माया कैलेंडर
माया कैलेंडर (मायान/मायन या मयन/ मेसो) अमेरिकन सभ्यता की देन है। क़रीब 250 से लेकर 900 ईसा पूर्व (AD) तक उत्तरी और मध्य अमेरिका (साउथ ईस्ट मेक्सिको, बैलीज़, पश्चिमी होंडूरास और अल सल्वाडोर) में माया संस्कृति नामक एक प्राचीन सभ्यता विकसित हुई थी। इसे मेसो-अमेरिकन सभ्यता भी कहा जाता है। माया सभ्यता कोलंबियाई मीसो अमेरिकी सभ्यता से पहले की मानी जाती है। जहां पर आज मैक्सिको का यूकाटन नामक स्थान है वहां किसी जमाने में माया सभ्यता के लोग रहा करते थे। माया सभ्यता के लोग कला, गणित, वास्तुशास्त्र, ज्योतिष और लेखन आदि के क्षेत्र में काफ़ी अग्रणी थे। स्पेनी आक्रांताओं के आने के बाद उनकी सभ्यता और संस्कृति का धीरे धीरे क्षरण होने लगा। ग्वाटेमाला, मैक्सिको, होंडुरास तथा यूकाटन प्रायद्वीप में इस सभ्यता के अवशेष खोजकर्ताओं को मिले हैं।
ऐतिहासिक प्रमाण
यूं तो इस इलाक़े में ईसा से दस हज़ार साल पहले से बसावट शुरू होने के प्रमाण मिले हैं और 1800 साल ईसा पूर्व से प्रशांत महासागर के तटीय इलाक़ों में गांव भी बसने शुरू हो चुके थे। लेकिन कुछ पुरातत्व वेत्ताओं का मानना है कि ईसा से कोई एक हज़ार साल पहले, माया सभ्यता के लोगों ने आनुष्ठानिक इमारतें बनाना शुरू कर दिया था और 600 साल ईसापूर्व तक बहुत से परिसर बना लिए थे। सन् 250 से 900 के बीच विशाल स्तर पर भवन निर्माण कार्य हुआ, शहर बसे। इसे कलात्मक विकास का स्वर्ण युग कहा जाता है। कृषि का विकास हुआ और नगर प्रधान राज्य बने। उनकी सबसे उल्लेखनीय इमारतें पिरामिड हैं जो उन्होंने धार्मिक केंद्रों में बनाईं लेकिन फिर सन् 900 के बाद माया सभ्यता के इन नगरों का ह्रास होने लगा और नगर ख़ाली हो गए। ऐसा क्यों हुआ इसपर बहुत से मत हैं। कुछ का मानना है कि विदेशी आक्रमण या विद्रोह के कारण इस सभ्यता का पतन हुआ और कुछ कहते हैं कि किसी प्राकृतिक विपदा या महामारी के कारण ऐसा हुआ।
गणित और खगोल के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास
प्राचीन माया सभ्यता के काल में गणित और खगोल के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास हुआ। माया संस्कृति के लोग प्रखर खगोलशाष्त्री और ज्योतिष थे। इस मेसो अमेरिकन सभ्यता की सबसे बड़ी ख़ासियत इसका खगोलीय ज्ञान थी। इस सभ्यता ने शुक्र को आधार बनाकर भविष्यवाणी कीं। इस सभ्यता ने चंद्रमा से धरती की दूरी और विभिन्न ग्रहों की स्थिति की इतनी सटीक जानकारी दी कि वैज्ञानिक भी हैरत में हैं। माया-सभ्यता के युग के लोगों ने विभिन्न घटनाओं, धार्मिक त्योहारों और जन्म-मरण संबंधी बातों का रिकार्ड रखने के लिए कैलेंडर का विकास किया था। अपने ज्ञान के आधार पर माया लोगों ने एक कैलेंडर बनाया था। कहा जाता है कि उनके द्वारा बनाया गया कैलेंडर इतना सटीक निकला है कि आज के सुपर कम्प्यूटर भी उसकी गणनाओं में 0.06 तक का ही फ़र्क़ निकाल सके और माया कैलेंडर के अनेक आकलन, जिनकी गणना हजारों सालों पहले की गई थी, सही साबित हुए हैं।
सामान्य परिचय
माया कैलेंडर का एक साल 290 दिन का होता है। माया कैलेंडर में तारीख तीन प्रकार से निर्धारित होते हैं। तारीख का निर्धारण लंबी गिनती, जॉलकिन यानि ईश्वरीय कैलेंडर और हाब यानि लोक कैलेंडर के जरिए होता है। इन्हीं के आधार पर माया सभ्यता के लोग भविष्यवाणियां करते हैं। माया सभ्यता की गणना और पंचांग को ही माया कैलेंडर कहा जाता है। माया कैलेंडर में 20 - 20 दिनों के 18 महीने होते थे और 365 दिन पूरा करने के लिए 5 दिन अतिरिक्त जोड़ दिए जाते थे। इन 5 दिनों को अशुभ माना जाता था।
