"सीता मंदिर वाराणसी": अवतरणों में अंतर
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*यह मंदिर मानसून के मौसम में चारों तरफ से पानी से घिर जाता है। माना जाता है कि देवी सीता यहीं पर धरती में समा गई थीं। इस मंदिर में देवी सीता की एक मूर्ति स्थापित है। | *यह मंदिर मानसून के मौसम में चारों तरफ से पानी से घिर जाता है। माना जाता है कि देवी सीता यहीं पर धरती में समा गई थीं। इस मंदिर में देवी सीता की एक मूर्ति स्थापित है। | ||
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*इस शहर में अनगिनत मंदिर हैं। जगन्नाथ मंदिर अस्सीघाट के निकट स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी में [[पुरी]] के प्रसिद्ध मंदिर के अनुकृति के रूप में किया गया था। आषाढ़ महीने (जून-जुलाई) में | *इस शहर में अनगिनत मंदिर हैं। जगन्नाथ मंदिर अस्सीघाट के निकट स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी में [[पुरी]] के प्रसिद्ध मंदिर के अनुकृति के रूप में किया गया था। आषाढ़ महीने (जून-जुलाई) में यहाँ भी रथ यात्रा आयोजित की जाती है। | ||
*लक्ष्मीनारायण पंचरत्न मंदिर भी अस्सीघाट के निकट है। | *लक्ष्मीनारायण पंचरत्न मंदिर भी अस्सीघाट के निकट है। | ||
*अस्सी संगमेश्वर मंदिर भी यहीं पर है। | *अस्सी संगमेश्वर मंदिर भी यहीं पर है। |
05:29, 4 मार्च 2011 का अवतरण
वाराणसी | वाराणसी पर्यटन | वाराणसी ज़िला |
- वाराणसी में देवी सीता का दोमंजिला मंदिर है।
- यह मंदिर मानसून के मौसम में चारों तरफ से पानी से घिर जाता है। माना जाता है कि देवी सीता यहीं पर धरती में समा गई थीं। इस मंदिर में देवी सीता की एक मूर्ति स्थापित है।

- इस शहर में अनगिनत मंदिर हैं। जगन्नाथ मंदिर अस्सीघाट के निकट स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी में पुरी के प्रसिद्ध मंदिर के अनुकृति के रूप में किया गया था। आषाढ़ महीने (जून-जुलाई) में यहाँ भी रथ यात्रा आयोजित की जाती है।
- लक्ष्मीनारायण पंचरत्न मंदिर भी अस्सीघाट के निकट है।
- अस्सी संगमेश्वर मंदिर भी यहीं पर है।
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