"भारतकोश:अभ्यास पन्ना3" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 107: पंक्ति 107:
 
||शतपथ ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद के दोनों शाखाओं काण्व व माध्यन्दिनी से सम्बद्ध है। यह सभी ब्राह्मण ग्रन्थों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसके रचियता [[याज्ञवल्क्य]] को माना जाता है। शतपथ के अन्त में उल्लेख है- 'ष्आदिन्यानीमानि शुक्लानि यजूशि बाजसनेयेन याज्ञावल्येन ख्यायन्ते।' शतपथ ब्राह्मण में 14 काण्ड हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के [[यज्ञ|यज्ञों]] का पूर्ण एवं विस्तृत अध्ययन मिलता हे। 6 से 10 काण्ड तक को शाण्डिल्य काण्ड कहते हैं। इसमें [[गांधार|गंधार]], कैकय और शाल्व जनपदों की विशेष चर्चा की गई है। अन्य काण्डों में [[आर्यावर्त]] के मध्य तथा पूर्वी भाग कुरू, [[पांचाल|पंचाल]], [[कोसल]], विदेह, सृजन्य आदि जनपदों का उल्लेख हैं। शतपथ ब्राह्मण में वैदिक [[संस्कृत]] के सारस्वत मण्डल से पूर्व की ओर प्रसार होने का संकेत मिलता है। शतपथ ब्राह्मण में यज्ञों को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कृत्य बताया गया है। [[अश्वमेध यज्ञ]] के सन्दर्भ में अनेक प्राचीन सम्राटों का उल्लेख है, जिसमें [[जनक]], [[दुष्यन्त]] और [[जनमेजय]] का नाम महत्वपूर्ण है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शतपथ ब्राह्मण]]
 
||शतपथ ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद के दोनों शाखाओं काण्व व माध्यन्दिनी से सम्बद्ध है। यह सभी ब्राह्मण ग्रन्थों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसके रचियता [[याज्ञवल्क्य]] को माना जाता है। शतपथ के अन्त में उल्लेख है- 'ष्आदिन्यानीमानि शुक्लानि यजूशि बाजसनेयेन याज्ञावल्येन ख्यायन्ते।' शतपथ ब्राह्मण में 14 काण्ड हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के [[यज्ञ|यज्ञों]] का पूर्ण एवं विस्तृत अध्ययन मिलता हे। 6 से 10 काण्ड तक को शाण्डिल्य काण्ड कहते हैं। इसमें [[गांधार|गंधार]], कैकय और शाल्व जनपदों की विशेष चर्चा की गई है। अन्य काण्डों में [[आर्यावर्त]] के मध्य तथा पूर्वी भाग कुरू, [[पांचाल|पंचाल]], [[कोसल]], विदेह, सृजन्य आदि जनपदों का उल्लेख हैं। शतपथ ब्राह्मण में वैदिक [[संस्कृत]] के सारस्वत मण्डल से पूर्व की ओर प्रसार होने का संकेत मिलता है। शतपथ ब्राह्मण में यज्ञों को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कृत्य बताया गया है। [[अश्वमेध यज्ञ]] के सन्दर्भ में अनेक प्राचीन सम्राटों का उल्लेख है, जिसमें [[जनक]], [[दुष्यन्त]] और [[जनमेजय]] का नाम महत्वपूर्ण है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शतपथ ब्राह्मण]]
  
