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1971 में [[माप]] और [[तौल]] की अन्तर्राष्ट्रीय समिति के द्वारा [[पदार्थ]] की मात्रा को मूल राशि मानते हुए मोल को इसका [[मूल मात्रक]] निर्धारित किया गया है। इस प्रकार सात भौतिक राशियाँ—
 
1971 में [[माप]] और [[तौल]] की अन्तर्राष्ट्रीय समिति के द्वारा [[पदार्थ]] की मात्रा को मूल राशि मानते हुए मोल को इसका [[मूल मात्रक]] निर्धारित किया गया है। इस प्रकार सात भौतिक राशियाँ—
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====लम्बाई के मात्रक====
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मीटर-किग्रा.-सेकेण्ड पद्धति में लम्बाई का मात्रक 'मीटर' होता है। यह प्लेटिनम–इरीडियम मिश्रधातु की छड़ पर 0ºC पर बने दो चिन्हों के बीच की दूरी को 'मीटर' कहा जाता है। यह छड़ पेरिस के अंतर्राष्ट्रीय माप तौल के कार्यालय में रखी गई है। 1983 में, माप तौल के एक कॉन्फ्रेंस में 'मीटर' को पुनः परिभाषित किया गया। इसके अनुसार 'मीटर' वह लम्बाई है, जिसे प्रकाश निर्वात में 1/299792457 सेकेण्ड में तय करता है। एक अन्य परिभाषा के अनुसार एक मीटर वह दूरी है, जिसमें शुद्ध क्रिप्टॉन–86 से उत्सर्जित होने वाले नारंगी प्रकाश की 1,650,763,73 तरंगें आती हैं।
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=====लम्बाई के प्रमुख मात्रक======
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'''प्रकाश वर्ष'''- प्रकाश द्वारा एक वर्ष में तय की गई दूरी को एक प्रकाश वर्ष कहते हैं। अतः प्रकाश वर्ष, दूरी का मात्रक है। प्रकाश द्वारा निर्वात में 1 वर्ष में चली गई दूरी 9.46×10<sup>15</sup> मीटर होती है। अर्थात्-
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'''खगोलिय इकाई'''- [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] व [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] के बीच की औसत दूरी को एक खगोलीय इकाई कहते हैं। पृथ्वी और सूर्य के बीच औसत दूरी 1.496×10<sup>11</sup> मीटर होती है। अर्थात्-
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'''पारसेक'''- पारसेक 'Parallactic second' का संक्षिप्त रूप है। यह दूरी का मात्रक है। यह 1 सेकेण्ड चाप का लम्बन प्रदर्शित करता है।
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*द्रव्यमान,
 
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10:06, 8 अगस्त 2010 का अवतरण

किसी भौतिक राशि को व्यक्त करने के लिए उसी प्रकार की राशि के मात्रक की आवश्यकता होती है। प्रत्येक राशि की माप के लिए उसी राशि को कोई मानक मान चुन लिया जाता है। इस मानक को मात्रक कहते हैं। किसी राशि की माप को प्रकट करने के लिए दो बातों का बताना आवश्यक है—

  • राशि का मात्रक—भौतिक राशि जिसमें मापी जाती है।
  • आंकिक मान—जिसमें राशि के परिमाण को व्यक्त किया जाता है। इससे यह बताना सम्भव होता है कि उस राशि में उसका मात्रक कितनी बार प्रयोग किया गया है।

उदाहरण स्वरूप यदि तार की लम्बाई '3 मीटर' है , तो इसका अर्थ यह है कि लम्बाई मापने का मात्रक 'मीटर' है और तार की लम्बाई चुने गये मात्रक 'मीटर' की तीन गुनी है।

