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==परिचय==
 
==परिचय==
देवराज अर्स का जन्म 20 अगस्त, 1915 को मैसूर ज़िले में हुआ था। उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से बी.एससी. करने के बाद खेती करना आरम्भ किया। उनके [[परिवार]] का मैसूर के राजवंश से सबंध था। उनकी माँ देविरा अम्मानी धार्मिक और पारंपरिक महिला थीं। उनका एक भाई भी था। देवराज अर्स का [[विवाह]] चिक्का अम्मानी से हुआ था। उनकी तीन बेटियाँ हैं। देवराज को [[कृषि]] के साथ-साथ राजनीति में भी विशेष रुचि थी।
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देवराज उर्स का जन्म 20 अगस्त, 1915 को मैसूर ज़िले में हुआ था। उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से बी.एससी. करने के बाद खेती करना आरम्भ किया। उनके [[परिवार]] का मैसूर के राजवंश से सबंध था। उनकी माँ देविरा अम्मानी धार्मिक और पारंपरिक महिला थीं। उनका एक भाई भी था। देवराज उर्स का [[विवाह]] चिक्का अम्मानी से हुआ था। उनकी तीन बेटियाँ हैं। देवराज को [[कृषि]] के साथ-साथ राजनीति में भी विशेष रुचि थी।
 
==राजनीतिक जीवन==
 
==राजनीतिक जीवन==
देवराज अर्स [[1941]] और [[1945]] में [[कांग्रेस]] के टिकट पर मैसूर की 'प्रतिनिधि असेम्बली' के सदस्य चुने गए। स्वतंत्रता-संग्राम में प्रत्यक्ष रूप से भाग न लेने पर भी उनकी सहानुभूति मैसूर रियासत के कांग्रेस-संगठन से थी। इसी कारण वे निरंतर 6 बार वहाँ की असेम्बली के सदस्य चुने गए। देवराज अर्स [[1972]] में और कुछ दिनों के अंतर के बाद [[1978]] में प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए और 8 वर्षों तक इस पद पर रहे। उन्होंने अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के लिए विशेष आरक्षण की व्यवस्था कराई।  
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देवराज उर्स [[1941]] और [[1945]] में [[कांग्रेस]] के टिकट पर मैसूर की 'प्रतिनिधि असेम्बली' के सदस्य चुने गए। स्वतंत्रता-संग्राम में प्रत्यक्ष रूप से भाग न लेने पर भी उनकी सहानुभूति मैसूर रियासत के कांग्रेस-संगठन से थी। इसी कारण वे निरंतर 6 बार वहाँ की असेम्बली के सदस्य चुने गए। देवराज उर्स [[1972]] में और कुछ दिनों के अंतर के बाद [[1978]] में प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए और 8 वर्षों तक इस पद पर रहे। उन्होंने अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के लिए विशेष आरक्षण की व्यवस्था कराई।  
  
कांग्रेस के विभाजन के बाद देवराज अर्स ने सुविधानुसार अपने लिए इस पक्ष में स्थान बनाया। उन्होंने अपने लिए अलग दल का भी गठन किया, पर अंत में उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली। उनके शासन-काल पर प्रशासनिक अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के आरोप लगे। जांच कमीशन ने भी इसकी पुष्टि की थी। कहते हैं कि देवराज अर्स ने बाद में स्वीकार किया कि अपने समर्थकों को साथ रखने के लिए उन्हें किसी न किसी तरह धन की व्यवस्था करनी पड़ती थी। इस प्रकार देवराज अर्स का शासन राजनीतिक भ्रष्टाचार का नमूना बन गया।  
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कांग्रेस के विभाजन के बाद देवराज उर्स ने सुविधानुसार अपने लिए इस पक्ष में स्थान बनाया। उन्होंने अपने लिए अलग दल का भी गठन किया, पर अंत में उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली। उनके शासन-काल पर प्रशासनिक अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के आरोप लगे। जांच कमीशन ने भी इसकी पुष्टि की थी। कहते हैं कि देवराज उर्स ने बाद में स्वीकार किया कि अपने समर्थकों को साथ रखने के लिए उन्हें किसी न किसी तरह धन की व्यवस्था करनी पड़ती थी। इस प्रकार देवराज उर्स का शासन राजनीतिक भ्रष्टाचार का नमूना बन गया।  
 
