श्रेणी:कविता
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- कंटक माझ कुसुम परगास -विद्यापति
- कथनी-करणी का अंग -कबीर
- कब आओगे -त्रिलोक सिंह ठकुरेला
- कब देखौंगी नयन वह मधुर मूरति -तुलसीदास
- कब याद में तेरा साथ नहीं -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो -तुलसीदास
- कबाड़ -अनूप सेठी
- कबीर की साखियाँ -कबीर
- कबीर के पद -कबीर
- कम से कम -अशोक चक्रधर
- कमरे की लॉरी -अनूप सेठी
- कमल-दल नैननि की उनमानि -रहीम
- कमी कुछ और है -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
- करघा -रामधारी सिंह दिनकर
- करम गति टारै नाहिं टरी -कबीर
- कर्ण-कृष्ण तत्कालीन संवाद -रश्मि प्रभा
- कर्मवीर -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- कल के लिए -कुलदीप शर्मा
- कल सहसा यह सन्देश मिला -भगवतीचरण वर्मा
- कलकत्ता: 300 साल -राजेश जोशी
- कलम, आज उनकी जय बोल -रामधारी सिंह दिनकर
- कलह-कारण -सुभद्रा कुमारी चौहान
- कलि नाम काम तरु रामको -तुलसीदास
- कवि और कविता -दिनेश सिंह
- कवि का हृदय सूना -दिनेश सिंह
- कवि-श्री -आरसी प्रसाद सिंह
- कविता
- कविता के बारे में कुछ कविताएं -अजेय
- कविता नहीं लिख सकते -अजेय
- कहते हैं तारे गाते हैं -हरिवंश राय बच्चन
- कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये -दुष्यंत कुमार
- कहाँ थे रात को हमसे ज़रा निगाह मिले -दाग़ देहलवी
- कहाँ रहेगी चिड़िया -महादेवी वर्मा
- कहाँ हो पहाड़ -अनूप सेठी
- कहां खुश देख पाती है -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
- कहीं यह आखिरी कविता न हो -अजेय
- क़र्ज़े निगाहे यार -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- क़ायम सवाल रहता है -आदित्य चौधरी
- काका की चौपाल -काका हाथरसी
- काका की फुलझड़ियाँ -काका हाथरसी
- काका की महफ़िल -काका हाथरसी
- काका के प्रहसन -काका हाथरसी
- काका के व्यंग्य बाण -काका हाथरसी
- काका के हँसगुल्ले -काका हाथरसी
- काका तरंग -काका हाथरसी
- काका दोहावली -काका हाथरसी
- काका-काकी के लव लैटर्स -काका हाथरसी
- काजू भुने पलेट में -अदम गोंडवी
- काट फंद हे गोविन्द ! -शिवदीन राम जोशी
- कान्ह हेरल छल मन बड़ साध -विद्यापति
- कान्हा! राधा से क्यों रूठे? -कैलाश शर्मा
- काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है -दाग़ देहलवी
- काम की जगहों पर कुछ हादसे -अजेय
- कामना -अशोक चक्रधर
- कामवालियाँ -किरण मिश्रा
- कामिनि करम सनाने -विद्यापति
- कामी का अंग -कबीर
- कार के करिश्मे -काका हाथरसी
- कारवां गुज़र गया -गोपालदास नीरज
- कालिज स्टूडैंट -काका हाथरसी
- काले बादल -सुमित्रानंदन पंत
- काहे को ब्याहे बिदेस -अमीर ख़ुसरो
- काहे ते हरि मोहिं बिसारो -तुलसीदास
- काहे री नलिनी तू कुमिलानी -कबीर
- कि कहब हे सखि रातुक -विद्यापति
- कि तुम कुछ इस तरह आना -आदित्य चौधरी
- कितना बेदर्द और तन्हा -आदित्य चौधरी
- कितनी अतृप्ति है -गोपालदास नीरज
- कितनी रोटी -अशोक चक्रधर
- कितने दिन चलेगा? -गोपालदास नीरज
- किते चोर बने किते काज़ी हो -बुल्ले शाह
- किसलिए आऊं तुम्हारे द्वार? -गोपालदास नीरज
- किससे अब तू छिपता है? -बुल्ले शाह
- किससे परदा रखते हो? -बुल्ले शाह
- किसी का दीप निष्ठुर हूँ -महादेवी वर्मा
- कुंज कुटीरे यमुना तीरे -माखन लाल चतुर्वेदी
- कुंज भवन सएँ निकसलि -विद्यापति
- कुंजी -रामधारी सिंह दिनकर
- कुच-जुग अंकुर उतपत् भेल -विद्यापति
- कुछ कुण्डलियाँ -त्रिलोक सिंह ठकुरेला
- कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ -काका हाथरसी
- कुछ नहीं कहा -आदित्य चौधरी
- कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें -भगवतीचरण वर्मा
- कुण्ठा -दुष्यंत कुमार
- कुत्ता भौंकने लगा -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- कुरुक्षेत्र-कर्ण-कृष्ण और सार -रश्मि प्रभा
- कू कू करती काली कोयल -दिनेश सिंह
- कृष्ण के आने की बारी है -रश्मि प्रभा
- कृष्ण को गुहार -कैलाश शर्मा
- कृष्ण जन्म -रश्मि प्रभा
- कृष्ण बनकर रहना सरल नहीं -रश्मि प्रभा
- कृष्ण भी कृष्ण नहीं कहलाते -रश्मि प्रभा
- के पतिआ लय जायत रे -विद्यापति
- केते झाड़ फूंक भुतवा -शिवदीन राम जोशी
- केते बदमाश गुंडे -शिवदीन राम जोशी
- केलंग-1/ हरी सब्ज़ियाँ -अजेय
- केलंग-2/ पानी -अजेय
- केलंग-3/ बिजली -अजेय
- केलंग-4/ सड़कें -अजेय
- केशर की कलि की पिचकारी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- केशव,कहि न जाइ -तुलसीदास
- केसरि से बरन सुबरन -बिहारी लाल
- केहि समुझावौ सब जग अन्धा -कबीर
- कैदी और कोकिला -माखन लाल चतुर्वेदी
- कैसी है पहिचान तुम्हारी -माखन लाल चतुर्वेदी
- कैसे कह दूँ कि मैं भी इंसा हूँ -आदित्य चौधरी
- कोई आशिक़ किसी महबूब से -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- कोई नहीं जानता -कुलदीप शर्मा
- कोई साहिलों से पूछे -आदित्य चौधरी
- कोयल -सुभद्रा कुमारी चौहान
- कोशिश करने वालों की हार नहीं होती -सोहन लाल द्विवेदी
- कौन क्या-क्या खाता है? -काका हाथरसी
- कौन जतन बिनती करिये -तुलसीदास
- कौन ठगवा नगरिया लूटल हो -कबीर
- कौन तुम मेरे हृदय में -महादेवी वर्मा
- कौन धौं सीखि ’रहीम’ इहाँ -रहीम
- कौन यहाँ आया था -दुष्यंत कुमार
- कौन है ये जैनी? -अशोक चक्रधर
- क्या आकाश उतर आया है -माखन लाल चतुर्वेदी
- क्या करता है, वह क्या करता है -बुल्ले शाह
- क्या करें -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- क्या चाहते हैं? -वंदना गुप्ता
- क्या जलने की रीत -महादेवी वर्मा
- क्या पूजन -महादेवी वर्मा
- क्या मुझे पहचान लोगे -चन्द्रकान्ता चौधरी
- क्या यही तुम्हारा विशेष है? -आदित्य चौधरी
- क्या यही है मेरी शिकस्त ? -आदित्य चौधरी
- क्या लुत्फ़-ए-सितम यूँ उन्हें हासिल नहीं होता -दाग़ देहलवी
- क्या है कोई जवाब तुम्हारे पास -वंदना गुप्ता
- क्यूँ करे -आदित्य चौधरी
- क्यूँ कृष्ण -रश्मि प्रभा
- क्यों -किरण मिश्रा
- क्यों इन तारों को उलझाते? -महादेवी वर्मा
- क्यों चुराते हो देखकर आँखें -दाग़ देहलवी
- क्यों विलग होता गया -आदित्य चौधरी
- क्यों, आखिर क्यों? -कन्हैयालाल नंदन
- क्षणिकाएँ -किरण मिश्रा
- क्षमा प्रार्थना -काका हाथरसी
ख
- खग ! उडते रहना जीवन भर! -गोपालदास नीरज
- खटमल-मच्छर-युद्ध -काका हाथरसी
- ख़त्म हुई बारिशे संग -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ख़लीफ़ा की खोपड़ी -अशोक चक्रधर
- ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया -दाग़ देहलवी
- ख़ुद अपने ही ख़िलाफ़ -अजेय
- ख़ुदा वो वक़्त न लाये -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ख़ून की होली जो खेली -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- ख़्वाब बसेरा -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- खिल-खिल खिल-खिल हो रही -काका हाथरसी
- खिलखिलाहट -काका हाथरसी
- खिलौनेवाला -सुभद्रा कुमारी चौहान
- खुर्शीदे-महशर की लौ -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- खुला आसमान -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- खुशबू सी आ रही है इधर ज़ाफ़रान की -गोपालदास नीरज
- खेलत फाग दुहूँ तिय कौ -बिहारी लाल
- खेलूँगी कभी न होली -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
ग
- गंगा -सुमित्रानंदन पंत
- गंगा की विदाई -माखन लाल चतुर्वेदी
- गंगा-स्तुति -विद्यापति
- गर चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे -अदम गोंडवी
- गर्म पकौड़ी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- गर्मी ए शौक़ -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- गहन है यह अंधकार -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया -दाग़ देहलवी
- ग़ज़ल को ले चलो अब -अदम गोंडवी
- ग़म से कहीं नजात मिले चैन पाएँ हम -दाग़ देहलवी
- गाँधी -रामधारी सिंह दिनकर
- गाँव में चक्का तलाई -अजेय
- गांधारी से संवाद (1) -कुलदीप शर्मा
- गांधारी से संवाद (2) -कुलदीप शर्मा
- गांधीजी के जन्मदिन पर -दुष्यंत कुमार
- गाली में गरिमा घोल-घोल -माखन लाल चतुर्वेदी
- गाहि सरोवर सौरभ लै -बिहारी लाल
- गिरधर की कुंडलियाँ
- गिरि पर चढ़ते, धीरे-धीर -माखन लाल चतुर्वेदी
- गीत -किरण मिश्रा
- गीत -विद्यापति
- गीत का जन्म -दुष्यंत कुमार
- गीत गाने दो मुझे -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- गीत विहग -सुमित्रानंदन पंत
- गीत-अगीत -रामधारी सिंह दिनकर
- गुनह करेंगे -अशोक चक्रधर
- गुमशुदा की तलाश -अशोक कुमार शुक्ला
- गुरु कुम्हार की गुरुदक्षिणा -नीलम प्रभा
- गुरुदेव का अंग -कबीर
- गुलों में रंग भरे, बादे-नौबहार -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- गोपीभाव -वंदना गुप्ता
- गौरी के वर देखि बड़ दुःख -विद्यापति