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*उन्होंने बंगवासी कॉलेज, [[कलकत्ता]] में (1913-1914) में एक व्याख्याता के रूप में शिक्षण कार्य किया। | *उन्होंने बंगवासी कॉलेज, [[कलकत्ता]] में (1913-1914) में एक व्याख्याता के रूप में शिक्षण कार्य किया। | ||
*इसके तुरंत बाद वह 'बंगाल शिक्षा सेवा' में शामिल हो गए और (1914-1916) तक प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में व्याख्याता के रूप में रहे। | *इसके तुरंत बाद वह 'बंगाल शिक्षा सेवा' में शामिल हो गए और (1914-1916) तक प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में व्याख्याता के रूप में रहे। | ||
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*उन्हें 1921 में [[कलकत्ता विश्वविद्यालय]] से 'प्राचीन भारतीय इतिहास' में पी.एच.डी. से सम्मानित किया गया। | *उन्हें 1921 में [[कलकत्ता विश्वविद्यालय]] से 'प्राचीन भारतीय इतिहास' में पी.एच.डी. से सम्मानित किया गया। | ||
09:50, 5 सितम्बर 2012 का अवतरण
- हेमचंद्र रायचौधरी (8 अप्रैल,1892 - 4 मई 1957) एक भारतीय इतिहासकार थे, जो 'भारत प्राचीन इतिहास' पर अपने ज्ञान के लिए जाने जाते हैं।
- उनके पिता का नाम मनोरंजन रायचौधरी था, जो एक जमींदार थे।
- हेमचंद्र रायचौधरी की पत्नी का नाम तरंगिनी देवी था।
- उन्होंने बंगवासी कॉलेज, कलकत्ता में (1913-1914) में एक व्याख्याता के रूप में शिक्षण कार्य किया।
- इसके तुरंत बाद वह 'बंगाल शिक्षा सेवा' में शामिल हो गए और (1914-1916) तक प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में व्याख्याता के रूप में रहे।
- 1916 में उन्हें गवर्नमेंट कॉलेज, चटगांव में स्थानांतारित किया गया।
- उन्हें 1921 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से 'प्राचीन भारतीय इतिहास' में पी.एच.डी. से सम्मानित किया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