रो अल्वारेस कैब्रल]] ने भारतीय भूमि पर पहली यूरोपीय बस्ती की स्थापना कोचीन में की, भारत क समुद्री मार्ग को खोजने वाले [[वास्कोडिगामा]] ने 1502 ई. में पहली पुर्तग़ाली फैक्ट्री (व्यापार केंद्र) की स्थापना की और पुर्तग़ाली वाइसरॉय [[अलफ़ांसो-द-अल्बुकर्क]] ने वहाँ सन् 1503 ई. में पहला पुर्तग़ाली क़िला बनवाया। सन् 1663 ई. में डचों द्वारा जीते जाने तक यह शहर पुर्तग़ाली स्वामित्व में रहा। शहर में अब भी बहुत सा पुर्तग़ाली स्थापत्य विद्यमान है।
 
[[चित्र:Kochi-Shipyard.jpg|thumb|250px|left||कोच्चि बंदरगाह, कोच्चि<br /> Kochi Shipyard, Kochi]]
 
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कोच्चि [[केरल]] का तटवर्ती शहर है। इसको [[अरब सागर]] की रानी कहा जाता है। केरल का यह शहर औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों का केन्द्र है। कोच्चि में हमें [[पुर्तग़ाल|पुर्तग़ाली]], [[यहूदी]], [[ब्रिटिश]], [[फ्रेंच]], [[डच]] और [[चाइनीज]] संस्कृति का मिला जुला रूप देखने को मिलता है। कोच्चि का इतिहास पुर्तग़ालियों के आगमन से पूर्व स्पष्ट नहीं है। कोच्चि के इतिहास में पुर्तग़ालियों का आना अहम पड़ाव साबित हुआ। इन विदेशियों का स्वागत कोच्चि के राजाओं ने किया क्योंकि उन्हें [[कालीकट]] के जमोरिन की शत्रुता के कारण एक शक्तिशाली सहयोगी की तलाश थी। [[केशव राम वर्मा]] के शासनकाल में यहूदियों ने भी राजकीय संरक्षण प्राप्त किया। ये यहूदी मूल रूप से [[कोदनगलूर]] से व्यापार के उद्देश्य से आए थे। कोच्चि का बंदरगाह 17वीं शताब्दी में डच के अधीन हो गया था। आगे चलकर सन् 1795 ई. में कोच्चि पर अंग्रेज़ों ने अधिकार जमा लिया था जो [[भारत]] के आज़ादी के साथ ही मुक्‍त हुआ।
 
कोच्चि [[केरल]] का तटवर्ती शहर है। इसको [[अरब सागर]] की रानी कहा जाता है। केरल का यह शहर औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों का केन्द्र है। कोच्चि में हमें [[पुर्तग़ाल|पुर्तग़ाली]], [[यहूदी]], [[ब्रिटिश]], [[फ्रेंच]], [[डच]] और [[चाइनीज]] संस्कृति का मिला जुला रूप देखने को मिलता है। कोच्चि का इतिहास पुर्तग़ालियों के आगमन से पूर्व स्पष्ट नहीं है। कोच्चि के इतिहास में पुर्तग़ालियों का आना अहम पड़ाव साबित हुआ। इन विदेशियों का स्वागत कोच्चि के राजाओं ने किया क्योंकि उन्हें [[कालीकट]] के जमोरिन की शत्रुता के कारण एक शक्तिशाली सहयोगी की तलाश थी। [[केशव राम वर्मा]] के शासनकाल में यहूदियों ने भी राजकीय संरक्षण प्राप्त किया। ये यहूदी मूल रूप से [[कोदनगलूर]] से व्यापार के उद्देश्य से आए थे। कोच्चि का बंदरगाह 17वीं शताब्दी में डच के अधीन हो गया था। आगे चलकर सन् 1795 ई. में कोच्चि पर अंग्रेज़ों ने अधिकार जमा लिया था जो [[भारत]] के आज़ादी के साथ ही मुक्‍त हुआ।
  
