अमला शंकर

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अमला शंकर
अमला शंकर
पूरा नाम अमला शंकर
जन्म 27 जून, 1919
जन्म भूमि जेसोर[1]
मृत्यु 24 जुलाई, 2020
मृत्यु स्थान कोलकाता
अभिभावक पिता- अक्षय कुमार नंदी
पति/पत्नी उदय शंकर
संतान पुत्र- आनंद शंकर, पुत्री- ममता शंकर
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र नृत्यांगना व कोरियोग्राफर
मुख्य फ़िल्में 'कल्‍पना'
अन्य जानकारी फ़िल्म 'कल्‍पना' बुरी तरह फ्लॉप रही थी, लेकिन यह अलग बात है कि आज इसकी हिफाजत किसी बेशकीमती नगीने की तरह की जाती है और सन 2010 में मार्टिन स्कोर्सेसी की कंपनी वर्ल्ड सिनेमा फाउंडेशन ने इसके डिजिटल संरक्षण का जिम्मा उठाया।

अमला शंकर (अंग्रेज़ी: Amala Shankar, जन्म- 27 जून, 1919, जेसोर; मृत्यु- 24 जुलाई, 2020, कोलकाता) मशहूर भारतीय नृत्यांगना एवं कोरियोग्राफर थीं। वह अपने समय के प्रसिद्ध नर्तक एवं कोरियोग्राफर उदय शंकर की पत्नी और दिग्गज सितार वादक पंडित रवि शंकर की भाभी थीं। अमला शंकर ने उस दौर में नृत्य का प्रशिक्षण लिया, जब महिलाओं के नाचने को समाज में हेय दृष्‍ट‍ि से देखा जाता था। कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने 2011 में उन्‍हें ‘बंग विभूषण’ से सम्मानित किया था। अमला शंकर ने साल 1948 में 'कल्‍पना' फिल्‍म में मुख्‍य भूमिका निभाई थी। यह फिल्‍म उदय शंकर ने ही बनाई थी। फिल्‍म की कहानी युवा नर्तकों के सपनों और नृत्य अकादमी पर आधारित थी। उनके योगदान को देखते हुए उन्‍हें 2012 में 'संगीत नाट्य अकादमी टैगोर रत्‍न पुरस्‍कार' भी मिला।

परिचय

अमला शंकर का जन्म 27 जून, 1919 में जसोर (अब बांग्लादेश में स्थित) में हुआ था। उनका परिवार शुरुआत से कला के क्षेत्र से जुड़ा था। 1930 में उन्होंने अपने गुरु और होने वाले पति उदय शंकर से पहली बार मुलाकात की थी। उनकी उम्र तब मात्र 11 साल थी। अपने होने वाले पति यानी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के नर्तक उदय शंकर से हुई पहली मुलाक़ात को याद करते हुए अमला शंकर ने अपने संस्मरण ‘प्रेम का देवता’ में लिखा है-

जिन-जिन कारणों से विदेशी भूमि में उनसे पहली भेंट हुई कितनी बंगाली लड़कियों के जीवन में वैसा घटित होता है। यहाँ तक कि वैसी घटना आज भी नहीं घटा करतीं। उनका मिल पाना सचमुच अपने समय से कहीं आगे की बात थी।[2]

उदय शंकर से मुलाकात

उदय शंकर के साथ अमला शंकर

अमला शंकर के पिता अक्षय कुमार नंदी का कलकत्ता में इकॉनॉमिक ज्यूलरी वर्क्स नाम से आभूषणों का कारखाना था। सन 1931 की बात है जब उन्हें फ्रांस की एक एक्सपो में अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाने का न्यौता मिला। वे अपने समय के लिहाज से खासे प्रगतिशील आदमी रहे होंगे क्योंकि वे अपनी ग्यारह साल की बेटी को भी वहां ले कर गए। इत्तफाकन समूचे यूरोप के कला-संसार में अपनी नृत्यकला का लोहा मनवा चुकने के बाद उदय शंकर भी उन दिनों फ्रांस में ही मौजूद थे और उन्हें उस एक्सपो में अपनी प्रस्तुति देने बुलाया गया था। उनके नृत्य को देखने के बाद एक बार मशहूर लेखक जेम्स जॉयस ने अपनी बेटी को लिखा था- "वह स्टेज पर किसी अर्ध-देवता की तरह चलता है। मेरा यकीन मानो इस गरीब संसार में अब भी कुछ खूबसूरत चीजें बची हुई हैं"।

अक्षय नंदी उदय शंकर के दोस्त थे। फ्रांस में दोनों की मुलाक़ात होनी ही थी। नृत्य कला सीख रही, ग्यारह साल की, फ्रॉक पहनने वाली लड़की तीस साल के उदय शंकर को पहली बार देख कर विस्मय से भर गयी थी। एक्सपो में अमला शंकर ने भी अपनी प्रस्तुति दी जिसे उदय शंकर ने देखा और कुछ दिनों बाद अक्षय नंदी से उसे अपनी नृत्य-मंडली के यूरोप टूर के लिए मांग लिया। अमला का जीवन पूरी तरह बदल गया। उदय शंकर की नृत्य-मंडली के साथ रहते हुए उसने यूरोप के सबसे बड़े नगरों में समकालीन कला के उत्कृष्टतम प्रारूपों से साक्षात्कार किया। वापस बंगाल आकर उसने महज तेरह साल की आयु में ‘सात सागरों के पार’ शीर्षक से अपना यूरोप-वृत्तान्त प्रकाशित किया। उदय शंकर सालों से यूरोप में ही बसे हुए थे। फिर 1935 में एक बार कलकत्ता आने पर उदय शंकर ने तय किया कि अपनी फोर्ड गाड़ी से कलकत्ता से अल्मोड़ा की यात्रा की जाये। उस यात्रा में भी अमला को साथ जाने का मौक़ा मिला। तब तक अमला के मन में उदय शंकर के लिए देवतातुल्य सम्मान के साथ-साथ गहरा एकतरफा प्रेम भी अपनी जगह बना चुका था, लेकिन उनके मन में, उसी के शब्दों में रोमांस के साथ घुली-मिली लज्जा, दुविधा और कुछ-कुछ भय भी था।[2]

