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'''उपरकोट''' [[गुजरात]] राज्य के जूनागढ़ ज़िले में स्थित है। | |||
*उपरकोट में संभवत: गुप्तकालीन कई गुफाएं है जो दोमंजिली हैं। | *उपरकोट में संभवत: गुप्तकालीन कई गुफाएं है जो दोमंजिली हैं। | ||
*गुफाओं के स्तंभों पर उभरी हुई धारियाँ अंकित हैं जो गुप्तकालीन गुहास्तंभी की विशिष्ट अलंकरण शैली थी। | *गुफाओं के स्तंभों पर उभरी हुई धारियाँ अंकित हैं जो गुप्तकालीन गुहास्तंभी की विशिष्ट अलंकरण शैली थी। | ||
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अर्थात् अड़ीचड़ी बाव और नौगुण कुआ जिसने नहीं देखा वह जीवित ही मृत है। | अर्थात् अड़ीचड़ी बाव और नौगुण कुआ जिसने नहीं देखा वह जीवित ही मृत है। | ||
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13:01, 19 जुलाई 2012 का अवतरण

उपरकोट गुजरात राज्य के जूनागढ़ ज़िले में स्थित है।
- उपरकोट में संभवत: गुप्तकालीन कई गुफाएं है जो दोमंजिली हैं।
- गुफाओं के स्तंभों पर उभरी हुई धारियाँ अंकित हैं जो गुप्तकालीन गुहास्तंभी की विशिष्ट अलंकरण शैली थी।
- गुर्जरनरेश सिद्धराज के शासनकाल में यहाँ खंगार राजपूतों का एक दुर्ग था और दुर्ग के निकट अड़ीचड़ी बाव नाम की एक बाबड़ी थी जो आज भी विद्यमान है।
- इस बावड़ी के संबंध में यहाँ एक गुजराती कहावत भी प्रचलित है- '
अड़ीचड़ी बाव अने नौगुण कुआ जेणो न जोयो तो जीवितो मुयो
अर्थात् अड़ीचड़ी बाव और नौगुण कुआ जिसने नहीं देखा वह जीवित ही मृत है।