मापने की अन्तर्राष्ट्रीय मान पद्धति या SI पद्धति

भौतिक में अनेक राशियों को मापना पड़ता है और यदि प्रत्येक भौतिक राशि के लिए अलग मात्रक माना जाए तो मात्रकों की संख्या इतनी अधिक हो जाएगी कि उनको याद रख सकना असम्भव हो जाएगा। इसीलिए सभी भौतिक राशियों को व्यक्त करने के लिए एक पद्धति अपनायी गयी है, जिसे मूल मात्रकों की अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति अथवा इसे SI पद्धति कहते हैं। इस पद्धति के अनुसार यांत्रिकी में आने वाली सभी राशियों को लम्बाई, द्रव्यमान, व समय के मात्रकों में व्यक्त कर सकते हैं। ऊष्मा गति की, विद्युत तथा चुम्बकत्व एवं प्रकाशिकी में काम आने वाली राशियों को ताप, विद्युत धारा व ज्योति तीव्रता के मानकों में व्यक्त करते हैं।

1971 में माप और तौल की अन्तर्राष्ट्रीय समिति के द्वारा पदार्थ की मात्रा को मूल राशि मानते हुए मोल को इसका मूल मात्रक निर्धारित किया गया है। इस प्रकार सात भौतिक राशियाँ—

लम्बाई के मात्रक

मीटर-किग्रा.-सेकेण्ड पद्धति में लम्बाई का मात्रक 'मीटर' होता है। यह प्लेटिनम–इरीडियम मिश्रधातु की छड़ पर 0ºC पर बने दो चिन्हों के बीच की दूरी को 'मीटर' कहा जाता है। यह छड़ पेरिस के अंतर्राष्ट्रीय माप तौल के कार्यालय में रखी गई है। 1983 में, माप तौल के एक कॉन्फ्रेंस में 'मीटर' को पुनः परिभाषित किया गया। इसके अनुसार 'मीटर' वह लम्बाई है, जिसे प्रकाश निर्वात में 1/299792457 सेकेण्ड में तय करता है। एक अन्य परिभाषा के अनुसार एक मीटर वह दूरी है, जिसमें शुद्ध क्रिप्टॉन–86 से उत्सर्जित होने वाले नारंगी प्रकाश की 1,650,763,73 तरंगें आती हैं।

लम्बाई के प्रमुख मात्रक=

प्रकाश वर्ष- प्रकाश द्वारा एक वर्ष में तय की गई दूरी को एक प्रकाश वर्ष कहते हैं। अतः प्रकाश वर्ष, दूरी का मात्रक है। प्रकाश द्वारा निर्वात में 1 वर्ष में चली गई दूरी 9.46×1015 मीटर होती है। अर्थात्-

1 प्रकाश वर्ष=9.46×1015 मीटर

खगोलिय इकाई- सूर्यपृथ्वी के बीच की औसत दूरी को एक खगोलीय इकाई कहते हैं। पृथ्वी और सूर्य के बीच औसत दूरी 1.496×1011 मीटर होती है। अर्थात्-

1 खगोलीय इकाई=1.496×1011 मीटर

पारसेक- पारसेक 'Parallactic second' का संक्षिप्त रूप है। यह दूरी का मात्रक है। यह 1 सेकेण्ड चाप का लम्बन प्रदर्शित करता है।

1 पारसेक=3×1016 मीटर

  • द्रव्यमान,
  • समय,
  • वैद्युत धारा,
  • ताप,
  • ज्योति तीव्रता, और
  • पदार्थ की मात्रा,

इनको मूल राशियाँ कहते हैं। मूल राशियों के मात्रक एक–दूसरे से पृथक और स्वतंत्र होते हैं। साथ ही इन राशियों में से किसी एक को किसी अन्य मात्रकों में न तो बदला जा सकता है और न ही उससे सम्बन्धित किया जा सकता है। मूल राशियों के मात्रक को मूल मात्रक कहा जाता है। उपर्युक्त सात मूल भौतिक राशियों के अतिरिक्त दो पूरक मूल राशियाँ 'कोण' तथा 'घन कोण' भी होती हैं।


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