=====षड्दर्शन का बीजारोपण किस काल में हुआ है?=====
+
{षड्दर्शन का बीजारोपण किस काल में हुआ है?
{{Opt|विकल्प 1=ऋग्वैदिक काल में |विकल्प 2=उत्तरवैदिक काल में|विकल्प 3=सैन्धव काल में|विकल्प 4=सूत्रकाल में}}{{Ans|विकल्प 1=ऋग्वैदिक काल में|विकल्प 2='''उत्तरवैदिक काल में'''{{Check}} |विकल्प 3=सैन्धव काल में |विकल्प 4=सूत्रकाल में|विवरण=}}
+
|type="()"}
=====[[जैन धर्म]] का वास्तविक संस्थापक किसे माना जाता है?=====
+
-ऋग्वैदिक काल में
{{Opt|विकल्प 1=पार्श्वनाथ |विकल्प 2=ऋषभदेव|विकल्प 3=महावीर स्वामी|विकल्प 4=नेमिनाथ}}{{Ans|विकल्प 1=[[तीर्थंकर पार्श्वनाथ|पार्श्वनाथ]]|विकल्प 2=[[ॠषभनाथ तीर्थंकर|ऋषभदेव]] |विकल्प 3='''[[महावीर|महावीर स्वामी]]'''{{Check}} |विकल्प 4=[[नेमिनाथ तीर्थंकर|नेमिनाथ]]|विवरण=[[चित्र:Mahaveer.jpg|महावीर<br /> Mahaveer|thumb|150px]]
+
+उत्तरवैदिक काल में
'''वर्धमान महावीर''' या महावीर, [[जैन धर्म]] के प्रवर्तक भगवान श्री ऋषभनाथ (श्री आदिनाथ) की परम्परा में 24वें तीर्थंकर थे। इनका जीवन काल 599 ईसवी ,ईसा पूर्व से 527 ईस्वी ईसा पूर्व तक माना जाता है। जैन धर्म के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर महावीर वर्धमान का जन्म [[वृज्जि]] गणराज्य की [[वैशाली]] नगरी के निकट कुण्डग्राम में हुआ था। इनके पिता सिद्धार्थ उस गणराज्य के राजा थे। कलिंग नरेश की कन्या यशोदा से महावीर का विवाह हुआ। किंतु 30 वर्ष की उम्र में अपने जेष्ठबंधु की आज्ञा लेकर इन्होंने घर-बार छोड़ दिया और तपस्या करके कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया। महावीर ने पार्श्वनाथ के आरंभ किए तत्वज्ञान को परिमार्जित करके उसे [[जैन]] दर्शन का स्थायी आधार प्रदान किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महावीर]]}}
+
-सैन्धव काल में
 +
-सूत्रकाल में
 +
 
 +
 
 +
{[[जैन धर्म]] का वास्तविक संस्थापक किसे माना जाता है?
 +
|type="()"}
 +
-[[तीर्थंकर पार्श्वनाथ|पार्श्वनाथ]]
 +
+[[महावीर|महावीर स्वामी]]
 +
-[[ॠषभनाथ तीर्थंकर|ऋषभदेव]]
 +
-[[नेमिनाथ तीर्थंकर|नेमिनाथ]]
 +
||[[चित्र:Mahaveer.jpg|महावीर<br /> Mahaveer|thumb|150px]] '''वर्धमान महावीर''' या महावीर, [[जैन धर्म]] के प्रवर्तक भगवान श्री ऋषभनाथ (श्री आदिनाथ) की परम्परा में 24वें तीर्थंकर थे। इनका जीवन काल 599 ईसवी ,ईसा पूर्व से 527 ईस्वी ईसा पूर्व तक माना जाता है। जैन धर्म के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर महावीर वर्धमान का जन्म [[वृज्जि]] गणराज्य की [[वैशाली]] नगरी के निकट कुण्डग्राम में हुआ था। इनके पिता सिद्धार्थ उस गणराज्य के राजा थे। कलिंग नरेश की कन्या यशोदा से महावीर का विवाह हुआ। किंतु 30 वर्ष की उम्र में अपने जेष्ठबंधु की आज्ञा लेकर इन्होंने घर-बार छोड़ दिया और तपस्या करके कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया। महावीर ने पार्श्वनाथ के आरंभ किए तत्वज्ञान को परिमार्जित करके उसे [[जैन]] दर्शन का स्थायी आधार प्रदान किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महावीर]]
 +
 
