"भारतीय संग्रहालय": अवतरणों में अंतर
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'''भारतीय संग्रहालय''' [[पश्चिम बंगाल]] के शहर [[कोलकाता]] में स्थित है। यह एशिया के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है। इसकी स्थापना 1814 ई. में की गई थी। यहाँ जीवाश्म, प्राचीन सिक्के, पत्थर, गांधार कलाकृति, उल्कापिंड इत्यादि महत्वपूर्ण चीज़ें रखी हुई हैं। इस म्यूजियम में एक 4000 साल पुराना पुराशव भी है। इसके अलावा यहाँ एक कलश भी है। कहा जाता है कि इस कलश में भगवान [[बुद्ध]] के अस्थि अवशेष रखे हुए हैं। | '''भारतीय संग्रहालय''' [[पश्चिम बंगाल]] के शहर [[कोलकाता]] में स्थित है। यह एशिया के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है। इसकी स्थापना 1814 ई. में की गई थी। यहाँ जीवाश्म, प्राचीन सिक्के, पत्थर, गांधार कलाकृति, उल्कापिंड इत्यादि महत्वपूर्ण चीज़ें रखी हुई हैं। इस म्यूजियम में एक 4000 साल पुराना पुराशव भी है। इसके अलावा यहाँ एक कलश भी है। कहा जाता है कि इस कलश में भगवान [[बुद्ध]] के अस्थि अवशेष रखे हुए हैं। | ||
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पुरातत्व विषय [[अवशेष|अवशेषों]] को संग्रहित करने की सबसे पहले 1796 ई. में आवश्यकता महसूस की गर्इ जब [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] की [[एशियाटिक सोसायटी]] ने पुरातत्वीय, नृजातीय, भूवैज्ञानिक, प्राणि-विज्ञान दृष्टि से महत्व रखने वाले विशाल संग्रह को एक जगह पर एकत्र करने की आवश्यकता महसूस की। किंतु उनके द्वारा पहला संग्रहालय 1814 में प्रारंभ किया गया। इस एशियाटिक सोसायटी संग्रहालय के नाभिक से ही बाद में [[भारतीय संग्रहालय]], [[कोलकाता]] का जन्म हुआ। [[भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग|भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण]] में भी, इसके प्रथम महानिदेशक [[कनिंघम|एलेक्जेंडर कनिंघम]] के समय से प्रारंभ किए गए विभिन्न खोजी अन्वेषणों के कारण विशाल मात्रा में पुरातत्व विषयक अवशेष एकत्रित किए गए। स्थल संग्रहालयों का सृजन सर जॉन मार्शल के आने के बाद हुआ, जिन्होंने [[सारनाथ संग्रहालय|सारनाथ]] (1904), आगरा (1906), अजमेर (1908), [[लाल क़िला दिल्ली|दिल्ली क़िला]] (1909), बीजापुर (1912), नालंदा (1917) तथा सांची (1919) जैसे स्थानीय संग्रहालयों की स्थापना करना प्रारंभ किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक पूर्व महानिदेशक हरग्रीव्स द्वारा स्थल-संग्रहालयों की अवधारणा की बड़ी अच्छी तरह से व्याख्या की गई है। | पुरातत्व विषय [[अवशेष|अवशेषों]] को संग्रहित करने की सबसे पहले 1796 ई. में आवश्यकता महसूस की गर्इ जब [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] की [[एशियाटिक सोसायटी]] ने पुरातत्वीय, नृजातीय, भूवैज्ञानिक, प्राणि-विज्ञान दृष्टि से महत्व रखने वाले विशाल संग्रह को एक जगह पर एकत्र करने की आवश्यकता महसूस की। किंतु उनके द्वारा पहला संग्रहालय 1814 में प्रारंभ किया गया। इस एशियाटिक सोसायटी संग्रहालय के नाभिक से ही बाद में [[भारतीय संग्रहालय]], [[कोलकाता]] का जन्म हुआ। [[चित्र:Indain-museum-kolkata.jpg|thumb|left|भारतीय संग्रहालय, [[कोलकाता]]]] [[भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग|भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण]] में भी, इसके प्रथम महानिदेशक [[कनिंघम|एलेक्जेंडर कनिंघम]] के समय से प्रारंभ किए गए विभिन्न खोजी अन्वेषणों के कारण विशाल मात्रा में पुरातत्व विषयक अवशेष एकत्रित किए गए। स्थल संग्रहालयों का सृजन सर जॉन मार्शल के आने के बाद हुआ, जिन्होंने [[सारनाथ संग्रहालय|सारनाथ]] (1904), आगरा (1906), अजमेर (1908), [[लाल क़िला दिल्ली|दिल्ली क़िला]] (1909), बीजापुर (1912), नालंदा (1917) तथा सांची (1919) जैसे स्थानीय संग्रहालयों की स्थापना करना प्रारंभ किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक पूर्व महानिदेशक हरग्रीव्स द्वारा स्थल-संग्रहालयों की अवधारणा की बड़ी अच्छी तरह से व्याख्या की गई है। <br /> | ||