 
बहुसंख्यक हिन्दू शहर के सभी जातीय और धार्मिक समूह, उसके बहुसंख्यक हिन्दू और मुसलमान, सीरियाई ईसाई और अल्पसंख्यक यहूदी इसकी संपन्नता  के भागीदार थे. सन् 1795 ई. से 1947 ई. में भारत के स्वतंत्र होने तक कोचीन पर अंग्रेज़ों का शासन रहा. 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में निर्जल गोदियों और जहाजों की मरम्म्त की सुविधाओं वाले एक आधुनिक बंदरगाह का निर्माण हुआ और विलिंग्डन द्वीप (फोर्ट कोचीन को एर्णाकुलम और अन्य नगरों से रेल, पुल व सड़क मार्ग से जोडने वाला) का निर्माण प्रशिक्षिण केंद्र बन गया।
 
बहुसंख्यक हिन्दू शहर के सभी जातीय और धार्मिक समूह, उसके बहुसंख्यक हिन्दू और मुसलमान, सीरियाई ईसाई और अल्पसंख्यक यहूदी इसकी संपन्नता  के भागीदार थे. सन् 1795 ई. से 1947 ई. में भारत के स्वतंत्र होने तक कोचीन पर अंग्रेज़ों का शासन रहा. 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में निर्जल गोदियों और जहाजों की मरम्म्त की सुविधाओं वाले एक आधुनिक बंदरगाह का निर्माण हुआ और विलिंग्डन द्वीप (फोर्ट कोचीन को एर्णाकुलम और अन्य नगरों से रेल, पुल व सड़क मार्ग से जोडने वाला) का निर्माण प्रशिक्षिण केंद्र बन गया।
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==व्यापार और उद्योग==
 
==व्यापार और उद्योग==
 
डच शासन (1663-1795) के अंतर्गत कोचीन सर्वाधिक संपन्न रहा। इसके बंदरगाह से मिर्च, इलायची, अन्य मसाले और औषधियाँ, साथ ही नारियल की जटा, नारियल और खोपरा निर्यात किए जाते थे। तट के समानांतर अंत:स्थलीय जलमार्गों का एक तंत्र कोच्चि को सस्ता परिवहन उपलब्ध करवाकर व्यापार को बढ़ावा देता है।
 
डच शासन (1663-1795) के अंतर्गत कोचीन सर्वाधिक संपन्न रहा। इसके बंदरगाह से मिर्च, इलायची, अन्य मसाले और औषधियाँ, साथ ही नारियल की जटा, नारियल और खोपरा निर्यात किए जाते थे। तट के समानांतर अंत:स्थलीय जलमार्गों का एक तंत्र कोच्चि को सस्ता परिवहन उपलब्ध करवाकर व्यापार को बढ़ावा देता है।

11:07, 13 जुलाई 2011 का अवतरण

कोच्चि
Fort-Cochin-Kochi.jpg
विवरण कोच्चि शहर, भूतपूर्व कोचीन, अरब सागर पर प्रमुख बंदरगाह, पश्चिम-मध्य केरल राज्य, दक्षिण-पश्चिम भारत में स्थित है।
राज्य केरल
ज़िला एर्नाकुलम ज़िला
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 9.977°, पूर्व- 76.27°
मार्ग स्थिति बैंगलोर से कोच्चि की दूरी 565 किलोमीटर, कोयंबतुर से 223 किलोमीटर, मैसूर से 470 किलोमीटर, मद्रास से 694 किलोमीटर और गोवा से 848 किलोमीटर है।
कब जाएँ सितंबर से मई
कैसे पहुँचें विमान, रेल, बस, टैक्सी,
हवाई अड्डा कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन एरनाकुलम रेलवे स्टेशन
बस अड्डा कोच्चि बस अड्डा
क्या देखें कोच्चि पर्यटन
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
क्या ख़रीदें मसाले, चाय, कॉफी और स्मारिकाएँ, मुखोटे, पीतल की आकृतियाँ और लकड़ियों से बने श्रृंगार के बक्से
एस.टी.डी. कोड 0484
ए.टी.एम लगभग सभी
Map-icon.gif गूगल मानचित्र, कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
भाषा मलयालम, अंग्रेज़ी, तमिल, हिन्दी
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कोच्चि शहर, भूतपूर्व कोचीन, अरब सागर पर प्रमुख बंदरगाह, पश्चिम-मध्य केरल राज्य, दक्षिण-पश्चिम भारत में स्थित है। पूर्व में एक रियासत राज्य का नाम भी 'कोचीन' था, जो आजकल कभी-कभी एर्णाकुलम, मत्तनचेरी, फ़ोर्ट कोचीन, विलिंग्डन द्वीप, आइपिन द्वीप और गुंडू द्वीप को मिलाकर बनने वाले द्वीपों और कस्बों के समूह के लिए भी प्रयुक्त होता है। शहरी संकेद्रण में त्रिक्कारा, एलूरू, कलमस्सेरी और त्रिप्पुनिधुरा के इलाके शामिल हैं।

