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==इतिहास==
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बाराबती क़िले को राजा मुकुंद देव ने सन 1560-1568 में निर्माण करवा कर विशाल क़िले का रूप दिया। सन 1568 से 1603 तक यह क़िला अफ़ग़ानियों, मुगलों और [[मराठा]] के राजाओं के अधीन था उसके बाद सन 1803 में [[अंग्रेज|अंग्रेजों]] ने इस क़िले कों मराठों से छीन लिया। बाद में वे [[भुवनेश्वर]] चले गए और यह क़िला उपेक्षित पड़ा रहा।
बाराबती क़िले को राजा मुकुंद देव ने सन् 1560-1568 में निर्माण करवा कर विशाल क़िले का रूप दिया। सन् 1568 से 1603 तक यह क़िला अफ़ग़ानियों, मुगलों और [[मराठा]] के राजाओं के अधीन था उसके बाद सन् 1803 में [[अंग्रेज|अंग्रेजों]] ने इस क़िले कों मराठों से छीन लिया। बाद में वे [[भुवनेश्वर]] चले गए और यह क़िला उपेक्षित पड़ा रहा।


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बाराबती क़िला, उड़ीसा

बाराबती क़िला उड़ीसा में महानदी के किनारे बना हुआ है और ख़ूबसूरती से तराशे गए दरवाज़ों और नौ मंज़िला महल के लिए प्रसिद्ध है।

स्थापना

बाराबती क़िले का निर्माण गंग वंश ने 14वीं शताब्दी में करवाया था। ऐसी मान्यता है कि युद्ध के समय नदी के दोनों किनारों पर बने क़िले इस क़िले की रक्षा करते थे। वर्तमान में इस क़िले के साथ एक अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍टेडियम है, जो पांच एकड़ में फैले इस स्‍टेडियम में लगभग 30000 से भी ज्‍यादा लोग बैठ सकते हैं। यहां खेल प्रतियोगिताओं और सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों का अयोजन होता रहता है।

इतिहास

बाराबती क़िले को राजा मुकुंद देव ने सन् 1560-1568 में निर्माण करवा कर विशाल क़िले का रूप दिया। सन् 1568 से 1603 तक यह क़िला अफ़ग़ानियों, मुगलों और मराठा के राजाओं के अधीन था उसके बाद सन् 1803 में अंग्रेजों ने इस क़िले कों मराठों से छीन लिया। बाद में वे भुवनेश्वर चले गए और यह क़िला उपेक्षित पड़ा रहा।


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