'[[भारत सरकार]] की यह नीति रही है कि प्राचीन स्थलों से प्राप्त किए गए छोटे और लाने एवं लेजा सकने योग्य पुरावशेषों को उन खंडहरों के निकट संपर्क में रखा जाए जिससे वे संबंधित है ताकि उनके स्वाभाविक वातावरण में उनका अध्ययन किया जा सके और स्थानांतरित हो जाने के कारण उन पर से ध्यान हट नहीं जाए।' मॉर्टिन व्हीलर द्वारा [[1946]] में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए एस आई) में एक पृथक संग्रहालय शाखा का सृजन किया गया। आज़ादी के बाद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में स्थल-संग्रहालयों के विकास में बहुत तेजी आई। वर्तमान में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियंत्रणाधीन 41 स्थल संग्रहालय हैं। <ref>{{cite web |url=http://asi.nic.in/asi_hn_museums.asp |title=संग्रहालय - Museums |accessmonthday=4 जनवरी |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण |language=हिंदी }}</ref> | '[[भारत सरकार]] की यह नीति रही है कि प्राचीन स्थलों से प्राप्त किए गए छोटे और लाने एवं लेजा सकने योग्य पुरावशेषों को उन खंडहरों के निकट संपर्क में रखा जाए जिससे वे संबंधित है ताकि उनके स्वाभाविक वातावरण में उनका अध्ययन किया जा सके और स्थानांतरित हो जाने के कारण उन पर से ध्यान हट नहीं जाए।' मॉर्टिन व्हीलर द्वारा [[1946]] में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए एस आई) में एक पृथक संग्रहालय शाखा का सृजन किया गया। आज़ादी के बाद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में स्थल-संग्रहालयों के विकास में बहुत तेजी आई। वर्तमान में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियंत्रणाधीन 41 स्थल संग्रहालय हैं। <ref>{{cite web |url=http://asi.nic.in/asi_hn_museums.asp |title=संग्रहालय - Museums |accessmonthday=4 जनवरी |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण |language=हिंदी }}</ref> | ||
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चित्र:Kolkata-Museum-3.jpg| | चित्र:National-Museum-Kolkata.jpg|भारतीय संग्रहालय, [[कोलकाता]] | ||
चित्र:Kolkata-Museum.jpg| | चित्र:Kolkata-Museum-3.jpg|भारतीय संग्रहालय में रखे [[हाथी]] के कंकाल, [[कोलकाता]] | ||
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चित्र:Avalokiteshvara.jpg|अवलोकितेश्वर, | चित्र:Tara-Devi.jpg|[[तारा (देवी स्वरूप)|तारा देवी]], भारतीय संग्रहालय, [[कोलकाता]] | ||
चित्र:Avalokiteshvara.jpg|अवलोकितेश्वर, भारतीय संग्रहालय, [[कोलकाता]] | |||
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==टीका-टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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*[http://www.indianmuseumkolkata.org/ भारतीय संग्रहालय] | *[http://www.indianmuseumkolkata.org/ भारतीय संग्रहालय] | ||
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13:57, 4 जनवरी 2015 का अवतरण
भारतीय संग्रहालय
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विवरण | यह एशिया के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है। |
राज्य | पश्चिम बंगाल |
नगर | कोलकाता |
निर्माण | 1814 ई. |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 22° 33' 29.00", पूर्व- 88° 21' 3.00" |
