सफल राजनीतिज्ञ वह जो जन गण में व्याप्त । जिस पद को वह पकड़ ले कभी न होय समाप्त ॥ कभी न होय समाप्त, घुमाए पहिया ऐसा । पैसा से पद मिले, मिले फिर पद से पैसा ॥ कह काका, यह क्रम न कभी जीवन-भर टूटे । नेता वही सफल और सब नेता झूठे ॥