काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, बंगलौर
काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान बंगलौर में स्थित है। इस संस्थान का अधिदेश राष्ट्रीय स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर काष्ठ विज्ञान पर अनुसन्धान करना है। इस संस्थान ने काष्ठ ऊर्जा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य करते हुए अपने अनुसन्धान क्रियाकलापों को विस्तृत किया है। आज यह देश के प्रसिद्ध अनुसन्धान संस्थानों में से एक है।
स्थापना
यह संस्थान 'भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद' के संस्थानों में से एक है, जिसकी स्थापना 1988 में हुई थी। इससे पहले उस समय की मैसूर सरकार ने 1938 में बंगलौर में एक वन अनुसंधान प्रयोशाला (एफ.आर.एल.) की स्थापना की थी। प्रारंभिक वर्षों में मुख्य रूप से काम विभिन्न इमारती प्रजातियों तथा उनके गणों, आवश्यक तेलों, अन्य अकाष्ठ वन उत्पादों तथा कीटों तथा रोगों से लकड़ी तथा वृक्षों की सुरक्षा पर होता था। 1956 में यह प्रयोगशाला वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के क्षेत्रीय केंद्र के रूप में स्थापित किया गया। 1977 में आनुवंशिकी विभिन्न पहलुओं, वन संवर्धन तथा चंदन के प्रबंधन के लिए चंदन अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया।[1]
- वर्ष 1988 में भारत में वानिकी अनुसंधान की पुर्नस्थापना भा.वा.अ.शि.प. (भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद) के रूप में की गई तथा वन अनुसंधान प्रयोगशाला का उन्नयन किया गया तथा चंदन अनुसंधान केंद्र तथा छोटे वन उत्पाद एकक को मिलाकर 'काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान' नाम प्रदान किया गया।
अधिदेश
इस संस्थान का अधिदेश राष्ट्रीय स्तर तथा क्षेत्रीय स्तर पर काष्ठ विज्ञान पर अनुसंधान करना है। यह वानिकी सेक्टर में समस्याओं से संबंधित अध्ययन तथा कर्नाटक, आंध्र प्रदेश तथा गोवा की विभिन्न अनुसंधान आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करता है। संस्थान ने वृक्ष सुधार तथा पारंपरिक काष्ठ विज्ञानों के अतिरिक्त काष्ठ उर्जा के क्षेत्र में अपनी अनुसंधान क्रियाकलापों को बढ़ावा दिया है। यह संस्थान विस्तृत रूप से काष्ठ के उन्नत उपयोग, मैनग्रोव तथा तटीय पारिस्थितिकी तथा चंदन पर अनुसंधान के क्षेत्र में उन्नत अध्ययन के लिए केंद्र के रूप में मान्यता प्राप्त है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, बंगलौर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 सितम्बर, 2013।
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