इतिहास

कोचीन मछुआरों का एक महत्त्वहीन सा गाँव था, बाद में अरब सागर के पश्चजल और घाटों से उतरने वाली जलधाराओं ने गाँव को मुख्यभूमि से अलग कर दिया, जिससे यह भूमिबद्ध बंदरगाह भारत के दक्षिण-पश्चिम तट के सर्वाधिक सुरक्षित बंदरगाहों में से एक बन गया। इस बंदरगाह को एक नया सामरिक महत्त्व मिला और यहाँ वाणिज्यिक समृद्धि आई, जब 15वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में पुर्तग़ालियों ने हिन्द महासागर में प्रवेश किया और भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर पहुँचकर 1500 ई. में पुर्तग़ाली नाविक पेड्रो अल्वारेस कैब्रल ने भारतीय भूमि पर पहली यूरोपीय बस्ती की स्थापना कोचीन में की, भारत क समुद्री मार्ग को खोजने वाले वास्कोडिगामा ने 1502 ई. में पहली पुर्तग़ाली फैक्ट्री (व्यापार केंद्र) की स्थापना की और पुर्तग़ाली वाइसरॉय अलफ़ांसो-द-अल्बुकर्क ने वहाँ सन् 1503 ई. में पहला पुर्तग़ाली क़िला बनवाया। सन् 1663 ई. में डचों द्वारा जीते जाने तक यह शहर पुर्तग़ाली स्वामित्व में रहा। शहर में अब भी बहुत सा पुर्तग़ाली स्थापत्य विद्यमान है।

कोच्चि बंदरगाह, कोच्चि
Kochi Shipyard, Kochi

कोच्चि केरल का तटवर्ती शहर है। इसको अरब सागर की रानी कहा जाता है। केरल का यह शहर औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों का केन्द्र है। कोच्चि में हमें पुर्तग़ाली, यहूदी, ब्रिटिश, फ्रेंच, डच और चाइनीज संस्कृति का मिला जुला रूप देखने को मिलता है। कोच्चि का इतिहास पुर्तग़ालियों के आगमन से पूर्व स्पष्ट नहीं है। कोच्चि के इतिहास में पुर्तग़ालियों का आना अहम पड़ाव साबित हुआ। इन विदेशियों का स्वागत कोच्चि के राजाओं ने किया क्योंकि उन्हें कालीकट के जमोरिन की शत्रुता के कारण एक शक्तिशाली सहयोगी की तलाश थी। केशव राम वर्मा के शासनकाल में यहूदियों ने भी राजकीय संरक्षण प्राप्त किया। ये यहूदी मूल रूप से कोदनगलूर से व्यापार के उद्देश्य से आए थे। कोच्चि का बंदरगाह 17वीं शताब्दी में डच के अधीन हो गया था। आगे चलकर सन् 1795 ई. में कोच्चि पर अंग्रेज़ों ने अधिकार जमा लिया था जो भारत के आज़ादी के साथ ही मुक्‍त हुआ।

