दिल्ली के उद्योग

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
बाज़ार का एक दृश्य, दिल्ली

दिल्ली न केवल उत्तर भारत का सबसे बड़ा व्‍यावसायिक केंद्र है, बल्कि यह लघु उद्योगों का भी सबसे बड़ा केंद्र है। इनमें टेलीविज़न, टेपरिकार्डर, हल्‍का इंजीनियरिंग साज-सामान, मशीनें, मोटरगाडियों के हिस्‍से पुर्ज़े, खेलकूद का सामान, साइकिलें, पी.वी.सी. से बनी वस्‍तुएं जूते-चप्‍पल, कपड़ा, उर्वरक, दवाएं, हौजरी का सामान, चमड़े की वस्‍तुएं, सॉफ्टवेयर आदि विभिन्‍न वस्‍तुएं बनाई जाती हैं।

उद्योगों का विकास
  • 20 वीं सदी के प्रारंभ में यहाँ आधुनिक उद्योगों का प्रवेश हुआ।
  • यहाँ के बड़े उद्योगों में कपास की ओटाई, कताई और बुनाई; आटा एव मैदा की मिलें पैकिंग; गन्ने व तेल का प्रसंस्करण प्रमुख थे।
  • लघु उद्योगों में मुद्रण, जूता निर्माण, क़सीदाकारी, बेकरी, शराब निर्माण लोहा तथा पीतल का काम होता है।
  • 1980 के दशक से औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि शुरू हुई। 1981 में 50 हज़ार पंजीकृत औद्योगिक इकाइयों की संख्या बढकर 1990 में 81 हज़ार हो गई।
  • इस कालखंड में औद्योगिक निवेश, उत्पादन और रोज़गार में भी लगभग दुगुनी वृद्धि हुई।
  • 1990 के दशक में इस शहर के आर्थिक स्वरूप में महत्त्वपूर्ण स्थान बन गया और पुरानी दिल्ली ने उत्तर भारत के थोक वाणिज्यिक केंद्र के रूप में अपनी पहचान को और अधिक सुद्ढ़ बना लिया।
  • दिल्‍ली की नई औद्योगिक नीति के अंतर्गत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, टेलीकम्‍यूनि‍केशन, सॉफ्टवेयर उद्योग तथा सूचना प्रौद्योगिकी को समर्थ सेवा बनाने वाले उद्योग लगाने पर बल दिया गया है।
  • दिल्‍ली में ऐसी औद्योगिक इकाइयां लगाने को प्रोत्‍साहन दिया जा रहा है, जिनसे प्रदूषण नहीं फैलता और जिनमें कम कामगारों की आवश्‍यकता होती है।
  • दिल्‍ली राज्‍य औद्योगिक विकास निगम ओखला स्थित व्‍यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र के भवन में रत्न, आभूषण और परख तथा मीनाकारी का एक प्रशिक्षण संस्‍थान खोल रहा है।
दिल्ली में बाज़ार के विभिन्न दृश्य


दिल्ली के बाज़ार का एक दृश्य हलवाई की दुकान, दिल्ली मसाले की दुकान, दिल्ली सरोजिनी नगर, दिल्ली दिल्ली के बाज़ार का एक दृश्य कपड़ो की दुकान, दिल्ली कपड़ो की दुकान, दिल्ली फूलो का बाज़ार, दिल्ली दिल्ली के बाज़ार का एक दृश्य


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख