"दुर्गा माता की आरती" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ")
 
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 7 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
[[चित्र:Durga-Devi.jpg|thumb|250|दुर्गा देवी<br />Durga Devi]]
 
[[चित्र:Durga-Devi.jpg|thumb|250|दुर्गा देवी<br />Durga Devi]]
 
'''श्री अम्बाजी की आरती'''<br />
 
'''श्री अम्बाजी की आरती'''<br />
 +
<blockquote><span style="color: blue"><poem>सर्वमंगल मांग्लयै , शिवे सर्वार्थसाधिके |
 +
शरण्ये त्र्यम्िके गौरी , नारायणी नमोऽस्तुते ॥</poem></span></blockquote>
  
 
<blockquote><span style="color: maroon"><poem>जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत
 
<blockquote><span style="color: maroon"><poem>जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत
पंक्ति 12: पंक्ति 14:
  
 
केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी| मैया खड्ग कृपाण धारी
 
केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी| मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी|| जय अम्बे गौरी ॥
+
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दु:ख हारी|| जय अम्बे गौरी ॥
  
 
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती| मैया नासाग्रे मोती
 
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती| मैया नासाग्रे मोती
पंक्ति 27: पंक्ति 29:
  
 
चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों| मैया नृत्य करत भैरों
 
चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों| मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू|| जय अम्बे गौरी ॥
+
बाजत ताल मृदंग और बाजत [[डमरू]]|| जय अम्बे गौरी ॥
  
 
तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता| मैया तुम ही हो भर्ता
 
तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता| मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता|| जय अम्बे गौरी ॥
+
भक्तन की दु:ख हर्ता सुख सम्पति कर्ता|| जय अम्बे गौरी ॥
  
 
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी| मैया वर मुद्रा धारी
 
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी| मैया वर मुद्रा धारी
पंक्ति 40: पंक्ति 42:
 
माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे| मैया जो कोई नर गावे
 
माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे| मैया जो कोई नर गावे
 
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे|| जय अम्बे गौरी ॥</poem></span></blockquote>
 
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे|| जय अम्बे गौरी ॥</poem></span></blockquote>
 +
 +
;देवी वन्दना
 +
<blockquote><span style="color: blue"><poem>
 +
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता  |
 +
नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||
 +
</poem></span></blockquote>
 +
  
 
{{seealso|दुर्गा|दुर्गाष्टमी|दुर्गा चालीसा}}
 
{{seealso|दुर्गा|दुर्गाष्टमी|दुर्गा चालीसा}}
 +
{{प्रचार}}
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{आरती स्तुति स्त्रोत}}
+
{{आरती स्तुति स्तोत्र}}
[[Category:आरती स्तुति स्त्रोत]]
+
[[Category:आरती स्तुति स्तोत्र]]
 
[[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]]
 
[[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

14:03, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

दुर्गा देवी
Durga Devi

श्री अम्बाजी की आरती

सर्वमंगल मांग्लयै , शिवे सर्वार्थसाधिके |
शरण्ये त्र्यम्िके गौरी , नारायणी नमोऽस्तुते ॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।| जय अम्बे गौरी ॥

माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को |मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको|| जय अम्बे गौरी ॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे| मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे|| जय अम्बे गौरी ॥

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी| मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दु:ख हारी|| जय अम्बे गौरी ॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती| मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति|| जय अम्बे गौरी ॥

शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती| मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती|| जय अम्बे गौरी ॥

अन्य सम्बंधित लेख



चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे| मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे|| जय अम्बे गौरी ॥

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी| मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी|| जय अम्बे गौरी ॥

चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों| मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू|| जय अम्बे गौरी ॥

तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता| मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दु:ख हर्ता सुख सम्पति कर्ता|| जय अम्बे गौरी ॥

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी| मैया वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी|| जय अम्बे गौरी ॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती| मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती|| बोलो जय अम्बे गौरी ॥

माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे| मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे|| जय अम्बे गौरी ॥

देवी वन्दना

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||


इन्हें भी देखें: दुर्गा, दुर्गाष्टमी एवं दुर्गा चालीसा

संबंधित लेख