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पूर्व न्यायमूर्ति एम. फ़ातिमा बीवी का जन्म [[केरल]] के पथानामथिट्टा में हुआ था। फ़ातिमा के पिता का नाम मीर साहिब और माँ का नाम ख़दीजा बीबी था। उन्होंने अपनी शुरुवाती पढ़ाई अपने पैदाइश के शहर से की थी और बाद में [[त्रिवेंद्रम]] से बी.एस.सी. की पढ़ाई की। [[तिरुवनंतपुरम]] से फ़ातिमा ने बी.एल. की डिग्री प्राप्त की। [[1989]] में राजीव गाँधी सरकार में इन्हें [[सुप्रीम कोर्ट]] का जज बनाया गया और ये जब पहला मौक़ा था कि किसी महिला को हिन्दुस्तान में जज बनाया गया हो। [[25 जनवरी]], [[1997]] से [[2001]] के बीच वे [[तमिलनाडु]] की [[राज्यपाल]] भी रहीं।
 
पूर्व न्यायमूर्ति एम. फ़ातिमा बीवी का जन्म [[केरल]] के पथानामथिट्टा में हुआ था। फ़ातिमा के पिता का नाम मीर साहिब और माँ का नाम ख़दीजा बीबी था। उन्होंने अपनी शुरुवाती पढ़ाई अपने पैदाइश के शहर से की थी और बाद में [[त्रिवेंद्रम]] से बी.एस.सी. की पढ़ाई की। [[तिरुवनंतपुरम]] से फ़ातिमा ने बी.एल. की डिग्री प्राप्त की। [[1989]] में राजीव गाँधी सरकार में इन्हें [[सुप्रीम कोर्ट]] का जज बनाया गया और ये जब पहला मौक़ा था कि किसी महिला को हिन्दुस्तान में जज बनाया गया हो। [[25 जनवरी]], [[1997]] से [[2001]] के बीच वे [[तमिलनाडु]] की [[राज्यपाल]] भी रहीं।
 
==कार्यकाल==
 
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[[14 नवम्बर]] [[1950]] को फ़ातिमा बीवी अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुईं, [[मई]], [[1958]] में [[केरल]] अधीनस्थ न्यायिक सेवा में मुंसिफ़ के रूप में नियुक्त हुईं, [[1968]] में वे अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुईं। [[1972]] में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, [[1974]] में जिला एवं सत्र न्यायाधीश, [[1980]] में आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल की न्यायिक सदस्य और [[8 अप्रैल]] [[1983]] को उन्हें [[उच्च न्यायालय]] में एक न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। [[6 अक्टूबर]] [[1989]] को वे [[सर्वोच्च न्यायालय]] की न्यायाधीश नियुक्त हुईं। जहां से [[24 अप्रैल]] [[1992]] को वे सेवा निवृत हुईं।
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[[14 नवम्बर]] [[1950]] को फ़ातिमा बीवी अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुईं, [[मई]], [[1958]] में [[केरल]] अधीनस्थ न्यायिक सेवा में मुंसिफ़ के रूप में नियुक्त हुईं, [[1968]] में वे अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुईं। [[1972]] में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, [[1974]] में ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश, [[1980]] में आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल की न्यायिक सदस्य और [[8 अप्रैल]] [[1983]] को उन्हें [[उच्च न्यायालय]] में एक न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। [[6 अक्टूबर]] [[1989]] को वे [[सर्वोच्च न्यायालय]] की न्यायाधीश नियुक्त हुईं। जहां से [[24 अप्रैल]] [[1992]] को वे सेवा निवृत हुईं।
  
  

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फ़ातिमा बीबी
एम. फ़ातिमा बीबी
पूरा नाम मीरा साहिब फ़ातिमा बीबी
जन्म 30 अप्रैल 1927
जन्म भूमि पथानामथिट्टा, केरल
अभिभावक पिता- मीर साहिब, माता- ख़दीजा बीबी
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र न्यायपालिका
शिक्षा बी.एल.
प्रसिद्धि भारत के उच्चतम न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश।
नागरिकता भारतीय
धर्म इस्लाम
राज्यपाल 25 जनवरी, 1997 से 2001 तक तमिलनाडु की राज्यपाल
न्यायाधीश 6 अक्टूबर, 1989 से 24 अप्रैल, 1992 तक सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश।
अन्य जानकारी 8 अप्रैल 1983 को फ़ातिमा बीबी उच्च न्यायालय में एक न्यायाधीश के रूप में हुईं। 6 अक्टूबर 1989 को वे सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश नियुक्त हुईं। जहां से 24 अप्रैल 1992 को वे सेवा निवृत हुईं।

मीरा साहिब फ़ातिमा बीबी (अंग्रेज़ी: Meera Sahib Fathima Beevi, जन्म- 30 अप्रैल, 1927, केरल) सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं। वे वर्ष 1989 में इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला हैं। उन्हें 3 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (भारत) की सदस्य बनाया गया। वे तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल भी रह चुकी हैं।

परिचय

पूर्व न्यायमूर्ति एम. फ़ातिमा बीवी का जन्म केरल के पथानामथिट्टा में हुआ था। फ़ातिमा के पिता का नाम मीर साहिब और माँ का नाम ख़दीजा बीबी था। उन्होंने अपनी शुरुवाती पढ़ाई अपने पैदाइश के शहर से की थी और बाद में त्रिवेंद्रम से बी.एस.सी. की पढ़ाई की। तिरुवनंतपुरम से फ़ातिमा ने बी.एल. की डिग्री प्राप्त की। 1989 में राजीव गाँधी सरकार में इन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया और ये जब पहला मौक़ा था कि किसी महिला को हिन्दुस्तान में जज बनाया गया हो। 25 जनवरी, 1997 से 2001 के बीच वे तमिलनाडु की राज्यपाल भी रहीं।

कार्यकाल

14 नवम्बर 1950 को फ़ातिमा बीवी अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुईं, मई, 1958 में केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवा में मुंसिफ़ के रूप में नियुक्त हुईं, 1968 में वे अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुईं। 1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, 1974 में ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश, 1980 में आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल की न्यायिक सदस्य और 8 अप्रैल 1983 को उन्हें उच्च न्यायालय में एक न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 6 अक्टूबर 1989 को वे सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश नियुक्त हुईं। जहां से 24 अप्रैल 1992 को वे सेवा निवृत हुईं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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