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('कन्नूर नगर, उत्तरी केरल राज्य के दक्षिण भारत में स्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
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==पर्यटन==
 
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कन्नूर नगर में कई क़िलें, एक पुर्तगाली गिरज़ाघर और अनेक मस्जिदें हैं। कन्नूर [[केरल]] के उत्तरी सिरे में स्थित एक छोटा लेकिन बेहद ख़ूबसूरत तटवर्ती नगर है। जो अपने आकर्षण से पर्यटकों को आकर्षित करता है। प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण इस नगर के पश्चिमी तट पर फैले रेत से लक्षद्वीप सागर मिलता है और तट के दूसरी तरफ ऊंचे-ऊंचे ताड़ के पेड़ वातावरण को और मनोरम बनाते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.yatrasalah.com/PhotoGallary.aspx?gallery=366 |title=कन्नूर |accessmonthday=[[12 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=हिन्दी }}</ref> आज भी कन्नूर देश के 62 सैनिक छावनियों में से एक है। जहाँ डिफेन्स सिक्यूरिटी फ़ोर्स का मुख्यालय है। कुछ महत्वपूर्ण मानदंडों के अंतर्गत कन्नूर भारत में रहने योग्य 10 शहरों में से एक है। शहर साफ़ सुथरा और सुंदर है।
 
कन्नूर नगर में कई क़िलें, एक पुर्तगाली गिरज़ाघर और अनेक मस्जिदें हैं। कन्नूर [[केरल]] के उत्तरी सिरे में स्थित एक छोटा लेकिन बेहद ख़ूबसूरत तटवर्ती नगर है। जो अपने आकर्षण से पर्यटकों को आकर्षित करता है। प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण इस नगर के पश्चिमी तट पर फैले रेत से लक्षद्वीप सागर मिलता है और तट के दूसरी तरफ ऊंचे-ऊंचे ताड़ के पेड़ वातावरण को और मनोरम बनाते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.yatrasalah.com/PhotoGallary.aspx?gallery=366 |title=कन्नूर |accessmonthday=[[12 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=हिन्दी }}</ref> आज भी कन्नूर देश के 62 सैनिक छावनियों में से एक है। जहाँ डिफेन्स सिक्यूरिटी फ़ोर्स का मुख्यालय है। कुछ महत्वपूर्ण मानदंडों के अंतर्गत कन्नूर भारत में रहने योग्य 10 शहरों में से एक है। शहर साफ़ सुथरा और सुंदर है।
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सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के कारण फ्रांसिस्को अल्मेडा नामके प्रथम पुर्तगाली गवर्नर ने यहाँ सन 1505 में संत अन्जेलो नाम से लेटराइट पत्थरों से एक क़िले का निर्माण करवाया था। इस क़िले पर डच लोगों ने 1663 में कब्जा कर लिया और कुछ समय पश्चात अरक्कल के शाही परिवार को बेच दिया। कालांतर में यह [[अंग्रेज|अंग्रेजों]] के हाथ चला गया। कन्नूर अंग्रेजों के पश्चिमी सैनिक कमान का मुख्यालय बन गया। अरक्कल का शाही परिवार केरल का एक मात्र मुस्लिम राज वंश था और एक महिला जिसे बीवी कह कर संबोधित किया जाता है, शासन करती थी। इस बीवी से सम्बन्धित एक कहानी है जो इस प्रकार है।
 