मार्ग स्थिति | भारतीय संग्रहालय हावड़ा जंक्शन से लगभग 4 किमी की दूरी पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | यहाँ जीवाश्म, प्राचीन सिक्के, पत्थर, गांधार कलाकृति, उल्कापिंड इत्यादि महत्वपूर्ण चीज़ें रखी हुई हैं। |
एस.टी.डी. कोड | 033 |
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गूगल मानचित्र |
संबंधित लेख | मार्बल पैलेस, संत जॉन चर्च, हावड़ा पुल, अलीपुर चिडि़याघर, मिशनरीज ऑफ चैरिटी, काल कोठरी |
अन्य जानकारी | इस संग्रहालय में एक 4000 साल पुराना पुराशव भी है। इसके अलावा यहाँ एक कलश भी है। कहा जाता है कि इस कलश में भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष रखे हुए हैं। |
बाहरी कड़ियाँ | भारतीय संग्रहालय |
अद्यतन | 18:57, 4 जनवरी 2015 (IST)
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भारतीय संग्रहालय पश्चिम बंगाल के शहर कोलकाता में स्थित है। यह एशिया के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है। इसकी स्थापना 1814 ई. में की गई थी। यहाँ जीवाश्म, प्राचीन सिक्के, पत्थर, गांधार कलाकृति, उल्कापिंड इत्यादि महत्वपूर्ण चीज़ें रखी हुई हैं। इस म्यूजियम में एक 4000 साल पुराना पुराशव भी है। इसके अलावा यहाँ एक कलश भी है। कहा जाता है कि इस कलश में भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष रखे हुए हैं।
भारत का पहला संग्रहालय
पुरातत्व विषय अवशेषों को संग्रहित करने की सबसे पहले 1796 ई. में आवश्यकता महसूस की गर्इ जब बंगाल की एशियाटिक सोसायटी ने पुरातत्वीय, नृजातीय, भूवैज्ञानिक, प्राणि-विज्ञान दृष्टि से महत्व रखने वाले विशाल संग्रह को एक जगह पर एकत्र करने की आवश्यकता महसूस की। किंतु उनके द्वारा पहला संग्रहालय 1814 में प्रारंभ किया गया। इस एशियाटिक सोसायटी संग्रहालय के नाभिक से ही बाद में भारतीय संग्रहालय, कोलकाता का जन्म हुआ।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में भी, इसके प्रथम महानिदेशक एलेक्जेंडर कनिंघम के समय से प्रारंभ किए गए विभिन्न खोजी अन्वेषणों के कारण विशाल मात्रा में पुरातत्व विषयक अवशेष एकत्रित किए गए। स्थल संग्रहालयों का सृजन सर जॉन मार्शल के आने के बाद हुआ, जिन्होंने सारनाथ (1904), आगरा (1906), अजमेर (1908), दिल्ली क़िला (1909), बीजापुर (1912), नालंदा (1917) तथा सांची (1919) जैसे स्थानीय संग्रहालयों की स्थापना करना प्रारंभ किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक पूर्व महानिदेशक हरग्रीव्स द्वारा स्थल-संग्रहालयों की अवधारणा की बड़ी अच्छी तरह से व्याख्या की गई है।
'भारत सरकार की यह नीति रही है कि प्राचीन स्थलों से प्राप्त किए गए छोटे और लाने एवं लेजा सकने योग्य पुरावशेषों को उन खंडहरों के निकट संपर्क में रखा जाए जिससे वे संबंधित है ताकि उनके स्वाभाविक वातावरण में उनका अध्ययन किया जा सके और स्थानांतरित हो जाने के कारण उन पर से ध्यान हट नहीं जाए।' मॉर्टिन व्हीलर द्वारा 1946 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए एस आई) में एक पृथक संग्रहालय शाखा का सृजन किया गया। आज़ादी के बाद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में स्थल-संग्रहालयों के विकास में बहुत तेजी आई। वर्तमान में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियंत्रणाधीन 41 स्थल संग्रहालय हैं। [1]
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वीथिका
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संग्रहालय - Museums (हिंदी) भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 4 जनवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख