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'''नौचन्दी मेला''' [[उत्तर प्रदेश]] के प्रसिद्ध मेलों में से एक है। यह मेला [[मेरठ]] में प्रति वर्ष लगता है। यहां का ऐतिहासिक नौचंदी मेला [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] एकता का प्रतीक है। हजरत बाले मियां की दरगाह एवं नवचण्डी देवी (नौचन्दी देवी) का मंदिर एक दूसरे के निकट ही स्थित हैं। मेले के दौरान मंदिर के घण्टों के साथ अजान की आवाज़ एक सांप्रदायिक अध्यात्म की प्रतिध्वनि देती है। यह मेला [[चैत्र]] [[मास]] के नवरात्रि त्यौहार से एक सप्ताह पहले से, लगभग [[होली]] के एक [[सप्ताह]] बाद लगता है और एक [[माह]] तक चलता है।
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'''नौचन्दी मेला''' [[उत्तर प्रदेश]] के प्रसिद्ध मेलों में से एक है। यह मेला [[मेरठ]] में प्रति वर्ष लगता है। यहां का ऐतिहासिक नौचंदी मेला [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] एकता का प्रतीक है। हजरत बाले मियां की दरगाह एवं नवचण्डी देवी (नौचन्दी देवी) का मंदिर एक दूसरे के निकट ही स्थित हैं। मेले के दौरान मंदिर के घण्टों के साथ अजान की आवाज़ एक सांप्रदायिक अध्यात्म की प्रतिध्वनि देती है। यह मेला [[चैत्र]] [[मास]] के नवरात्रि त्यौहार से एक सप्ताह पहले से, लगभग [[होली]] के एक [[सप्ताह]] बाद लगता है और एक [[माह]] तक चलता है।[[चित्र:Nav-Chandi-Mela.jpg|thumb|left|नौचन्दी मेला]]
 
==मेरठ की शान==
 
==मेरठ की शान==
[[अप्रैल]] के महीने में लगने वाला नौचन्दी मेला [[मेरठ]] की शान है। इन दिनों में यह मेला अपने पूरे शबाब पर होता है। यह शहर के अंदर नौचन्दी मैदान में लगता है। हर तरफ से आने जाने के साधन सिटी बसें, टम्पू व रिक्शा उपलब्ध हैं। इसकी एक खासियत और है कि यह रात को लगता है। दिन में तो नौचन्दी मैदान सूना पड़ा रहता है।
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[[अप्रैल]] के महीने में लगने वाला नौचन्दी मेला [[मेरठ]] की शान है। इन दिनों में यह मेला अपने पूरे शबाब पर होता है। यह शहर के अंदर नौचन्दी मैदान में लगता है। हर तरफ से आने जाने के साधन सिटी बसें, टम्पू व रिक्शा उपलब्ध हैं। इसकी एक खासियत और है कि यह रात को लगता है। दिन में तो नौचन्दी मैदान सूना पड़ा रहता है।[[चित्र:NauChandi-Mela.jpg|thumb|left|नौचन्दी मेला]]
 
====नौचन्दी अथवा नव चंडी====
 
====नौचन्दी अथवा नव चंडी====
 
नौचन्दी यानी नव चंडी। इसी नाम से यहाँ एक मंदिर भी है। बगल में ही बाले मियां की मजार है। जहाँ मंदिर में रोजाना भजन-कीर्तन होते हैं वहीं मजार में [[कव्वाली]] व कवि सम्मलेन। इसके अलावा एक बड़े मेले में जो कुछ होना चाहिए वो सब यहाँ है। भरपूर मनोरंजन, खाना-खुराक, भीड़-भाड़, सुरक्षा-व्यवस्था सब कुछ। पहले दूर दूर के गावों से लोग यहाँ आते थे। इन दिनों हर तरफ़ नौचन्दी ही नौचन्दी रहती थी। सभी सपरिवार प्रोग्राम बनाते थे नौचन्दी जाने का। दो साल पहले मैं भी गया था- साइकिल से। अब रात को अपने गाँव में कोई वाहन तो चलता नहीं। लेकिन पिछले कुछ सालों से यह मेला हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिकता की भेंट चढ़ रहा है। हर साल कुछ न कुछ बवाल हो ही जाता है। गाँव वाले तो अब कम ही जाते हैं - माहौल खराब है। फिर भी मेला, मेला है। भारतीयता की पहचान है। एक बात और, इस नाम से एक ट्रेन भी चलती है- नौचन्दी एक्सप्रेस। मेरठ से [[मुरादाबाद]], [[लखनऊ]] के रास्ते [[इलाहाबाद]] तक। मेरठ से सहारनपुर तक लिंक के रूप में चलती है। मेरठ को राजधानी से जोड़ने वाली एकमात्र ट्रेन। तो अगर अगले दस-पंद्रह दिनों में हरिद्वार या आगे जाने का प्रोग्राम हो तो इस मेले को भी देख सकते हैं।<ref>{{cite web |url=http://neerajjaatji.blogspot.in/2009/04/blog-post_25.html |title=मेरठ की शान है नौचन्दी मेला  |accessmonthday=30 जनवरी |accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= मुसाफिर हूँ यारों|language=हिन्दी }}</ref>
 
नौचन्दी यानी नव चंडी। इसी नाम से यहाँ एक मंदिर भी है। बगल में ही बाले मियां की मजार है। जहाँ मंदिर में रोजाना भजन-कीर्तन होते हैं वहीं मजार में [[कव्वाली]] व कवि सम्मलेन। इसके अलावा एक बड़े मेले में जो कुछ होना चाहिए वो सब यहाँ है। भरपूर मनोरंजन, खाना-खुराक, भीड़-भाड़, सुरक्षा-व्यवस्था सब कुछ। पहले दूर दूर के गावों से लोग यहाँ आते थे। इन दिनों हर तरफ़ नौचन्दी ही नौचन्दी रहती थी। सभी सपरिवार प्रोग्राम बनाते थे नौचन्दी जाने का। दो साल पहले मैं भी गया था- साइकिल से। अब रात को अपने गाँव में कोई वाहन तो चलता नहीं। लेकिन पिछले कुछ सालों से यह मेला हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिकता की भेंट चढ़ रहा है। हर साल कुछ न कुछ बवाल हो ही जाता है। गाँव वाले तो अब कम ही जाते हैं - माहौल खराब है। फिर भी मेला, मेला है। भारतीयता की पहचान है। एक बात और, इस नाम से एक ट्रेन भी चलती है- नौचन्दी एक्सप्रेस। मेरठ से [[मुरादाबाद]], [[लखनऊ]] के रास्ते [[इलाहाबाद]] तक। मेरठ से सहारनपुर तक लिंक के रूप में चलती है। मेरठ को राजधानी से जोड़ने वाली एकमात्र ट्रेन। तो अगर अगले दस-पंद्रह दिनों में हरिद्वार या आगे जाने का प्रोग्राम हो तो इस मेले को भी देख सकते हैं।<ref>{{cite web |url=http://neerajjaatji.blogspot.in/2009/04/blog-post_25.html |title=मेरठ की शान है नौचन्दी मेला  |accessmonthday=30 जनवरी |accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= मुसाफिर हूँ यारों|language=हिन्दी }}</ref>
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
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*[http://makhdoommela.in/english/abouthindi.html किछौछा दरगाह का नौचन्दी मेला]
 
*[http://makhdoommela.in/english/abouthindi.html किछौछा दरगाह का नौचन्दी मेला]
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*[http://www.festivalsofindia.in/Nav-Chandi-Fair/Index.aspx Nav Chandi Fair 2014 - March 30 (Sunday)]
 
==संबंधित लेख==
 
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{{उत्सव और मेले}}
 
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09:36, 15 मार्च 2015 का अवतरण

