आकाशवाणी

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ऑल इंडिया रेडियो का प्रतीक चिह्न
प्रकार सरकारी संस्था
स्थापना 1930
संस्थापक भारत सरकार
मुख्यालय संसद मार्ग, नई दिल्ली, भारत
वेबसाइट प्रसार भारती
ध्येय वाक्य बहुजनहिताय बहुजनसुखाय
अन्य जानकारी 'भारतीय प्रसारण सेवा' के नाम से शुरु हुई इस संस्था का 1936 में नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया और 1957 में आकाशवाणी के नाम से पुकारा जाने लगा।
अद्यतन‎

आकाशवाणी अथवा 'ऑल इंडिया रेडियो' (अंग्रेज़ी:All India Radio) भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन संचालित सार्वजनिक क्षेत्र की रेडियो प्रसारण सेवा है। भारत में रेडियो प्रसारण का प्रारम्भ 1920 के दशक में हुआ। पहला कार्यक्रम 1923 में मुंबई के 'रेडियो क्‍लब' द्वारा प्रसारित किया गया। इसके बाद 1927 में मुंबई और कोलकाता में निजी स्‍वामित्‍व वाले दो ट्रांसमीटरों से प्रसारण सेवा की स्‍थापना हुई। सन् 1930 में सरकार ने इन ट्रांसमीटरों को अपने नियंत्रण में ले लिया और भारतीय प्रसारण सेवा के नाम से उन्‍हें परिचालित करना आरंभ कर दिया। 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया और 1957 में आकाशवाणी के नाम से पुकारा जाने लगा।

संगठन और व्‍यवस्‍था

महानिदेशालय, आकाशवाणी 'प्रसार भारती' के अंतर्गत कार्य करता है। प्रसार भारतीय मंडल संगठन की नीतियों के निर्धारण और कार्यान्‍वयन शीर्ष स्‍तर पर सुनिश्‍चित करता है और प्रसार भारती अधिनियम, 1990 के संदर्भ में अधिदेश को पूरा करता है। कार्यपालक सदस्‍य निगम के मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) के रूप में मंडल के नियंत्रण और पर्यवेक्षण हेतु कार्य कारते हैं। सीईओ, सदस्‍य (वित्त) और सदस्‍य, (कार्मिक) प्रसार भारती मुख्‍यालय, द्वितीय तल, पीटीआई भवन, संसद मार्ग, नई दिल्‍ली-110001 से अपने कार्यों का निष्‍पादन करते हैं।

वित्त एवं प्रशासन

वित्त, प्रशासन और कार्मिकों से संबंधित सभी महत्‍वपूर्ण नीतिगत मामले सीईओ के पास भेजे जाते हैं और आवश्‍यकतानुसार सदस्‍य (वित्त) और सदस्‍य (कार्मिक) के माध्‍यम से मंडल को भेजे जाते हैं, ताकि सलाह, प्रस्‍तावों का कार्यान्‍वयन और उन पर निर्णय लिए जा सके। प्रसार भारती सचिवालय में कार्यरत विभिन्‍न विषयों के अधिकारी सीईओ, सदस्‍य (वित्त) और सदस्‍य (कार्मिक) को कार्रवाई, प्रचालन, योजना और नीति कार्यान्‍वयन के समेकन में सहायता देते हैं और साथ ही निगम के बजट, लेखा और सामान्‍य वित्तीय मामलों की देखभाल करते हैं। प्रसार भारती में मुख्‍य सतर्कता अधिकारी के नेतृत्‍व में मुख्‍यालय के एक एकीकृत सतर्कता व्‍यवस्‍था भी है।

महानिदेशालय

आकाशवाणी के महानिदेशालय का नेतृत्‍व महानिदेशक करते हैं। वे सीईओ सदस्‍य (वित्त) और सदस्‍य (कार्मिक) के सहयोग से आकाशवाणी के दैनिक मामलों का निपटान करते हैं। आकाशवाणी में मोटे तौर पर पांच अलग अलग विंग हैं जो विशिष्‍ट गतिविधियों के लिए उत्तरदायी हैं जैसे-

  1. कार्यक्रम
  2. अभियांत्रिकी
  3. प्रशासन
  4. वित्त
  5. समाचार।

कार्यक्रम विभाग

मुख्‍यालय में महानिदेशक की सहायता उप महानिदेशक करते हैं तथा स्‍टेशनों के बेहतर पर्यवेक्षण के लिए क्षेत्रों में उप महानिदेशक करते हैं, क्षेत्रीय उप महानिदेशक के कार्यालय कोलकाता (ईआर), मुम्‍बई और अहमदाबाद (डब्‍ल्‍यूआर), लखनऊ (सीआर-I), भोपाल (सीआर-II), गुवाहाटी (एनईआर), चेन्नई (एसआर-I), बंगलूर (एसआर-II), दिल्ली (एनआर-I) और चंडीगढ़ (एनआर-II) में स्थित हैं।

अभियांत्रिक विभाग

आकाशवाणी के तकनीकी मामलों के संदर्भ में महानिदेशक की सहायता मुख्‍यालय में तैनात मुख्‍य अभियंता तथा इंजीनियर इन चीफ द्वारा और जोनल मुख्य अभियंताओं द्वारा की जाती है। इसके अतिरिक्‍त मुख्‍यालय में आकाशवाणी की विकास संबंधी योजनाओं के संदर्भ में महानिदेशक की सहायता के लिए मुख्‍यालय में योजना और विकास इकाई है। सिविल निर्माण गतिविधियों के संदर्भ में महानिदेशक की सहायता सिविल निर्माण विंग द्वारा की जाती है, जिसका नेतृत्‍व मुख्‍य अभियंता करते हैं। दूरदर्शन की ज़रूरतों को भी सिविल निर्माण विंग पूरा करता है।

प्रशासनिक विभाग

एक उपमहानिदेशक (प्रशासन) महानिदेशक को प्रशासन संबंधी सभी मामलों में सलाह देते हैं जबकि उप महानिदेशक (कार्यक्रम) कार्यक्रम कार्मिकों के प्रशासन में महानिदेशक को सहायता देते हैं। एक निदेशक आकाशवाणी के अभियांत्रिकी प्रशासन की देखभाल करते हैं जबकि एक अन्‍य निदेशक (प्रशासन और वित्त) प्रशासन तथा वित्त के मामलों में महानिदेशक की सहायता करते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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