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धर्मशाला नगर पश्चिमी [[हिमाचल प्रदेश]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]], [[हिमालय]] की निचली ढलान पर स्थित है। इस स्थान को काँगड़ा घाटी का प्रवेश रास्ता माना जाता है। इसकी पृष्ठभूमि में बर्फ से ढकी धौलाधार पर्वत श्रृंखला इस स्थान का नैसर्गिक सौंदर्य बढ़ाती हैं। धर्मशाला एक आरोग्यकर प्राकृतिक पर्यटक केंद्र है।  
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काँगड़ा घाटी के इस महत्वपूर्ण शहर में सन 1905 में एक विनाशकारी भूकंप से नष्ट हो गया था। जिसके बाद इसका पुन: निर्माण किया गया और यह स्थान एक सुंदर हेल्थ रिसॉर्ट और पर्यटन का महत्वपूर्ण आकर्षण बन गया। यह शहर दो विभिन्न क्षेत्रों में बंटा हुआ है अपर धर्मशाला और लोअर धर्मशाला। लोअर धर्मशाला व्यवसायिक केंद्र है जबकि अपर धर्मशाला इसके औपनिवेशिक जीवन शैली के लिये जाना जाता है। 1959 में तिब्बत से मजबूरन निर्वासित होने के बाद दलाई लामा ने धर्मशाला को अपना आवास बनाया।  
 
काँगड़ा घाटी के इस महत्वपूर्ण शहर में सन 1905 में एक विनाशकारी भूकंप से नष्ट हो गया था। जिसके बाद इसका पुन: निर्माण किया गया और यह स्थान एक सुंदर हेल्थ रिसॉर्ट और पर्यटन का महत्वपूर्ण आकर्षण बन गया। यह शहर दो विभिन्न क्षेत्रों में बंटा हुआ है अपर धर्मशाला और लोअर धर्मशाला। लोअर धर्मशाला व्यवसायिक केंद्र है जबकि अपर धर्मशाला इसके औपनिवेशिक जीवन शैली के लिये जाना जाता है। 1959 में तिब्बत से मजबूरन निर्वासित होने के बाद दलाई लामा ने धर्मशाला को अपना आवास बनाया।  
 
==उद्योग और व्यापार==
 
==उद्योग और व्यापार==

09:01, 26 अगस्त 2016 का अवतरण

धर्मशाला
धर्मशाला का एक दृश्य
विवरण धर्मशाला नगर पश्चिमी हिमाचल प्रदेश राज्य, पश्चिमोत्तर भारत, हिमालय की निचली ढलान पर स्थित है। इस स्थान को काँगड़ा घाटी का प्रवेश रास्ता माना जाता है।
राज्य हिमाचल प्रदेश
कब जाएँ मार्च से जून माह में
हवाई अड्डा गागल, (कांगड़ा)
रेलवे स्टेशन पठानकोट
क्या देखें ज्वालामुखी मंदिर, ब्रजेश्वरी मंदिर और चामुंडा मंदिर
Map-icon.gif गूगल मानचित्र
अन्य जानकारी ठंड के दौरान यहाँ की जलवायु अत्यधिक ठंडी होती है। तापमान -4 डिग्री सेल्सियस के भी नीचे चला जाता है जिसके कारण रास्ते बंद हो जाते हैं और दृश्यता कम हो जाती है। पर्यटक सितंबर और जून के बीच धर्मशाला की यात्रा कर सकते हैं।

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धर्मशाला नगर पश्चिमी हिमाचल प्रदेश राज्य, पश्चिमोत्तर भारत, हिमालय की निचली ढलान पर स्थित है। इस स्थान को काँगड़ा घाटी का प्रवेश रास्ता माना जाता है। इसकी पृष्ठभूमि में बर्फ से ढकी धौलाधार पर्वत श्रृंखला इस स्थान का नैसर्गिक सौंदर्य बढ़ाती हैं। धर्मशाला एक आरोग्यकर प्राकृतिक पर्यटक केंद्र है। काँगड़ा घाटी के इस महत्वपूर्ण शहर में सन 1905 में एक विनाशकारी भूकंप से नष्ट हो गया था। जिसके बाद इसका पुन: निर्माण किया गया और यह स्थान एक सुंदर हेल्थ रिसॉर्ट और पर्यटन का महत्वपूर्ण आकर्षण बन गया। यह शहर दो विभिन्न क्षेत्रों में बंटा हुआ है अपर धर्मशाला और लोअर धर्मशाला। लोअर धर्मशाला व्यवसायिक केंद्र है जबकि अपर धर्मशाला इसके औपनिवेशिक जीवन शैली के लिये जाना जाता है। 1959 में तिब्बत से मजबूरन निर्वासित होने के बाद दलाई लामा ने धर्मशाला को अपना आवास बनाया।

