बर्ड फ़्लू

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एवियन इंफ़्लूएंजा विषाणु की संरचना

बर्ड फ़्लू एक विषाणुजनित रोग है। यह एक प्रकार का इन्फ़्लूएंजा विषाणु है। पक्षियों में एक-दूसरे से फैलने वाला यह विषाणु काफी संक्रामक होता है। यह उनमें सांस की गंभीर बीमारी का कारण बनता है। इसके कई स्ट्रेन हैं, लेकिन एच5एन1 (H5N1) सबसे खतरनाक है। इंसानों में इस विषाणु के मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं। इस विषाणु से मृत्यु दर 60 फीसदी है।

क्या है बर्ड फ़्लू

बर्ड फ़्लू वास्तव में एक संक्रामक बीमारी है। यह इन्फ़्लूएंजा टाइप ए विषाणु की मदद से फैलता है जो आमतौर पर मुर्गी, कबूतर और इस तरह के पक्षियों में पाया जाता है। इस विषाणु के बहुत से स्ट्रेन हैं। इसमें से कुछ माइल्ड होते हैं जबकि कुछ बहुत अधिक संक्रामक होते हैं और उससे बहुत बड़े पैमाने पर पक्षियों के मरने का खतरा पैदा हो जाता है।[1]

प्रकार

बर्ड फ़्लू को एवियन इंफ़्लूएंजा भी कहते हैं। यह बहुत संक्रामक और कोरोना विषाणु की तुलना में ज्यादा घातक है। एनफ़्लूएंजा के 11 विषाणु हैं जो इंसानों को संक्रमित करते हैं। लेकिन इनमें से सिर्फ पांच ऐसे हैं जो इंसानों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। ये हैं-

  1. H5N1
  2. H7N3
  3. H7N7
  4. H7N9
  5. H9N2।

महामारी

बर्ड फ़्लू पक्षियों के जरिये ही इंसानों में फैलता है। इस विषाणु को एचपीएआई कहा जाता है। इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक H5N1 बर्ड फ़्लू विषाणु है। बर्ड फ़्लू अब तक दुनिया में चार बार बड़े पैमाने पर फैल चुका है। अब तक 60 से ज्यादा देशों में बर्ड फ़्लू महामारी का रूप ले चुका है। H5N1 बर्ड फ़्लू विषाणु के साथ एक सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इसका विषाणु हवा से फैलता है। इसके साथ ही विषाणु तेज़ीसे म्यूटेशन भी करता है। इंसानों से इंसानों में बर्ड फ़्लू संक्रमण के मामले कम देखे गए हैं, पक्षियों और जानवरों के जरिए इंसानों में इसका संक्रमण जरूर फैल रहा है। चीन के गुआंगडोंग में इंसानों को H5N1 बर्ड फ़्लू विषाणु ने पहली बार 1997 में संक्रमित किया था। अब तक H5N1 बर्ड फ़्लू विषाणु का यही म्यूटेशन वाला विषाणु संक्रमण फैलाता रहा है।

लक्षण

लोगों में बर्ड फ़्लू के लक्षणों को लेकर भी तरह-तरह के सवाल हैं। हालांकि, भारत में अब तक बर्ड फ़्लू का कोई केस दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन जब यह संक्रमण होता है तो सबसे पहले साँस में तकलीफ़ होने लगती है। इस संक्रमण के होने पर निमोनिया जैसे लक्षण देखे जाते हैं। इस संक्रमण में बुख़ार, सर्दी, गले में ख़राश और पेट दर्द सामान्य लक्षण हैं।[2]

बचाव

वह लोग जो मुर्ग़ी-पालक हैं, किसी पॉल्ट्री फ़ार्म में काम करते हैं, मुर्ग़ी या पक्षियों का माँस बेचते हैं, उनमें यह संक्रमण होने की सबसे अधिक आशंका होती है। ऐसे सभी लोगों को इससे बचाव के लिए हाथों में दस्ताने पहनने चाहिए और चेहरे पर मास्क लगाना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार, इतना करने से काफ़ी बचाव संभव है। जानकार यह भी कहते हैं कि जो सावधानियाँ कोरोना के समय में बरती गईं, वही सावधानियाँ बर्ड फ़्लू से बचाव में भी कारगर हैं। जल्दी-जल्दी हाथ धोना, सेनेटाइज़र का इस्तेमाल, चेहरे को कम से कम छूना; ये कुछ ऐसे उपाय हैं जो इस संक्रमण को फैलने से रोक सकते हैं। इसके साथ ही यह भी सलाह दी जाती है कि अगर आपके आसपास पक्षियों की अचानक अप्राकृतिक रूप से मृत्यु होती है तो इसके बारे में स्थानीय प्रशासन को तुरंत सूचना दें।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बर्ड फ़्लू के बारे में यहां जानिए सब कुछ (हिंदी) economictimes.indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 09 जनवरी, 2020।
  2. कोरोना के बीच बर्ड फ़्लू की दस्तक (हिंदी) bbc.com। अभिगमन तिथि: 09 जनवरी, 2020।

बाहरी कड़ियाँ

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