तुगरिल ख़ाँ

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तुगरिल ख़ाँ एक तुर्की अमीर था, जिसे सुल्तान ग़यासुद्दीन बलबन नें बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया था। लेकिन तुगरिल ख़ाँ ने कुछ समय बाद ही 1278 ई. में सुल्तान के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और स्वतंत्र हो गया।

  • बलबन ने इल्तुतमिश द्वारा राज्य में स्थापित 40 तुर्की सरदारों के दल को समाप्त कर दिया और तुर्क अमीरों को शक्तिशाली होने से रोका।
  • इसी समय तुगरिल ख़ाँ ने अपने को बलबन के नियंत्रण से स्वतन्त्र घोषित कर दिया।
  • इसकी सूचना पाकर ग़यासुद्दीन बलबन ने अवध के सूबेदार अमीन ख़ाँ को विद्रोह को दबाने के लिए भेजा, परन्तु वह असफल होकर लौटा।
  • क्रोधित होकर बलबन ने अमीन ख़ाँ की हत्या करवा दी और उसका सिर अयोध्या के फाटक पर लटका दिया और स्वंय इस विद्रोह का वखूबी दमन किया।
  • तुगरिल ख़ाँ को पकड़ने एवं उसकी हत्या करने का श्रेय सरदार मलिक मुकद्दीर को मिला। चूंकि इसके पहले तुगरिल ख़ाँ को पकड़ने में काफ़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा था, इसलिए मलिक मुकद्दीर की सफलता से प्रसन्न होकर ग़यासुद्दीन बलबन ने उसे "तुगरिलकुश" (तुगरिल की हत्या करने वाला) की उपाधि प्रदान की थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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