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के कारण फ्रांसिस्को अल्मेडा नामके प्रथम पुर्तगाली गवर्नर ने यहाँ सन 1505 में संत अन्जेलो नाम से लेटराइट पत्थरों से एक क़िले का निर्माण करवाया था। इस क़िले पर डच लोगों ने 1663 में कब्जा कर लिया और कुछ समय पश्चात अरक्कल के शाही परिवार को बेच दिया। कालांतर में यह [[अंग्रेज|अंग्रेजों]] के हाथ चला गया। कन्नूर अंग्रेजों के पश्चिमी सैनिक कमान का मुख्यालय बन गया। अरक्कल का शाही परिवार केरल का एक मात्र मुस्लिम राज वंश था और एक महिला जिसे बीवी कह कर संबोधित किया जाता है, शासन करती थी। इस बीवी से सम्बन्धित एक कहानी है जो इस प्रकार है।
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15-16वीं सदी में मूषिका वंशज के चिरक्कल राजा की एक कन्या तालाब में नहा रही थी और पानी में डूबने लगी। संयोगवश उसे एक मुस्लिम युवक ने देख लिया। पहले तो वह हिचका फिर तालाब में कूद कर राजकुमारी को बाहर निकाल लाया। शरीर को ढकने के लिए उसने अपनी धोती उढा दी। राज दरबार में बात पहुँची। उन दिनों [[मुसलमान]] अछूत होते थे। उसके स्पर्श से राजकुमारी अपवित्र हो गई थी। उस युवक को बुलवाया गया और वह अपने प्राणों की खैर मनाते उपस्थित हो गया। मंत्रियों ने एक और बात कह दी। इस युवक ने राजकुमारी को ओढ़ने के लिए अपनी धोती दी थी और उन दिनों की परम्परा के अनुसार धोती दिया जाना और स्वीकार किया जाना विवाह का परिचायक था। मजबूरन राजा को अपनी बेटी उस अपेक्षाकृत गरीब युवक के हाथ सौपनी पड़ी। राजा ने अरक्कल नामक एक छोटा भूभाग उस युवक के नाम कर दोनों को अलग भिजवा दिया। यहीं से उस मुस्लिम राज वंश की उत्पत्ति बतायी जाती है।<ref name="कन्नूर या केन्नानोर">{{cite web |url=http://mallar.wordpress.com/2009/04/02/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%82%E0%A4%B0-%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%B2/ |title=कन्नूर या केन्नानोर (केरल) |accessmonthday=[[12 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first=सुब्रमणियन |authorlink= |format= |publisher=वर्डप्रेस |language=हिन्दी}}</ref>
 
15-16वीं सदी में मूषिका वंशज के चिरक्कल राजा की एक कन्या तालाब में नहा रही थी और पानी में डूबने लगी। संयोगवश उसे एक मुस्लिम युवक ने देख लिया। पहले तो वह हिचका फिर तालाब में कूद कर राजकुमारी को बाहर निकाल लाया। शरीर को ढकने के लिए उसने अपनी धोती उढा दी। राज दरबार में बात पहुँची। उन दिनों [[मुसलमान]] अछूत होते थे। उसके स्पर्श से राजकुमारी अपवित्र हो गई थी। उस युवक को बुलवाया गया और वह अपने प्राणों की खैर मनाते उपस्थित हो गया। मंत्रियों ने एक और बात कह दी। इस युवक ने राजकुमारी को ओढ़ने के लिए अपनी धोती दी थी और उन दिनों की परम्परा के अनुसार धोती दिया जाना और स्वीकार किया जाना विवाह का परिचायक था। मजबूरन राजा को अपनी बेटी उस अपेक्षाकृत गरीब युवक के हाथ सौपनी पड़ी। राजा ने अरक्कल नामक एक छोटा भूभाग उस युवक के नाम कर दोनों को अलग भिजवा दिया। यहीं से उस मुस्लिम राज वंश की उत्पत्ति बतायी जाती है।<ref name="कन्नूर या केन्नानोर">{{cite web |url=http://mallar.wordpress.com/2009/04/02/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%82%E0%A4%B0-%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%B2/ |title=कन्नूर या केन्नानोर (केरल) |accessmonthday=[[12 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first=सुब्रमणियन |authorlink= |format= |publisher=वर्डप्रेस |language=हिन्दी}}</ref>
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कन्नूर के आस पास देखने योग्य ख़ूबसूरत कई अन्य स्थल भी हैं जैसे तलास्सेरी भारतीय सर्कस का पलना और प्रशिक्षण केन्द्र। यहाँ अंग्रेजों के द्वारा निर्मित एक क़िला भी है। माहे भी करीब ही है जो कभी फ्रांसीसियों का उपनिवेश रहा जो आजकल पांडिचेरी ([[पुदुचेरी]]) प्रशासन के अंतर्गत है। बहुत शीघ्र ही कन्नूर से अंतरराष्ट्रीय उडाने प्रारम्भ हो जायेंगी क्योंकि एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निर्माणाधीन है।<ref name="कन्नूर या केन्नानोर"/>
 