 +
{जैन परम्परा के अनुसार [[जैन धर्म]] में कुल कितने तीर्थकर हुए हैं?
 +
|type="()"}
 +
-(25)
 +
+उत्तरवैदिक काल में
 +
-सैन्धव काल में
 +
-सूत्रकाल में
 +
 
 +
 
 +
 
  
 
=====जैन परम्परा के अनुसार [[जैन धर्म]] में कुल कितने तीर्थकर हुए हैं?=====
 
=====जैन परम्परा के अनुसार [[जैन धर्म]] में कुल कितने तीर्थकर हुए हैं?=====

04:33, 24 दिसम्बर 2010 का अवतरण

<quiz display=simple>

{वैदिककालीन लोगों ने सर्वप्रथम किस धातु का प्रयोग किया?

type="()"}

- लोहा - कांसा + तांबा - सोना

{उत्तरवैदिक काल के महत्वपूर्ण देवता कौन थे?

type="()"}

- रुद्र - विष्णु + प्रजापति - पूषन

{भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' कहाँ से उद्धत है?

type="()"}

+ मुण्डकोपनिषद से - कठोपनिषद से - छान्दोग्य उपनिषद से - उपर्युक्त में से कोई नहीं

यह उपनिषद अथर्ववेदीय शौनकीय शाखा से सम्बन्धित है। इसमें अक्षर-ब्रह्म 'ॐ: का विशद विवेचन किया गया है। इसे मन्त्रोपनिषद नाम से भी पुकारा जाता है। इसमें तीन मुण्डक हैं और प्रत्येक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं तथा कुल चौंसठ मन्त्र हैं। 'मुण्डक' का अर्थ है- मस्तिष्क को अत्यधिक शक्ति प्रदान करने वाला और उसे अविद्या-रूपी अन्धकार से मुक्त करने वाला। इस उपनिषद में महर्षि अंगिरा ने शौनक को 'परा-अपरा' विद्या का ज्ञान कराया है।{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- मुण्डकोपनिषद

{उत्तर वैदिक कालीन ग्रंथों की रचना लगभग 1000 ई. पू.-600 ई. पू. के मध्य किन स्थानों पर की गई?

type="()"}

- सैन्धव घाटी के मैदान में - आर्यावर्त के मैदान में + गंगा के उत्तरी मैदान में - मध्य एशिया के मैदान में

{'सभा और समिति प्रजापति की दो पुत्रियाँ थीं' का उल्लेख किस ग्रंथ में मिलता है?

type="()"}

- ऋग्वेद में +अथर्ववेद - यजुर्वेद में - सामवेद में

अथर्ववेद का आवरण पृष्ठ
अथर्ववेद की भाषा और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस वेद की रचना सबसे बाद में हुई। अथर्ववेद के दो पाठों (शौनक और पैप्पलद) में संचरित हुए लगभग सभी स्तोत्र ॠग्वेदीय स्तोत्रों के छदों में रचित हैं। दोनो वेदों में इसके अतिरिक्त अन्य कोई समानता नहीं है। अथर्ववेद मे दैनिक जीवन से जुड़े तांत्रिक धार्मिक सरोकारों को व्यक्त करता है, इसका स्वर ॠग्वेद के उस अधिक पुरोहिती स्वर से भिन्न है, जो महान देवों को महिमामंडित करता है और सोम के प्रभाव में कवियों की उत्प्रेरित दृष्टि का वर्णन करता है। यज्ञों व देवों को अनदेखा करने के कारण वैदिक पुरोहित वर्ग इसे अन्य तीन वेदों के बराबर नहीं मानता था। इसे यह दर्जा बहुत बाद में मिला। इसकी भाषा ॠग्वेद की भाषा की तुलना में स्पष्टतः बाद की है और कई स्थानों पर ब्राह्मण ग्रंथों से मिलती है। अतः इसे लगभग 1000 ई.पू. का माना जा सकता है।{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- अथर्ववेद

{उत्तर वैदिक कालीन ग्रंथों में किस आश्रम का उल्लेख नहीं मिलता?