बहुसंख्यक हिन्दू शहर के सभी जातीय और धार्मिक समूह, उसके बहुसंख्यक हिन्दू और मुसलमान, सीरियाई ईसाई और अल्पसंख्यक यहूदी इसकी संपन्नता के भागीदार थे. सन् 1795 ई. से 1947 ई. में भारत के स्वतंत्र होने तक कोचीन पर अंग्रेज़ों का शासन रहा. 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में निर्जल गोदियों और जहाजों की मरम्म्त की सुविधाओं वाले एक आधुनिक बंदरगाह का निर्माण हुआ और विलिंग्डन द्वीप (फोर्ट कोचीन को एर्णाकुलम और अन्य नगरों से रेल, पुल व सड़क मार्ग से जोडने वाला) का निर्माण प्रशिक्षिण केंद्र बन गया।

व्यापार और उद्योग

डच शासन (1663-1795) के अंतर्गत कोचीन सर्वाधिक संपन्न रहा। इसके बंदरगाह से मिर्च, इलायची, अन्य मसाले और औषधियाँ, साथ ही नारियल की जटा, नारियल और खोपरा निर्यात किए जाते थे। तट के समानांतर अंत:स्थलीय जलमार्गों का एक तंत्र कोच्चि को सस्ता परिवहन उपलब्ध करवाकर व्यापार को बढ़ावा देता है।

यातायात और परिवहन

बंदरगाह

गहरे पानी वाला बंदरगाह वर्ष भर, यहाँ तक कि मानसून में भी खुला रहता है और यह एक रेलमार्ग से जुड़ा है, जो इसे एर्णाकुलम से जोड़ता है।

वायुमार्ग

कोचीन का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो भारत के प्रमुख शहरों से सीधा जुड़ा हुआ है। यहाँ एक हवाई अड्डा है, जहाँ से मुंबई, नई दिल्ली, बंगलोर और चेन्नई प्रमुख भारतीय शहरों के लिए उड़ाने हैं।

रेलमार्ग

एरनाकुलम में दो रेलवे स्टेशन हैं। एक उत्तर और दूसरा दक्षिण में है। यहाँ से कोच्चि जाने के लिए बस या टैक्सी की सेवाएँ ली जा सकती हैं। एरनाकुलम भारत के अनेक शहरों से रेलगाड़ियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

कोच्चि सड़क मार्ग से अनेक पर्यटन केन्द्रों और शहरों से जुड़ा हुआ है। बैंगलोर से कोच्चि की दूरी 565 किलोमीटर, कोयंबटूर से 223 किलोमीटर, मैसूर से 470 किलोमीटर, मद्रास से 694 किलोमीटर और गोवा से 848 किलोमीटर है। राज्य परिवहन निगम की बसें कोच्चि के लिए नियमित रूप से चलती हैं।

पर्यटन

नयनाभिराम अनूपों और पश्चजल के बीच बसे कोच्चि में काफ़ी बड़े स्तर पर पर्यटन व्यवसाय होता है। फोर्ट कोचीन में पुर्तग़ालियों द्वारा 1510 में बनाया गया सेंट फ्रांसिस चर्च है, जो भारतीय भूमि पर पहला यूरोपीय गिरजाघर होने के कारण विख्यात है, यहाँ कुछ समय के लिए वास्कोडिगामा को दफ़नाया गया था, बाद में उनके पार्थिव अवशेष पुर्तग़ाल ले जाए गए। अन्य गिरजाघरों के साथ ही यहाँ हिन्दू मंदिर, मस्जिदें और मत्तनचेरी का ऐतिहासिक सिनेगॉग (यहूदी उपासना गृह) विद्यमान हैं, चौथी शताब्दी में बसा कोच्चि का यहूदी समुदाय भारत में सबसे पुराना था, हालांकि हज़ारों सदस्यों में से लगभग सभी 20वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक इजराइल चले गए थे।

जनसंख्या

कोच्चि शहर की जनसंख्या (2001 की गणना के अनुसार) 5,96,473 है।


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