कन्नूर के आस पास देखने योग्य ख़ूबसूरत कई अन्य स्थल भी हैं जैसे तलास्सेरी भारतीय सर्कस का पलना और प्रशिक्षण केन्द्र। यहाँ अंग्रेजों के द्वारा निर्मित एक क़िला भी है। माहे भी करीब ही है जो कभी फ्रांसीसियों का उपनिवेश रहा जो आजकल पांडिचेरी ([[पुदुचेरी]]) प्रशासन के अंतर्गत है। बहुत शीघ्र ही कन्नूर से अंतरराष्ट्रीय उडाने प्रारम्भ हो जायेंगी क्योंकि एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निर्माणाधीन है।<ref name="कन्नूर या केन्नानोर"/>
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==जनसंख्या==
 
==जनसंख्या==
 
कन्नूर नगर की जनसंख्या 2001 के अनुसार 63,795 है।
 
कन्नूर नगर की जनसंख्या 2001 के अनुसार 63,795 है।

07:36, 12 अक्टूबर 2010 का अवतरण

कन्नूर नगर, उत्तरी केरल राज्य के दक्षिण भारत में स्थित है। केरल में कन्नूर या केन्नानोर चौथी बड़ी आबादी वाला अरब सागर के तट पर बसा एक प्रमुख शहर है। अरब सागर के एक बंदरगाह एक रूप में कन्नूर 12 वीं और 13 वीं शताब्दी में फ़ारस और अरब से होने वाले व्यापार के लिए महत्वपूर्ण था। 18 वीं शताब्दी तक यह कोलात्तिरी के राजा की राजधानी रहा। पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा ने 1498 में कालीकट की यात्रा की थी। 1505 में यहाँ एक पुर्तगाली क़िला बनाया गया। 1656 में यहाँ एक डच क़िले की स्थापना हुई। 1783 में कन्नूर पर ब्रिटिश आधिपत्य हो गया, जिसके बाद से यहाँ के शासक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सहायक भर रह गए। 1709 से 1887 तक कन्नूर भारत के पश्चिमी तट का ब्रिटिश सैनिक मुख्यालय रहा।

व्यापार

कन्नूर में सर्व प्रथम जर्मनी के बेसल मिशन के द्वारा धर्मान्तरित ईसाईयों को रोजगार देने के उद्देश्य से सन 1852 में एक कपडा बुनने का कारखाना खोला गया था। कारखाने में यूरोपीय बनावट के हथकरघे मिस्टर हालर के द्वारा लगाये गए थे जिसने इसी वर्ष मंगलौर में भी एक छोटा सा क़ारखाना खोला था। विश्व में 'खाकी' का सर्वप्रथम उत्पादन इसी हालर के द्वारा मंगलौर में 1852 में किया गया था। तब से ही हथकरघे कन्नूर की पहचान बन गए और अब भी हैं। अपने हाथ करघों के अतिरिक्त, बीडी उद्योग, मत्स्य उद्योग तथा कांसे और पीतल से बने विभिन्न सामग्रियों के लिए यह शहर जाना जाता है।

कन्नूर नगर में कताई, बुनाई व होज़री की बड़ी मिलें हैं और यहाँ से गरी, जूट व मिर्च का निर्यात किया जाता है। भीतरी प्रदेश की अर्थव्यवस्था काजू, मिर्च, नारियल के उत्पादन पर निर्भर करती है। मछली पकड़ने का काम भी महत्वपूर्ण है।

पर्यटन

कन्नूर नगर में कई क़िलें, एक पुर्तगाली गिरज़ाघर और अनेक मस्जिदें हैं। कन्नूर केरल के उत्तरी सिरे में स्थित एक छोटा लेकिन बेहद ख़ूबसूरत तटवर्ती नगर है। जो अपने आकर्षण से पर्यटकों को आकर्षित करता है। प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण इस नगर के पश्चिमी तट पर फैले रेत से लक्षद्वीप सागर मिलता है और तट के दूसरी तरफ ऊंचे-ऊंचे ताड़ के पेड़ वातावरण को और मनोरम बनाते हैं।[1] आज भी कन्नूर देश के 62 सैनिक छावनियों में से एक है। जहाँ डिफेन्स सिक्यूरिटी फ़ोर्स का मुख्यालय है। कुछ महत्वपूर्ण मानदंडों के अंतर्गत कन्नूर भारत में रहने योग्य 10 शहरों में से एक है। शहर साफ़ सुथरा और सुंदर है।