नौचन्दी मेला
नौचन्दी मेला, मेरठ
विवरण यह मेला प्रति वर्ष लगता है और यह ऐतिहासिक हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है।
समय चैत्र मास के नवरात्रि त्यौहार से एक सप्ताह पहले से (अमूमन अप्रैल में), लगभग होली के एक सप्ताह बाद लगता है और एक माह तक चलता है।
स्थान मेरठ, उत्तर प्रदेश
अन्य जानकारी नौचन्दी यानी नव चंडी। इसी नाम से यहाँ एक मंदिर भी है। बगल में ही बाले मियां की मजार है। जहाँ मंदिर में रोजाना भजन-कीर्तन होते हैं वहीं मजार में कव्वाली व कवि सम्मलेन।

नौचन्दी मेला उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मेलों में से एक है। यह मेला मेरठ में प्रति वर्ष लगता है। यहां का ऐतिहासिक नौचंदी मेला हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। हजरत बाले मियां की दरगाह एवं नवचण्डी देवी (नौचन्दी देवी) का मंदिर एक दूसरे के निकट ही स्थित हैं। मेले के दौरान मंदिर के घण्टों के साथ अजान की आवाज़ एक सांप्रदायिक अध्यात्म की प्रतिध्वनि देती है। यह मेला चैत्र मास के नवरात्रि त्यौहार से एक सप्ताह पहले से, लगभग होली के एक सप्ताह बाद लगता है और एक माह तक चलता है।

नौचन्दी मेला

मेरठ की शान

अप्रैल के महीने में लगने वाला नौचन्दी मेला मेरठ की शान है। इन दिनों में यह मेला अपने पूरे शबाब पर होता है। यह शहर के अंदर नौचन्दी मैदान में लगता है। हर तरफ से आने जाने के साधन सिटी बसें, टम्पू व रिक्शा उपलब्ध हैं। इसकी एक खासियत और है कि यह रात को लगता है। दिन में तो नौचन्दी मैदान सूना पड़ा रहता है।

नौचन्दी मेला

नौचन्दी अथवा नव चंडी

नौचन्दी यानी नव चंडी। इसी नाम से यहाँ एक मंदिर भी है। बगल में ही बाले मियां की मजार है। जहाँ मंदिर में रोजाना भजन-कीर्तन होते हैं वहीं मजार में कव्वाली व कवि सम्मलेन। इसके अलावा एक बड़े मेले में जो कुछ होना चाहिए वो सब यहाँ है। भरपूर मनोरंजन, खाना-खुराक, भीड़-भाड़, सुरक्षा-व्यवस्था सब कुछ। पहले दूर दूर के गावों से लोग यहाँ आते थे। इन दिनों हर तरफ़ नौचन्दी ही नौचन्दी रहती थी। सभी सपरिवार प्रोग्राम बनाते थे नौचन्दी जाने का। दो साल पहले मैं भी गया था- साइकिल से। अब रात को अपने गाँव में कोई वाहन तो चलता नहीं। लेकिन पिछले कुछ सालों से यह मेला हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिकता की भेंट चढ़ रहा है। हर साल कुछ न कुछ बवाल हो ही जाता है। गाँव वाले तो अब कम ही जाते हैं - माहौल खराब है। फिर भी मेला, मेला है। भारतीयता की पहचान है। एक बात और, इस नाम से एक ट्रेन भी चलती है- नौचन्दी एक्सप्रेस। मेरठ से मुरादाबाद, लखनऊ के रास्ते इलाहाबाद तक। मेरठ से सहारनपुर तक लिंक के रूप में चलती है। मेरठ को राजधानी से जोड़ने वाली एकमात्र ट्रेन। तो अगर अगले दस-पंद्रह दिनों में हरिद्वार या आगे जाने का प्रोग्राम हो तो इस मेले को भी देख सकते हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मेरठ की शान है नौचन्दी मेला (हिन्दी) मुसाफिर हूँ यारों। अभिगमन तिथि: 30 जनवरी, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख