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− | ||[[चित्र:Akbar.jpg|right|100px|अकबर]]'अकबर' [[भारत]] का महानतम [[मुग़ल]] शंहशाह (शासनकाल 1556-1605 ई.) था, जिसने मुग़ल शक्ति का भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में विस्तार किया। अपने साम्राज्य की एकता बनाए रखने के लिए [[अकबर]] द्वारा ऐसी नीतियाँ अपनाई गईं, जिनसे गैर [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] की राजभक्ति जीती जा सके। | + | ||[[चित्र:Akbar.jpg|right|100px|अकबर]]'अकबर' [[भारत]] का महानतम [[मुग़ल]] शंहशाह (शासनकाल 1556-1605 ई.) था, जिसने मुग़ल शक्ति का भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में विस्तार किया। अपने साम्राज्य की एकता बनाए रखने के लिए [[अकबर]] द्वारा ऐसी नीतियाँ अपनाई गईं, जिनसे गैर [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] की राजभक्ति जीती जा सके। अकबर के विजय अभियानों में [[गुजरात]] की विजय भी ख़ास थी। 1573 ई. गुजरात को जीतने के बाद [[अकबर]] ने पूरे [[उत्तर भारत]] में 'करोड़ी' नाम के एक अधिकारी की नियुक्ति की। इस अधिकारी को अपने क्षेत्र से एक करोड़ दाम वसूल करना होता था। 'करोड़ी' की सहायता के लिए 'आमिल' नियुक्त किये गए थे। ये क़ानूनगों द्वारा बताये गये आंकड़े की भी जाँच करते थे। वास्तविक उत्पादन, स्थानीय क़ीमतें, उत्पादकता आदि पर उनकी सूचना के आधार पर [[अकबर]] ने 1580 ई. में 'दहसाला' नाम की नवीन प्रणाली को प्रारम्भ किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अकबर]] |
{[[मुस्लिम]] शासन के दौरान [[दिल्ली]] के सिंहासन पर अधिकार करने वाला एक मात्र [[हिन्दू]] कौन था?(यूनीक इतिहास, भाग-1, पृ.सं. सी350) | {[[मुस्लिम]] शासन के दौरान [[दिल्ली]] के सिंहासन पर अधिकार करने वाला एक मात्र [[हिन्दू]] कौन था?(यूनीक इतिहास, भाग-1, पृ.सं. सी350) |
13:33, 10 जून 2013 का अवतरण
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