क़िले का निर्माण

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के कारण फ्रांसिस्को अल्मेडा नामके प्रथम पुर्तगाली गवर्नर ने यहाँ सन 1505 में संत अन्जेलो नाम से लेटराइट पत्थरों से एक क़िले का निर्माण करवाया था। इस क़िले पर डच लोगों ने 1663 में कब्जा कर लिया और कुछ समय पश्चात अरक्कल के शाही परिवार को बेच दिया। कालांतर में यह अंग्रेजों के हाथ चला गया। कन्नूर अंग्रेजों के पश्चिमी सैनिक कमान का मुख्यालय बन गया। अरक्कल का शाही परिवार केरल का एक मात्र मुस्लिम राज वंश था और एक महिला जिसे बीवी कह कर संबोधित किया जाता है, शासन करती थी। इस बीवी से सम्बन्धित एक कहानी है जो इस प्रकार है।

कहानी

15-16वीं सदी में मूषिका वंशज के चिरक्कल राजा की एक कन्या तालाब में नहा रही थी और पानी में डूबने लगी। संयोगवश उसे एक मुस्लिम युवक ने देख लिया। पहले तो वह हिचका फिर तालाब में कूद कर राजकुमारी को बाहर निकाल लाया। शरीर को ढकने के लिए उसने अपनी धोती उढा दी। राज दरबार में बात पहुँची। उन दिनों मुसलमान अछूत होते थे। उसके स्पर्श से राजकुमारी अपवित्र हो गई थी। उस युवक को बुलवाया गया और वह अपने प्राणों की खैर मनाते उपस्थित हो गया। मंत्रियों ने एक और बात कह दी। इस युवक ने राजकुमारी को ओढ़ने के लिए अपनी धोती दी थी और उन दिनों की परम्परा के अनुसार धोती दिया जाना और स्वीकार किया जाना विवाह का परिचायक था। मजबूरन राजा को अपनी बेटी उस अपेक्षाकृत गरीब युवक के हाथ सौपनी पड़ी। राजा ने अरक्कल नामक एक छोटा भूभाग उस युवक के नाम कर दोनों को अलग भिजवा दिया। यहीं से उस मुस्लिम राज वंश की उत्पत्ति बतायी जाती है।[2]

अन्य स्थल

कन्नूर के आस पास देखने योग्य ख़ूबसूरत कई अन्य स्थल भी हैं जैसे तलास्सेरी भारतीय सर्कस का पलना और प्रशिक्षण केन्द्र। यहाँ अंग्रेजों के द्वारा निर्मित एक क़िला भी है। माहे भी करीब ही है जो कभी फ्रांसीसियों का उपनिवेश रहा जो आजकल पांडिचेरी (पुदुचेरी) प्रशासन के अंतर्गत है। बहुत शीघ्र ही कन्नूर से अंतरराष्ट्रीय उडाने प्रारम्भ हो जायेंगी क्योंकि एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निर्माणाधीन है।[2]

जनसंख्या

कन्नूर नगर की जनसंख्या 2001 के अनुसार 63,795 है।

खानपान

कन्नूर में खाने में सबसे अच्छी बिरयानी होती है जिसका स्वाद ही निराला है। पराठे लच्छेदार मैदा से बनाये जाते हैं परन्तु कुछ होटलों में रोटी भी मिल जाती है। यहाँ   होटलों में बीफ भी मिलती है जिसको कुछ लोग बड़े जानवर का मटन भी कहते थे।[2]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कन्नूर (हिन्दी) यात्रा सलाह। अभिगमन तिथि: 12 अक्टूबर, 2010
  2. 2.0 2.1 2.2 कन्नूर या केन्नानोर (केरल) (हिन्दी) वर्डप्रेस। अभिगमन तिथि: 12 अक्टूबर, 2010