मुण्डा आन्दोलन

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मुण्डा विद्रोह या 'बिरसा विद्रोह' का प्रारम्भ ब्रिटिश भारत में 1895 में हुआ। यह विद्रोह छोटा नागपुर में एक 21 वर्षीय युवक बिरसा मुंडा ने प्रारम्भ किया था, जिससे ब्रिटिश सरकार थर्रा उठी। बिरसा के साथी थे- गया मुण्डा, देयका मुण्डा, पनाई मुण्डा, सुन्दर मुण्डा, तिबु मुण्डा, जोहन मुण्डा, दुखन स्वांसी, हतिराव मुण्डा तथा रिसा मुण्डा आदि। ये लोग 1895 से 1900 तक छोटा नागपुर में अंग्रेज़ों की प्रभुता को सदैव चुनौती देते रहे। यह विद्रोह बाद में 'बिरसा विद्रोह' के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस आन्दोलन कें मुख्य केन्द्र खूंटी था।

  • विद्रोह मुख्य रूप से 'बिरसा मुण्डा' के नेतृत्व में 'मुण्डा' आदिवासियों के द्वारा किया गया था।
  • परंपरागत रूप से प्रचलित सामूहिक कृषि पर जागीरदारों, ठेकेदारों, बनियों, सूदखोरों के शोषण के कारण ही यह विद्रोह फूटा।
  • बिरसा मुण्डा ने 'उलगुलान' की उपाधि धारण कर स्वयं को भगवान का दूत घोषित कर दिया।
  • 1899 ई. में बिरसा ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर मुण्डा जाति का शासन स्थापित करने के लिए विद्रोह की घोषणा की थी।


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