"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Bermuda-Triangle.jpg|right|120px|बरमूडा त्रिभुज]]'बरमूडा त्रिभुज' [[अटलांटिक महासागर]] का वह भाग है, जिसे 'दानवी त्रिकोण', 'शैतानी त्रिभुज', 'मौत के त्रिकोण' और 'भुतहा त्रिकोण' आदि नामों से भी जाना जाता है। यह एक रहस्यमयी जल क्षेत्र जो उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित है, जिसकी गुत्थी आज तक कोई नहीं सुलझा सका है। यहाँ अब तक सैकड़ों की संख्या में विमान, पानी के जहाज़ तथा व्यक्ति गये और संदिग्ध रूप से लापता हो गये। लाख कोशिशों के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका। यही वह कारण है कि आज भी इसके आस-पास से गुजरने वाले जहाजों और वायुयानों के चालक दल के सदस्य व यात्री सिहर उठते हैं। सैकडॊं वर्षों से '[[बरमूडा त्रिभुज]]' वैज्ञानिकों, इतिहासकारों और खोजकर्ताओं के लिए भी एक बड़ा रहस्य बना हुआ है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बरमूडा त्रिभुज]] | |||
{[[मरुस्थल]] में उगने वाले पौधों की जड़ें लम्बी होती हैं, क्योंकि-?(पृ.सं. 658 | {[[मरुस्थल]] में उगने वाले पौधों की जड़ें लम्बी होती हैं, क्योंकि-?(पृ.सं. 658 | ||
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-मरुस्थलीय पौधों में मोटे तने पाये जात हैं। | -मरुस्थलीय पौधों में मोटे तने पाये जात हैं। | ||
-उपरोक्त में से कोई नहीं। | -उपरोक्त में से कोई नहीं। | ||
||[[चित्र:Sonoran-Desert.jpg|right|100px|मरुस्थल के पौधे]][[मरुस्थल]] या रेगिस्तान एक बंजर और शुष्क क्षेत्र है, जहाँ वनस्पति नहीं के बराबर होती है। यहाँ केवल वही पौधे पनप सकते हैं, जिनमें [[जल]] संचय करने की अथवा [[पृथ्वी]] के बहुत नीचे से जल प्राप्त करने की अदभुत क्षमता हो। यहाँ पर उगने वाले पौधे ज़मीन के काफ़ी नीचे तक अपनी जड़ों को विकसित कर लेते हैं, जिस कारण नीचे की नमी को ये आसानी से ग्रहण कर लेते हैं। मरुस्थल में [[मिट्टी]] की पतली चादर, जो वायु के तीव्र वेग से पलटती रहती है और जिसमें खाद-मिट्टी आदि का प्राय: अभाव होता है, वह उपजाऊ नहीं होती। इन क्षेत्रों में [[वर्षा]] बहुत कम और कहीं-कहीं ही हो पाती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मरुस्थल]] | |||
{'सिमोन' नामक हवाएँ किस [[रेगिस्तान]] में बहती हैं?(भारतकोश) | {'सिमोन' नामक हवाएँ किस [[रेगिस्तान]] में बहती हैं?(भारतकोश) | ||
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+[[सहारा रेगिस्तान]] | +[[सहारा रेगिस्तान]] | ||
-[[दि ग्रेट विक्टोरिया रेगिस्तान]] | -[[दि ग्रेट विक्टोरिया रेगिस्तान]] | ||
||[[चित्र:Sahara-Desert-3.jpg|right|120px|सहारा रेगिस्तान]]'सहारा रेगिस्तान' या 'ग्रेट सहारा रेगिस्तान' विश्व का सर्वाधिक गर्म और [[अंटार्कटिका महाद्वीप|अंटार्कटिका]] के बाद दूसरा सबसे विशाल [[रेगिस्तान]] है। यह उत्तरी अफ़्रीका में स्थित है। यह रेगिस्तान इतना बड़ा है कि विश्व की समस्त मरुभूमि का यह आधा भाग है। माना जाता है कि किसी समय सहारा हरा-भरा क्षेत्र हुआ करता था और उसके कुछ भाग पर [[सागर]] लहराता था। [[सहारा रेगिस्तान]] में आने वाले तूफ़ान अक्सर स्थानीय होते हैं, जो क़रीब 20 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले छोटे क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। सहारा की मौसम प्रणाली में तेज तथा अनिश्चित हवाएँ जटिल होती हैं। इनका नाम 'खमसिन', 'सिरोक्कू', 'शहली' और 'सिमोन' है, जो दिन के पिछले भाग में बहती हैं। ये हवाएँ अपने साथ धूल और बालू की विशाल मात्रा लाती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सहारा रेगिस्तान]] | |||
{निम्नांकित में से कौन एक सुमेलित नहीं है?(पृ.सं. 661 | {निम्नांकित में से कौन एक सुमेलित नहीं है?(पृ.सं. 661 | ||
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+[[चेन्नई]] - [[भारत]] का सबसे गहरा पत्तन। | +[[चेन्नई]] - [[भारत]] का सबसे गहरा पत्तन। | ||
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-जवाहरलाल नेहरू पत्तन - [[भारत]] का एकमात्र मशीनीकृत पत्तन। | -जवाहरलाल नेहरू पत्तन - [[भारत]] का एकमात्र मशीनीकृत पत्तन। | ||
-कांडला - ज्वारीय पत्तन। | -कांडला - ज्वारीय पत्तन। | ||
||[[चित्र:Marina-Beach-Chennai-2.jpg|right|120px|मरीना बीच, चेन्नई]]चेन्नई (भूतपूर्व [[मद्रास]]), [[तमिलनाडु]] राज्य की राजधानी है। यह [[दक्षिणी भारत]] में '[[बंगाल की खाड़ी]]' के कोरोमण्डल तट पर स्थित है। तमिलनाडु की राजधानी [[चेन्नई]], [[भारत]] के चार महानगरों में से एक है। [[समुद्र]] किनारे बसे इस शहर में बंदरगाह भी है। इसे पहले मद्रास के नाम से जाना जाता था। मद्रास मछुआरे के गाँव मद्रासपटनम का छोटा रूप था, जहाँ ब्रिटिश '[[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]]' ने 1639-1640 में एक क़िले और व्यापारिक चौकी का निर्माण किया था। उस समय सूती कपड़े की बुनाई एक स्थानीय उद्योग था और [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने बुनकरों तथा स्थानीय व्यापारियों को क़िले के आस-पास बसने के लिए बुलाया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चेन्नई]] | |||
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09:21, 17 मार्च 2013 का अवतरण
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