विवाह

सन 1939 में उदय शंकर ने सभी को आश्चर्यचकित करते हुए अमला शंकर से विवाह करने का फैसला लिया। उसी अमला से जो अपने बारे में सोचती थी- "मेरे जैसी काली, ठिगनी महिला ऐसे सुपुरुष को कभी छू भी सकती है, ऐसी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी"। तीन-चार साल तक सब कुछ ठीक-ठाक चला, 1942 में अल्मोड़ा में उनके पुत्र आनंद का जन्म हुआ।

फ़िल्मी शुरुआत

इस अवधि में उदय शंकर के ड्रीम प्रोजेक्ट यानी फ़िल्म ‘कल्पना’ की स्क्रिप्ट लिखी गयी। गीत सुमित्रानंदन पंत से लिखवाये गए। फिर पैसों की कमी के कारण अल्मोड़ा केंद्र बंद कर देना पड़ा। यह उदय शंकर के लिए गहरा धक्का था लेकिन अमला ने उन्हें सम्हाल लिया। उसके बाद ‘कल्पना’ पर काम शुरू हुआ। अमला शंकर ने उदयन बने उदय शंकर की नायिका उमा का रोल किया और फ़िल्म 1948 में रिलीज हुई। फ़िल्म बुरी तरह फ्लॉप रही। यह अलग बात है कि आज इसकी हिफाजत किसी बेशकीमती नगीने की तरह की जाती है और सन 2010 में मार्टिन स्कोर्सेसी की कंपनी वर्ल्ड सिनेमा फाउंडेशन ने इसके डिजिटल संरक्षण का जिम्मा उठाया।

पारिवारिक परेशानियाँ

बहरहाल व्यक्तिगत जीवन में उदय शंकर के साथ आने-जाने वाली स्त्रियों को किसी तरह बर्दाश्त करते हुए भी 1955 में अमला शंकर ने अपनी दूसरी संतान यानी ममता को जन्म दिया। उदय शंकर की आयु हो रही थी और वे अपनी कला के प्रसार के लिए एक बड़े संस्थान की स्थापना करना चाहते थे ताकि नृत्य का शंकर घराना बचा रहे। 1965 में ऐसा संस्थान अस्तित्व में आ भी गया। कलकत्ता में बनाए गए इस संस्थान में अमला शंकर को निर्देशक बनाया गया।

1968 में अमला शंकर के जीवन में एक और तूफ़ान आया। अड़सठ साल के उदय शंकर ने अमला शंकर को छोड़, आयु में अपने से बहुत छोटी, कलकत्ते के उसी केंद्र की एक छात्रा अनुपमा दास के साथ रहने का फैसला किया। इस हादसे को याद करते हुए अमला ने लिखा है- "पता नहीं क्यों उदय शंकर में कैसी एक विचित्र दुर्बलता दिखाई देने लगी। इस दुर्बलता के साथ एक प्रकार का निरर्थक अहंकार बोध मिला हुआ था। मुझे पता था इसका फल उन दोनों के लिए अंततः मंगल-जनक नहीं होगा। अंतिम दिनों में उदय शंकर ने इसके लिए पश्चाताप भी किया था, लेकिन तब तक मेरे भीतर प्रेम के सम्बन्ध को लेकर गहरा अविश्वास पैदा हो चुका था"। उदय शंकर ने अपनी वसीयत में अपनी सारी धरोहर अनुपमा दास के नाम कर दी, जिसमें ‘कल्पना’ का कॉपीराइट और ऐतिहासिक महत्त्व की अनगिनत चीजें थीं जिन्हें बाद के वर्षों में अनुपमा ने कौड़ियों के दाम बेच डाला।[2]

जब तक शरीर में ताकत रही, अमला शंकर कलकत्ता के उस नृत्य संस्थान में अगले पचास वर्षों तक उदय शंकर घराने की नृत्य शैली को जीवित रखे रहीं। उनको जानने वाले उन्हें शक्ति के ऐसे पुंज के रूप में याद रखते हैं जिसने 1999 में अपने बेटे आनंद की मौत के बाद भी नृत्य की कक्षाएं लेना बंद नहीं किया। 2012 में 'कान फ़िल्म फेस्टीवल' में उन्हें ‘कल्पना’ के प्रदर्शन के लिए बुलाया गया था।

मृत्यु

101 साल की उम्र पूरी करने के बाद 24 जुलाई, 2020 को अमला शंकर खामोशी से इस दुनिया से विदा हो गईं।

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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अब बांग्लादेश में स्थित
  2. 2.0 2.1 2.2 अमला शंकर खामोशी से इस दुनिया से विदा हो गईं (हिंदी) kafaltree.com। अभिगमन तिथि: 27 जुलाई, 2020।

बाहरी कड़ियाँ

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