उद्योग और व्यापार

यहाँ बोतल बंद पेय तैयार किया जाता है। पास में खदानों से स्लेट पत्थर निकाला जाता है। धर्मशाला में स्थित कांगड़ा कला संग्रहालय में इस जगह के कलात्मक और सांस्कृतिक चिन्ह मिलते हैं। 5 वीं शताब्दी की बहुमूल्य कलाकृतियां और मूर्तियाँ , पेंटिंग, सिक्के, बर्तन, आभूषण, मूर्तियां, पांडुलिपियाँ और शाही वस्त्र यहाँ देखे जा सकते हैं। धर्मशाला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त है और इसे ‘भारत का छोटा ल्हासा’ का शीर्षक भी प्राप्त है।

भौगोलिक स्थिति

विशाल तिब्बती बस्तियों के कारण इस जगह को अब ‘लामाओं की भूमि' के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र में मेकलियोदगंज एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बन गया है जहाँ तिब्बती बौद्ध धर्म की शिक्षा और धर्म को बढ़ावा दिया जाता है। धर्मशाला में हिंदू और जैन मंदिरों के साथ साथ अनेक मठ और शिक्षण केंद्र हैं। इस स्थान की यात्रा करने वाले मेकलियोदगंज के बाजार से सुंदर तिब्बती हस्तशिल्प, कपड़े, थांगका (सिल्क पेंटिंग) और हस्तशिल्प आदि स्थानीय यादगार वस्तुएँ खरीद सकते हैं। 2001 की जनगणना के अनुसार धर्मशाला नगर की कुल जनसंख्या 19,034 है।

आकर्षण का केंद्र

इस क्षेत्र में अनेक चर्च, मंदिर, संग्रहालय और मठ हैं। अनेक प्राचीन मंदिर जैसे ज्वालामुखी मंदिर, ब्रजेश्वरी मंदिर और चामुंडा मंदिर बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। धर्मशाला के अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों के अंतर्गत काँगड़ा आर्ट म्यूज़ियम(कला संग्रहालय), सेंट जॉन चर्च और वॉर मेमोरियल (युद्ध स्मारक) शामिल हैं। इसके अलावा कोतवाली बाज़ार इस स्थान का जाना माना शॉपिंग केंद्र (खरीददारी केंद्र) है जो अनेक पर्यटकों को आकर्षित करता है।इसके अतिरिक्त चाय बागान, चीड के जंगल और देवदार के पेड़ इस स्थान के आकर्षण को बढाते हैं।

कैसे पहुँचें

काँगड़ा घाटी में स्थित गग्गल हवाई अड्डा धर्मशाला का निकटतम हवाई अड्डा है जो 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह हवाई अड्डा नई दिल्ली हवाई अड्डे से घरेलू उड़ानों द्वारा जुड़ा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय यात्री दिल्ली से गग्गल के लिये जुड़ी हुई उड़ान ले सकते हैं। धर्मशाला का निकटतम रेलवे स्टेशन काँगड़ा मंदिर है जो 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हालांकि सभी ट्रेन यहाँ नही रुकती क्योंकि यह एक छोटा स्टेशन है। धर्मशाला का निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन पठानकोट है जो 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पठानकोट रेलवे स्टेशन भारत के सभी प्रमुख स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। वे यात्री जो रास्ते द्वारा यात्रा करना चाहते हैं वे धर्मशाला के पास के शहरों से निजी या राज्य परिवहन की बसों का उपयोग कर सकते हैं।

कब जाएँ

धर्मशाला में गर्मी का मौसम मार्च से जून के बीच रहता है। इस दौरान यहाँ का तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से 38 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। इस खुशनुमा मौसम के कारण यह मौसम उन साहसिकों के लिये उपयुक्त है जो ट्रेकिंग पसंद करते हैं। सामान्यतः पर्यटक मानसून के मौसम में धर्मशाला की यात्रा करना पसंद नही करते क्योंकि यहाँ बहुत भारी वर्षा होती है। ठंड के दौरान यहाँ की जलवायु अत्यधिक ठंडी होती है। तापमान -4 डिग्री सेल्सियस के भी नीचे चला जाता है जिसके कारण रास्ते बंद हो जाते हैं और दृश्यता कम हो जाती है। पर्यटक सितंबर और जून के बीच धर्मशाला की यात्रा कर सकते हैं।


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