"साँचा:दाग़ देहलवी की रचनाएँ": अवतरणों में अंतर
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|रचना 24=न रवा कहिये न सज़ा कहिये | |रचना 24=न रवा कहिये न सज़ा कहिये | ||
|रचना 25=न बदले आदमी जन्नत से भी बैतुल-हज़न अपना | |रचना 25=न बदले आदमी जन्नत से भी बैतुल-हज़न अपना | ||
|रचना 26= | |रचना 26=न जाओ हाल-ए-दिल-ए-ज़ार देखते जाओ | ||
|रचना 27= | |रचना 27=दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें | ||
|रचना 28= | |रचना 28=दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने | ||
|रचना 29= | |रचना 29=दर्द बन के दिल में आना | ||
|रचना 30= | |रचना 30=तेरी महफ़िल में यह कसरत कभी थी | ||
|रचना 31= | |रचना 31=तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था | ||
|रचना 32= | |रचना 32=डरते हैं चश्म-ओ-ज़ुल्फ़, निगाह-ओ-अदा से हम | ||
|रचना 33= | |रचना 33=ज़बाँ हिलाओ तो हो जाए, फ़ैसला दिल का | ||
|रचना 34= | |रचना 34=जवानी गुज़र गयी | ||
|रचना 35= | |रचना 35=ग़म से कहीं नजात मिले चैन पाएँ हम | ||
|रचना 36= | |रचना 36=ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया | ||
|रचना 37= | |रचना 37=ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया | ||
|रचना 38= | |रचना 38=क्यों चुराते हो देखकर आँखें | ||
|रचना 39= | |रचना 39=क्या लुत्फ़-ए-सितम यूँ उन्हें हासिल नहीं होता | ||
|रचना 40= | |रचना 40=काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है | ||
|रचना 41= | |रचना 41=कहाँ थे रात को हमसे ज़रा निगाह मिले | ||
|रचना 42= | |रचना 42=उनके एक जां-निसार हम भी हैं | ||
|रचना 43= | |रचना 43=उज्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं | ||
|रचना 44= | |रचना 44=इस अदा से वो वफ़ा करते हैं | ||
|रचना 45= | |रचना 45=आरजू है वफ़ा करे कोई | ||
|रचना 46= | |रचना 46= | ||
|रचना 47= | |रचना 47= | ||
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|रचना 84= | |रचना 84= | ||
|रचना 85= | |रचना 85= | ||
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|रचना 88= | |रचना 88= |