"शरन रानी" के अवतरणों में अंतर
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संगीत के प्रति उनके समर्पण के कारण ही उन्हें कई पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित किया गया था। शरन रानी ने [[1992]] में [[सरोद]] के उद्भव, [[इतिहास]] और विकास पर एक किताब भी लिखी थी। उन्हें सरकार की ओर से 'राष्ट्रीय कलाकार', 'साहित्य कला परिषद पुरस्कार' और 'राजीव गांधी राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार' से नवाजा गया था। वर्ष [[1998]] में उनकी वीथिका से चार वाद्य लेकर डाक टिकट भी जारी किए गए थे। | संगीत के प्रति उनके समर्पण के कारण ही उन्हें कई पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित किया गया था। शरन रानी ने [[1992]] में [[सरोद]] के उद्भव, [[इतिहास]] और विकास पर एक किताब भी लिखी थी। उन्हें सरकार की ओर से 'राष्ट्रीय कलाकार', 'साहित्य कला परिषद पुरस्कार' और 'राजीव गांधी राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार' से नवाजा गया था। वर्ष [[1998]] में उनकी वीथिका से चार वाद्य लेकर डाक टिकट भी जारी किए गए थे। | ||
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शरन रानी
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पूरा नाम | शरन रानी |
जन्म | 9 अप्रैल, 1929 |
जन्म भूमि | दिल्ली |
मृत्यु | 8 अप्रैल, 2008 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | संगीत |
पुरस्कार-उपाधि | 'पद्मश्री' (1968), 'साहित्य कला परिषद पुरस्कार' (1974), 'संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार' (1986), 'पद्मभूषण' (2000) आदि। |
प्रसिद्धि | सरोद वादिका |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | वर्ष 1998 में आपकी वीथिका से चार वाद्य लेकर डाक टिकट भी जारी किए गए थे। |
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शरन रानी (अंग्रेज़ी: Sharan Rani, जन्म- 9 अप्रैल, 1929, दिल्ली; मृत्यु- 8 अप्रैल, 2008, दिल्ली) 'हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत' की विद्वान और सुप्रसिद्ध सरोद वादक थीं। वे प्रथम महिला थीं, जिन्होंने सरोद जैसे मर्दाना साज को संपूर्ण ऊँचाई प्रदान की। इसी कारण उनके प्रशंसक उन्हें 'सरोद रानी' के नाम से पुकारते थे। शरन रानी का देहांत उनके अस्सीवें जन्मदिन से एक दिन पहले ही हो गया था। शरन रानी 20वीं सदी की 'म्यूजिक लीजेंड' मानी जाती हैं। 'पद्मभूषण' और 'पद्मश्री' से नवाजी जा चुकीं शरन रानी को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 'भारत की सांस्कृतिक राजदूत' कह कर सम्मानित किया था।
जन्म तथा शिक्षा
शरन रानी का जन्म 9 अप्रैल, 1929 को दिल्ली के एक जाने माने कायस्थ परिवार में हुआ था। उस समय लड़कियों के संगीत के क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की मनाही थी, लेकिन प्रतिकूल वातावरण होने के बावजूद भी शरन रानी ने सरोद वादन में निपुणता हासिल की। उन्होंने उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ और उस्ताद अली अकबर ख़ाँ से संगीत की शिक्षा ग्रहण की थी। धुन की धनी शरन जी ने प्रतिकूल वातावरण को बचपन से ही अपने अनुकूल बना लिया था। सरोद वादन के क्षेत्र में उनका आगे भी संघर्ष जारी रहा था।
पुरस्कार व सम्मान
संगीत के प्रति उनके समर्पण के कारण ही उन्हें कई पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित किया गया था। शरन रानी ने 1992 में सरोद के उद्भव, इतिहास और विकास पर एक किताब भी लिखी थी। उन्हें सरकार की ओर से 'राष्ट्रीय कलाकार', 'साहित्य कला परिषद पुरस्कार' और 'राजीव गांधी राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार' से नवाजा गया था। वर्ष 1998 में उनकी वीथिका से चार वाद्य लेकर डाक टिकट भी जारी किए गए थे।
- पद्मश्री - 1968
- साहित्य कला परिषद पुरस्कार - 1974
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार - 1986
- पद्मभूषण - 2000
- लाइफ़टाइम अजीवमेंट अवार्ड - 2000
- महाराणा मेवाड़ फ़ाउंडेशन अवार्ड - 2004
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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