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'''मुग़लसराय''' [[उत्तर प्रदेश]] के चंदौली ज़िले का एक शहर है। [[इतिहास]] में भी यह नगर काफ़ी प्रसिद्ध रहा है। यह [[वाराणसी]] से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मुग़लसराय में उत्तर रेलवे का एक बड़ा रेलवे स्टेशन है। [[भारत]] के द्वितीय [[प्रधानमंत्री]] स्व. [[लालबहादुर शास्त्री]] का जन्म भी यहीं हुआ था। विश्व की प्राचीन नगरी [[काशी]] (वाराणसी) देश की सांस्कृतिक व धार्मिक राजधानी है और मुग़लसराय पूर्व और [[उत्तर भारत]] के लिए उसका प्रवेश द्वार है।
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==इतिहास==
 
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वाराणसी जो कि मन्दिरों और घाटों का नगर है, उससे 10 कि.मी. पूर्व में मुग़लसराय [[उत्तर प्रदेश]] के चन्दौली ज़िले का मिनी महानगर माना जाता है। विश्व में अपनी अलग पहचान रखने वाला मुग़लसराय [[एशिया]] का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड है। एशिया की विशालतम [[कोयला]] मण्डी यहीं चंधासी में स्थित है। अपने अतीत में अनेकों रहस्य समेटे यह नगर बहु-सांस्कृतिक, बहुवर्गीय व बहुधार्मिक पहचान रखता है। इसके नामकरण के बारे मान्यता है कि [[मुग़ल काल|मुग़लकालीन]] सम्बन्धों की वजह से इसका नाम मुग़लसराय पड़ा। मुग़लकालीन समय में यहाँ मुग़लों की दो सरायें हुआ करती थीं, जिसमें मुग़लों की सेना व व्यापारी ठहरा करते थे। बाकी इन सरायों के पास इनके मनोरंजन के लिए वेश्याओं व हिजड़ों का जमावड़ा हुआ करता था।
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वाराणसी जो कि मन्दिरों और घाटों का नगर है, उससे 10 कि.मी. पूर्व में मुग़लसराय [[उत्तर प्रदेश]] के चन्दौली ज़िले का मिनी महानगर माना जाता है। विश्व में अपनी अलग पहचान रखने वाला मुग़लसराय [[एशिया]] का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड है। एशिया की विशालतम [[कोयला]] मण्डी यहीं चंधासी में स्थित है। अपने अतीत में अनेकों रहस्य समेटे यह नगर बहु-सांस्कृतिक, बहुवर्गीय व बहुधार्मिक पहचान रखता है। इसके नामकरण के बारे मान्यता है कि [[मुग़ल काल|मुग़लकालीन]] सम्बन्धों की वजह से इसका नाम मुग़लसराय पड़ा। मुग़लकालीन समय में यहाँ [[मुग़ल|मुग़लों]] की दो सरायें हुआ करती थीं, जिसमें मुग़लों की सेना व व्यापारी ठहरा करते थे। बाकी इन सरायों के पास इनके मनोरंजन के लिए वेश्याओं व हिजड़ों का जमावड़ा हुआ करता था।
 
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इस शहर को बसाने में [[शेरशाह सूरी]] का बड़ा योगदान है, क्योंकि पहले ग्रान्ट ट्रंक रोड ने ही मुग़लसराय की भाग्य रेखा खींची थी। मुग़लसराय राष्ट्रीय राज मार्ग नम्बर दो पर बसा है। यह [[दिल्ली]] व [[हावड़ा ज़िला|हावड़ा]] रेल लाइन के बीच स्थित है।
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==महापुरुषों से सम्बन्ध==
 
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मुग़लसराय की पहचान सादगी व सरलता की प्रतिमूर्ति व राष्ट्र के दूसरे [[प्रधानमंत्री]] [[लालबहादुर शास्त्री]] के जन्म स्थान के रूप में है तथा एकात्म मानववाद के प्रणेता व महापुरूष [[दीनदयाल उपाध्याय|पण्डित दीनदयाल उपाध्याय]] का पार्थिव शरीर [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] कपड़े में लिपटा इसी मुग़लसराय रेलवे स्टेशन पर मिला था, जिससे कि इसका दूसरा नाम 'दीनदयाल नगर' भी पड़ा।
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07:38, 3 जनवरी 2016 के समय का अवतरण

मुग़लसराय उत्तर प्रदेश के चंदौली ज़िले का एक शहर है। इतिहास में भी यह नगर काफ़ी प्रसिद्ध रहा है। यह वाराणसी से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मुग़लसराय में उत्तर रेलवे का एक बड़ा रेलवे स्टेशन है। भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री स्व. लालबहादुर शास्त्री का जन्म भी यहीं हुआ था। विश्व की प्राचीन नगरी काशी (वाराणसी) देश की सांस्कृतिक व धार्मिक राजधानी है और मुग़लसराय पूर्व और उत्तर भारत के लिए उसका प्रवेश द्वार है।

इतिहास

वाराणसी जो कि मन्दिरों और घाटों का नगर है, उससे 10 कि.मी. पूर्व में मुग़लसराय उत्तर प्रदेश के चन्दौली ज़िले का मिनी महानगर माना जाता है। विश्व में अपनी अलग पहचान रखने वाला मुग़लसराय एशिया का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड है। एशिया की विशालतम कोयला मण्डी यहीं चंधासी में स्थित है। अपने अतीत में अनेकों रहस्य समेटे यह नगर बहु-सांस्कृतिक, बहुवर्गीय व बहुधार्मिक पहचान रखता है। इसके नामकरण के बारे मान्यता है कि मुग़लकालीन सम्बन्धों की वजह से इसका नाम मुग़लसराय पड़ा। मुग़लकालीन समय में यहाँ मुग़लों की दो सरायें हुआ करती थीं, जिसमें मुग़लों की सेना व व्यापारी ठहरा करते थे। बाकी इन सरायों के पास इनके मनोरंजन के लिए वेश्याओं व हिजड़ों का जमावड़ा हुआ करता था।

स्थापना

इस शहर को बसाने में शेरशाह सूरी का बड़ा योगदान है, क्योंकि पहले ग्रान्ट ट्रंक रोड ने ही मुग़लसराय की भाग्य रेखा खींची थी। मुग़लसराय राष्ट्रीय राज मार्ग नम्बर दो पर बसा है। यह दिल्लीहावड़ा रेल लाइन के बीच स्थित है।

महापुरुषों से सम्बन्ध

मुग़लसराय की पहचान सादगी व सरलता की प्रतिमूर्ति व राष्ट्र के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के जन्म स्थान के रूप में है तथा एकात्म मानववाद के प्रणेता व महापुरुष पण्डित दीनदयाल उपाध्याय का पार्थिव शरीर सफ़ेद कपड़े में लिपटा इसी मुग़लसराय रेलवे स्टेशन पर मिला था, जिससे कि इसका दूसरा नाम 'दीनदयाल नगर' भी पड़ा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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संबंधित लेख

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