type="()"}

+ संन्यास - ब्रह्मचर्य - गृहस्थ - वानप्रस्थ

{'गायत्री मंत्र' किस वेद से लिया गया है?

type="()"}

+ ऋग्वेद - सामवेद - यजुर्वेद - अथर्ववेद

{वेदों को 'अपौरुषेय' क्यों कहा जाता है?

type="()"}

+ क्योंकि वेदों की रचना देवताओं द्वारा की गई है - क्योंकि वेदों की रचना पुरुषों द्वारा की गई है -क्योंकि वेदों की रचना ऋषियों द्वारा की गई है - उपर्युक्त में से कोई नहीं

{राष्ट्र एवं राजा शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम कब हुआ?

type="()"}

- सैन्धव काल में - ऋग्वैदिक काल में +उत्तरवैदिक काल में -महाकाव्य में

{आर्यों के मूल निवास स्थान के बारे में सर्वाधिक मान्य मत कौन-सा है?

type="()"}

-दक्षिणी रूस +मध्य एशिया में बैक्ट्रिया -भारत में सप्तसैन्धव प्रदेश -मध्य एशिया का पामीर क्षेत्र

{सर्वप्रथम चारों आश्रमों के विषय में जानकारी कहाँ से मिलती है?

type="()"}

+जाबालोपनिषद से -छान्दोग्य उपनिषद से -मुण्डकोपनिषद से -कठोपनिषद से

यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ
शुक्ल यजुर्वेद के इस उपनिषद में कुल छह खण्ड हैं।
  1. प्रथम खण्ड में भगवान बृहस्पति और ऋषि याज्ञवल्क्य के संवाद द्वारा प्राण-विद्या का विवेचन किया गया है।
  2. द्वितीय खण्ड में अत्रि मुनि और याज्ञवल्क्य के संवाद द्वारा 'अविमुक्त' क्षेत्र को भृकुटियों के मध्य बताया गया है।
  3. तृतीय खण्ड में ऋषि याज्ञवल्क्य द्वारा मोक्ष-प्राप्ति का उपाय बताया गया है।
  4. चतुर्थ खण्ड में विदेहराज जनक के द्वारा संन्यास के विषय में पूछे गये प्रश्नों का उत्तर याज्ञवल्क्य देते हैं।
  5. पंचम खण्ड में अत्रि मुनि संन्यासी के यज्ञोपवीत, वस्त्र, भिक्षा आदि पर याज्ञवल्क्य से मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं और
  6. षष्ठ खण्ड में प्रसिद्ध संन्यासियों आदि के आचरण की समीक्षा की गयी है और दिगम्बर परमंहस का लक्षण बताया गया है।{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- यजुर्वेद

{'गोत्र' व्यवस्था प्रचलन में कब आई?

type="()"}

-ऋग्वैदिक काल में +उत्तरवैदिक काल में -सैन्धव काल में -सूत्रकाल में

{ब्राह्मण ग्रंथों में सर्वाधिक प्राचीन कौन है?

type="()"}

-ऐतरेय ब्राह्मण +शतपथ ब्राह्मण -पंचविंश ब्राह्मण -गोपथ ब्राह्मण

शतपथ ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद के दोनों शाखाओं काण्व व माध्यन्दिनी से सम्बद्ध है। यह सभी ब्राह्मण ग्रन्थों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसके रचियता याज्ञवल्क्य को माना जाता है। शतपथ के अन्त में उल्लेख है- 'ष्आदिन्यानीमानि शुक्लानि यजूशि बाजसनेयेन याज्ञावल्येन ख्यायन्ते।' शतपथ ब्राह्मण में 14 काण्ड हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के यज्ञों का पूर्ण एवं विस्तृत अध्ययन मिलता हे। 6 से 10 काण्ड तक को शाण्डिल्य काण्ड कहते हैं। इसमें गंधार, कैकय और शाल्व जनपदों की विशेष चर्चा की गई है। अन्य काण्डों में आर्यावर्त के मध्य तथा पूर्वी भाग कुरू, पंचाल, कोसल, विदेह, सृजन्य आदि जनपदों का उल्लेख हैं। शतपथ ब्राह्मण में वैदिक संस्कृत के सारस्वत मण्डल से पूर्व की ओर प्रसार होने का संकेत मिलता है। शतपथ ब्राह्मण में यज्ञों को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कृत्य बताया गया है। अश्वमेध यज्ञ के सन्दर्भ में अनेक प्राचीन सम्राटों का उल्लेख है, जिसमें जनक, दुष्यन्त और जनमेजय का नाम महत्वपूर्ण है।{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- शतपथ ब्राह्मण

