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− | [[पंजाब]] प्रदेश के 'रोपड़ ज़िले' में [[सतलुज नदी]] के बांए तट पर स्थित है। | + | [[पंजाब]] प्रदेश के 'रोपड़ ज़िले' में [[सतलुज नदी]] के बांए तट पर स्थित है। यहाँ स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् सर्वप्रथम [[उत्खनन]] किया गया था। इसका आधुनिक नाम 'रूप नगर' था। 1950 में इसकी खोज 'बी.बी.लाल' ने की थी। यहाँ संस्कृति के पांच चरण मिलते हैं जो इस प्रकार है - |
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− | #चित्रित धूसर मृदभांड | + | #चित्रित धूसर मृदभांड |
− | #उत्तरी काले पालिश वाले | + | #उत्तरी काले पालिश वाले |
− | #कुषाण, गुप्त | + | #[[कुषाण]], [[गुप्त]] |
− | #मध्यकालीन | + | #[[मध्यकाल|मध्यकालीन]] मृदभांड |
− | + | यहाँ पर [[हड़प्पा]] पूर्व एवं हड़प्पाकालीन संस्कृतियो के [[अवशेष]] मिले है। इस स्थल की खुदाई 1953-56 में 'यज्ञ दत्त शर्मा' के द्वारा की गई थी। यहाँ प्राप्त मिट्टी के बर्तन, [[आभूषण]] चर्ट, फलग एवं [[तांबा|तांबे]] की [[कुल्हाड़ी]] महत्त्वपूर्ण है। यहाँ पर मिले मकानों के अवशेषों से लगता है कि यहाँ के मकान पत्थर एवं [[मिट्टी]] से बनाये गये थे। | |
− | + | यहाँ शवों को अण्डाकार गढ्ढों में दफनाया जाता था। एक स्थान से शवाधान के लिए प्रयोग होने वाले ईटों का एक छोटा कमरा भी मिला है। कुछ शवाधान से मिट्टी के पकाए गए आभूषण, [[शंख]] की चूड़ियां, गोमेद पत्थर के मनके, तांबे की अंगूठियां आदि प्राप्त हुई हैं। | |
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+ | रोपड़ से एक ऐसा क़ब्रिस्तान मिला है जिसमें मनुष्य के साथ पालतू कुत्ता भी दफनाया गया था। ऐसा उदाहरण किसी भी हड़प्पाकालीन स्थल से प्राप्त नहीं हुआ है। परन्तु इस प्रकार की प्रथम [[नव पाषाण काल|नव पाषाण युग]] में '[[बुर्ज़होम]]' ([[कश्मीर]]) में प्रचलित थी। | ||
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+ | *[http://www.asi.nic.in/asi_museums_ropar_hn.asp पुरातत्वीय संग्रहालय, रोपड़ (पंजाब)] | ||
+ | *[http://www.asi.nic.in/asi_hn_excavations.asp उत्खनन - Excavations] | ||
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07:41, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
पंजाब प्रदेश के 'रोपड़ ज़िले' में सतलुज नदी के बांए तट पर स्थित है। यहाँ स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् सर्वप्रथम उत्खनन किया गया था। इसका आधुनिक नाम 'रूप नगर' था। 1950 में इसकी खोज 'बी.बी.लाल' ने की थी। यहाँ संस्कृति के पांच चरण मिलते हैं जो इस प्रकार है -
यहाँ पर हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पाकालीन संस्कृतियो के अवशेष मिले है। इस स्थल की खुदाई 1953-56 में 'यज्ञ दत्त शर्मा' के द्वारा की गई थी। यहाँ प्राप्त मिट्टी के बर्तन, आभूषण चर्ट, फलग एवं तांबे की कुल्हाड़ी महत्त्वपूर्ण है। यहाँ पर मिले मकानों के अवशेषों से लगता है कि यहाँ के मकान पत्थर एवं मिट्टी से बनाये गये थे।
यहाँ शवों को अण्डाकार गढ्ढों में दफनाया जाता था। एक स्थान से शवाधान के लिए प्रयोग होने वाले ईटों का एक छोटा कमरा भी मिला है। कुछ शवाधान से मिट्टी के पकाए गए आभूषण, शंख की चूड़ियां, गोमेद पत्थर के मनके, तांबे की अंगूठियां आदि प्राप्त हुई हैं।
रोपड़ से एक ऐसा क़ब्रिस्तान मिला है जिसमें मनुष्य के साथ पालतू कुत्ता भी दफनाया गया था। ऐसा उदाहरण किसी भी हड़प्पाकालीन स्थल से प्राप्त नहीं हुआ है। परन्तु इस प्रकार की प्रथम नव पाषाण युग में 'बुर्ज़होम' (कश्मीर) में प्रचलित थी।
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