माया कैलेंडर के महीने
- Pop (पॉप)
- Uo (उओ)
- Zip (जिप)
- Zotz (जॉ्ट्ज)
- Tzec (टीजेक)
- Xul (जुल)
- Yaxkin (याक्सकिन)
- Mol (मोल)
- Chen (चेन)
- Yax (याक्स)
- Zac (जैक)
- Ceh (सेह)
- Mac (मैक)
- Kankin (कान किन)
- Muan (मुआन)
- Pax (पैक्स)
- Kayab (कयाब)
- Cumbu (कुम्बू)
21 दिसंबर, 2012
माया सभ्यता के लोगों की मान्यता थी कि जब उनके कैलेंडर की तारीखें खत्म होती हैं, तो धरती पर प्रलय आता है और नए युग की शुरुआत होती है। उनके द्वारा विकसित लोंग काउंट कैलेंडर ई. पू. 3114 (BC) से शुरू हो रहा है, जो बक्तूनों में बंटा है। इस कैलेंडर के हिसाब से 394 साल का एक बक्तून होता है और पूरा कैलेंडर 13 बक्तूनों में बंटा है। माया संस्कृति के लोग 13 के आँकड़े को बहुत महत्व देते थे और 13वाँ बकतून 21 दिसम्बर 2012 के आसपास समाप्त होता है। इसीलिये माना गया कि 21 दिसंबर, 2012 को पृथ्वी का विनाश हो जायेगा। कैलेंडर के अनुसार यह बताया गया कि प्लैनेट-एक्स निबिरू नाम का एक ग्रह दिसंबर-2012 को पृथ्वी से टकराएगा और यह टक्कर सुनामी, भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट पैदा करेगी और इस पृथ्वी का नामोनिशान मिट जाएगा। इसके अलावा, इस कैलेंडर ने यह भविष्यवाणी भी की थी कि 26 हज़ार साल में पहली बार सूर्य आकाशगंगा के मध्यवर्ती समतल को पार करेगा। यह धरती के लिए काफ़ी विनाशकारी साबित होगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, क्योंकि नासा एस्ट्रोबायोलॉजी इंस्टिट्यूट के सीनियर साइंटिस्ट डेविड मोरिसन ने कहा कि सूर्य के आकाशगंगा के मध्यवर्ती समतल को पार करने की बात ही सही नहीं है। नेशनल ज्योग्राफिक न्यूज ने अपनी एक रिपोर्ट में भी इन आशंकाओं को वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर सिलसिलेवार ढंग से पूरी तरह खारिज कर दिखाया। कोर्नल विश्वविद्यालय में खगोलविद ऐन मार्टिन के अनुसार मायन कैलेंडर का डिजायन आवर्ती है। ऐसे में यह कहना कि दीर्घ गणना दिसंबर 2012 को समाप्त हो रही है, सही नहीं है। ऐन का कहना है कि यह महज मायन समाज में महान् कैलेंडर चक्र की समाप्ति है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे हमारी सभ्यता ने नई सहस्त्राब्दी का स्वागत किया था। इस प्रकार यह माना जा सकता है कि माया कैलेण्डर के वर्ष का समाप्त होना बिल्कुल सामान्य घटना है। माया कैलेण्डर में एक साथ दो दो साल, पहला 260 दिनों का और दूसरा 365 दिनों के चलते थे। 365 दिन का साल तो निश्चित तौर पर सौर गति पर आधारित होता होगा, जबकि 260 दिनों का साल संभवत: 9 चंद्रमास का होता हो। इस तरह इसके 4 चंद्रवर्ष पूरे होने पर 3 सौरवर्ष ही पूरे होते होंगे, जिसका सटीक तालमेल करते हुए वर्ष के आकलन के साथ ही साथ ग्रह नक्षत्रों और सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण तक के आकलन का उन्हें विशिष्ट ज्ञान था। इससे उनके गणित ज्योतिष के विशेषज्ञ होने का पता तो चलता है, पर फलित ज्योतिष की विशेषज्ञता की पुष्टि नहीं होती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- दुनिया के अंत पर माया कैलेंडर की भविष्यवाणी का सच
- माया कैलेंडर के अनुसार 2012 में दुनिया होगी खत्म?
- ‘माया’ नहीं रही, चलती रहेगी कालगणना
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