{षड्दर्शन का बीजारोपण किस काल में हुआ है?

type="()"}

-ऋग्वैदिक काल में +उत्तरवैदिक काल में -सैन्धव काल में -सूत्रकाल में


{जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक किसे माना जाता है?

type="()"}

-पार्श्वनाथ +महावीर स्वामी -ऋषभदेव -नेमिनाथ

महावीर
Mahaveer
वर्धमान महावीर या महावीर, जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान श्री ऋषभनाथ (श्री आदिनाथ) की परम्परा में 24वें तीर्थंकर थे। इनका जीवन काल 599 ईसवी ,ईसा पूर्व से 527 ईस्वी ईसा पूर्व तक माना जाता है। जैन धर्म के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर महावीर वर्धमान का जन्म वृज्जि गणराज्य की वैशाली नगरी के निकट कुण्डग्राम में हुआ था। इनके पिता सिद्धार्थ उस गणराज्य के राजा थे। कलिंग नरेश की कन्या यशोदा से महावीर का विवाह हुआ। किंतु 30 वर्ष की उम्र में अपने जेष्ठबंधु की आज्ञा लेकर इन्होंने घर-बार छोड़ दिया और तपस्या करके कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया। महावीर ने पार्श्वनाथ के आरंभ किए तत्वज्ञान को परिमार्जित करके उसे जैन दर्शन का स्थायी आधार प्रदान किया।{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- महावीर

{जैन परम्परा के अनुसार जैन धर्म में कुल कितने तीर्थकर हुए हैं?

type="()"}

-(25) +उत्तरवैदिक काल में -सैन्धव काल में -सूत्रकाल में



जैन परम्परा के अनुसार जैन धर्म में कुल कितने तीर्थकर हुए हैं?

साँचा:Optसाँचा:Ans

'राजगृह' में महावीर स्वामी ने सर्वाधिक निवास किस ऋतु में किया?

साँचा:Optसाँचा:Ans

जैन धर्म के पहले तीर्थंकर के रूप में किसे जाना जाता है?

साँचा:Optसाँचा:Ans

महावीर स्वामी 'यती' कब कहलाए?

साँचा:Optसाँचा:Ans

'स्यादवान' किस धर्म का मूलाधार था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

महावीर के निर्वाण के बाद जैन संघ का अगला अध्यक्ष कौन हुआ?

साँचा:Optसाँचा:Ans

आदि जैन ग्रंथों की भाषा क्या थी?

साँचा:Optसाँचा:Ans

जैन धर्म के पाँचों व्रतों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत कौन-सा है?

साँचा:Optसाँचा:Ans

जैन धर्म का सर्वाधिक प्रचार-प्रसार किस समुदाय में हुआ?

साँचा:Optसाँचा:Ans

जैन धर्म 'श्वेताम्बर' एवं 'दिगम्बर' सम्प्रदायों में कब विभाजित हुआ?

साँचा:Optसाँचा:Ans

जैन धर्म के विषय में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?

साँचा:Optसाँचा:Ans

ऋग्वेद में 'निष्क' शब्द का प्रयोग किसी आभूषण के लिए किया गया है, वह है?

साँचा:Optसाँचा:Ans

अथर्ववेद में किन दो संस्थाओं को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया है?

