मोरोपंत पिंगले
मोरेश्वर नीलकण्ठ पिंगले (अंग्रेज़ी: Moreshwar Nilkanth Pingley, जन्म- 30 दिसम्बर, 1919, जबलपुर; मृत्यु- 21 सितम्बर, 2003, नागपुर) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अग्रणी नेता थे। उन्हें मोरोपंत पिंगले के नाम से अधिक जाना जाता है। उन्हें मराठी में "हिन्दु जागरणाचा सरसेनानी" (हिन्दू जनजागरण के सेनापति) की उपाधि से विभूषित किया गया है। आरएसएस के प्रचारक के रूप में उन्होंने काफ़ी लम्बे समय अनेक उत्तरदायित्वों का कुशलता से निर्वहन किया। रामजन्म भूमि आंदोलन के रणनीतिकारों में से मोरोपंत पिंगले एक थे।
परिचय
मोरोपंत पिंगले का जन्म 30 दिसम्बर, 1919 को जबलपुर, मध्य प्रदेश में हुआ था। वे 1930 में संघ के स्वयंसेवक बने और डाक्टर हेडगेवार जी का सान्निध्य उन्हें प्राप्त हुआ। उन्होंने नागपुर के मौरिस कालेज से बी.ए. तक की शिक्षा पूर्ण कर 1941 में प्रचारक जीवन की शुरुआत की। आरम्भ में वे मध्य प्रदेश में खंडवा के सह-विभाग प्रचारक बने। बाद में मध्य भारत के प्रांत प्रचारक तथा 1946 में महाराष्ट्र के सह प्रांत प्रचारक का दायित्व संभाला।
कार्य
- श्री गुरुजी स्मृति संकलन समिति द्वारा श्री गुरुजी के विचारों के संकलन के मार्गदर्शन में मीनाक्षीपुरम के मतान्तरण की घटना के पश्चात् संपूर्ण देश में संस्कृति रक्षा अभियान का कार्य।
- 1973 में स्थापित बाबा साहब आप्टे स्मारक समिति के अंतर्गत इतिहास संशोधन एवं संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- छत्रपति शिवाजी महाराज की 300वीं पुण्यतिथि के अवसर पर रायगढ़ में भव्य कार्यक्रम की योजना बनाई।
- मोरोपंत पिंगले साप्ताहिक विवेक (मुम्बई) की विस्तार योजना के जनक थे तथा नाना पालकर स्मृति समिति की प्रेरणा उन्होंने ही दी थी।
- गोरक्षा, गो-अनुसंधान तथा वैदिक गणित के प्रबल आग्रही।
- आंध्र प्रदेश स्थित डाक्टर हेडगेवार के पैतृक गांव कंदकूर्ति में उनके परिवार के कुलदेवता के मन्दिर को भव्य रूप दिया।
- नागपुर में स्मृति मन्दिर के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका।
- महाराष्ट्र में वनवासी क्षेत्र में सेवा कार्य प्रारंभ करना।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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