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06:52, 6 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

डी. देवराज उर्स
देवराज उर्स
पूरा नाम देवराज उर्स
जन्म 20 अगस्त, 1915
जन्म भूमि मैसूर
मृत्यु 6 जून, 1982
अभिभावक देविरा अम्मानी
पति/पत्नी चिक्का अम्मानी
नागरिकता भारतीय
पार्टी भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस
पद कर्नाटक के 8वें मुख्यमंत्री
कार्य काल 20 मार्च, 1972 से 31 दिसम्बर, 1977 और 28 फ़रवरी, 1978 से 7 जनवरी, 1980
शिक्षा बी.एससी.
विद्यालय मैसूर विश्वविद्यालय
अन्य जानकारी देवराज उर्स ने अपने कार्यकाल के दौरान अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के लिए विशेष आरक्षण की व्यवस्था की थी।

डी. देवराज उर्स (अंग्रेज़ी: D. Devaraj Urs, जन्म: 20 अगस्त, 1915, मैसूर; मृत्यु: 6 जून, 1982) कर्नाटक के 8वें मुख्यमंत्री थे। उन्होंने 1952 में राजनीति में प्रवेश किया और 10 साल तक विधायक रहे। उन्हें उनके आठ वर्षों तक के कार्यकाल के दौरान राज्य में मूक सामाजिक क्रांति चलाने और भूमि सुधारों को लागू करने का श्रेय दिया जाता है।[1]

परिचय

देवराज उर्स का जन्म 20 अगस्त, 1915 को मैसूर ज़िले में हुआ था। उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से बी.एससी. करने के बाद खेती करना आरम्भ किया। उनके परिवार का मैसूर के राजवंश से सबंध था। उनकी माँ देविरा अम्मानी धार्मिक और पारंपरिक महिला थीं। उनका एक भाई भी था। देवराज उर्स का विवाह चिक्का अम्मानी से हुआ था। उनकी तीन बेटियाँ हैं। देवराज को कृषि के साथ-साथ राजनीति में भी विशेष रुचि थी।

राजनीतिक जीवन

देवराज उर्स 1941 और 1945 में कांग्रेस के टिकट पर मैसूर की 'प्रतिनिधि असेम्बली' के सदस्य चुने गए। स्वतंत्रता-संग्राम में प्रत्यक्ष रूप से भाग न लेने पर भी उनकी सहानुभूति मैसूर रियासत के कांग्रेस-संगठन से थी। इसी कारण वे निरंतर 6 बार वहाँ की असेम्बली के सदस्य चुने गए। देवराज उर्स 1972 में और कुछ दिनों के अंतर के बाद 1978 में प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए और 8 वर्षों तक इस पद पर रहे। उन्होंने अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के लिए विशेष आरक्षण की व्यवस्था कराई।

कांग्रेस के विभाजन के बाद देवराज उर्स ने सुविधानुसार अपने लिए इस पक्ष में स्थान बनाया। उन्होंने अपने लिए अलग दल का भी गठन किया, पर अंत में उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली। उनके शासन-काल पर प्रशासनिक अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के आरोप लगे। जांच कमीशन ने भी इसकी पुष्टि की थी। कहते हैं कि देवराज उर्स ने बाद में स्वीकार किया कि अपने समर्थकों को साथ रखने के लिए उन्हें किसी न किसी तरह धन की व्यवस्था करनी पड़ती थी। इस प्रकार देवराज उर्स का शासन राजनीतिक भ्रष्टाचार का नमूना बन गया।

निधन

देवराज उर्स का निधन 6 जून, 1982 को हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 394 |

बाहरी कड़ियाँ

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