साँचा:Optसाँचा:Ans

विशाखादत्त के मुद्राराक्षस में वर्णित नाम चन्द्रसिरी (चन्द्र श्री) के रूप में किस राजा की पहचान की गई है?

साँचा:Optसाँचा:Ans

महाभारत में माद्री, देवकी, भद्रा, रोहिणी, मदिरा, आदि स्त्रियों का वर्णन किस सन्दर्भ में किया है?

साँचा:Optसाँचा:Ans

पाण्ड्य राज की राजधानी थी?

साँचा:Optसाँचा:Ans

भद्रबाहु गुफ़ा अवस्थित है?

साँचा:Optसाँचा:Ans

'इण्डिका' का लेखक था, जिसने इस पुस्तक में विदेशी व्यापार का ज़िक्र किया था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

मुस्लिम क़ानून के चार स्रोतों में से तीन क़ुरान, हदीस एवं इज्मा हैं। निम्नलिखित में से कौनसा चौथा स्रोत है?

साँचा:Optसाँचा:Ans

'क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद' का निर्माण किस मुस्लिम शासक ने कराया था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

टीपू सुल्तान ने किस क्लब की सदस्यता प्राप्त कर श्रीरंगपट्टनम् में स्वतंत्रता का वृक्ष रोपा था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

दादाभाई नौरोजी ने अंग्रेज़ों की किस नीति को 'अनिष्टों का अनिष्ट' कहा था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

किस इतिहासकार ने सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को 'धर्मान्धों का ईसाइयों के विरुद्ध युद्ध' कहा था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हुई थी?

साँचा:Optसाँचा:Ans

'इण्डिपेन्डेन्स' नामक समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

"कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश सरकार की एक पूर्व निश्चित गुप्त योजना के अनुसार की गई।" यह किस पुस्तक में लिखा गया है?

साँचा:Optसाँचा:Ans

'ब्रिटेन की हाउस ऑफ़ लार्डस' ने किस अंग्रेज़ अधिकारी को' ब्रिटिश साम्राज्य का शेर कहा था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

ऐसा कौन सा प्रथम सूफ़ी साधक था, जिसने अपने आपको अनलहक घोषित किया था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

प्रान्तों की सेना को मुग़लकालीन भारत में कहा जाता था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

किस विदेशी ने अपने व्याख्यानों में मुग़ल सम्राटों का उल्लेख 'अभागे ज़ालिम' के लिए किया था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

ऋषि अगस्त्य के शिष्य 'तोलक्कपियर' ने 'तोलकापियम' नामक ग्रन्थ की रचना की थी, उसमें वर्णीत विषय था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

हरविलास शारदा द्वारा प्रस्तावित अधिनियम जिसे सामान्यतया शारदा अधिनियम कहा जाता है, क्या था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

मद्रास में जस्टिस पार्टी आन्दोलन का विलय किसके साथ हुआ?

साँचा:Optसाँचा:Ans

निम्नलिखित में से किस ग्रन्थ में सर्वप्रथम पुनर्जन्म के सिद्धान्त का उल्लेख मिलता है?

साँचा:Optसाँचा:Ans

तमिल राष्ट्र में दुर्गा का तादात्म्य तमिल देवी 'कोरवई' से किया गया है, वे किस तत्व की तमिल देवी थीं?

साँचा:Optसाँचा:Ans

वह प्रथम भारतीय शासक था, जिसने रोमन मुद्रा प्रणाली के अनुरूप अपने सिक्कों का प्रसारण किया। उसका सम्बन्ध किस साम्राज्य से था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

हैदराबाद नगर की स्थापना की थी?

साँचा:Optसाँचा:Ans

बहमनी साम्राज्य के प्रान्तों को क्या कहा जाता था?

साँचा:Optसाँचा:Ans

औरंगज़ेब के शासनकाल में जाट विद्रोह का नेता कौन था?

साँचा:Optसाँचा:Ans