"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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{निम्न में से किसे 'राजस्थान का स्वर्ग' माना जाता है? | {निम्न में से किसे 'राजस्थान का स्वर्ग' माना जाता है? | ||
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||[[चित्र:Nakki-Jheel-Mount-Abu-Rajasthan.jpg|right|100px|नक्की झील, माउण्ट आबू]]'माउण्ट आबू' [[राजस्थान]] का एकमात्र हिल स्टेशन है। समुद्र तल से 1,220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित [[माउण्ट आबू]] को "राजस्थान का स्वर्ग" भी माना जाता है। नीलगिरि की पहाड़ियों पर बसे माउण्ट आबू की भौगोलिक स्थित और वातावरण राजस्थान के अन्य शहरों से भिन्न व मनोरम है। यह स्थान राज्य के अन्य हिस्सों की तरह गर्म नहीं है। माउण्ट आबू [[हिन्दू धर्म]] और [[जैन धर्म]] का प्रमुख [[तीर्थ स्थल]] है। पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू धर्म के तैंतीस करोड़ [[हिन्दू देवी-देवता|देवी-देवता]] इस पवित्र [[पर्वत]] पर भ्रमण करते हैं। यह भी कहा जाता है कि महान [[वशिष्ठ|संत वशिष्ठ]] ने [[पृथ्वी]] से [[असुर|असुरों]] के विनाश के लिए यहाँ [[यज्ञ]] का आयोजन किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[माउण्ट आबू]] | ||[[चित्र:Nakki-Jheel-Mount-Abu-Rajasthan.jpg|right|100px|नक्की झील, माउण्ट आबू]]'माउण्ट आबू' [[राजस्थान]] का एकमात्र हिल स्टेशन है। समुद्र तल से 1,220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित [[माउण्ट आबू]] को "राजस्थान का स्वर्ग" भी माना जाता है। नीलगिरि की पहाड़ियों पर बसे माउण्ट आबू की भौगोलिक स्थित और वातावरण राजस्थान के अन्य शहरों से भिन्न व मनोरम है। यह स्थान राज्य के अन्य हिस्सों की तरह गर्म नहीं है। माउण्ट आबू [[हिन्दू धर्म]] और [[जैन धर्म]] का प्रमुख [[तीर्थ स्थल]] है। पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू धर्म के तैंतीस करोड़ [[हिन्दू देवी-देवता|देवी-देवता]] इस पवित्र [[पर्वत]] पर भ्रमण करते हैं। यह भी कहा जाता है कि महान [[वशिष्ठ|संत वशिष्ठ]] ने [[पृथ्वी]] से [[असुर|असुरों]] के विनाश के लिए यहाँ [[यज्ञ]] का आयोजन किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[माउण्ट आबू]] | ||
{[[अन्नामलाई पहाड़ियाँ]] [[भारत]] के किस राज्य में हैं? | {[[अन्नामलाई पहाड़ियाँ]] [[भारत]] के किस राज्य में हैं? | ||
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||[[चित्र:Anamalai-Hills.jpg|right|100px|अन्नामलाई पहाड़ियाँ]]तमिलनाडु प्राकृतिक रूप से पूर्वी तट पर समतल प्रदेश तथा उत्तर और पश्चिम में पहाड़ी क्षेत्रों के बीच विभाजित है। पूर्वी मैदान का सबसे चौड़ा हिस्सा उपजाऊ [[कावेरी नदी]] के डेल्टा पर है और आगे दक्षिण में [[रामनाथपुरम]] और [[मदुरै]] के शुष्क मैदान हैं। [[तमिलनाडु]] राज्य के लगभग 15 प्रतिशत हिस्से में वन हैं। [[पश्चिमी घाट पर्वत|पश्चिमी घाट]] के उच्चतम शिखरों वाले [[पर्वत]], [[नीलगिरि पहाड़ियाँ|नीलगिरि]], [[अन्नामलाई पहाड़ियाँ|अन्नामलाई]] और [[पालनी पहाड़ियाँ]], उपाआल्पीय वनस्पतियों को सहारा देते हैं। पश्चिम घाट के पूर्व की ओर तथा उत्तरी एवं मध्यवर्ती ज़िलों की पहाड़ियों की वनस्पतियों में सदाबहार व पर्णपाती वृक्षों के मिश्रित वन हैं; जिनमें से कुछ शुष्क परिस्थितियों के काफ़ी अनुकूल हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तमिलनाडु]] | ||[[चित्र:Anamalai-Hills.jpg|right|100px|अन्नामलाई पहाड़ियाँ]]तमिलनाडु प्राकृतिक रूप से पूर्वी तट पर समतल प्रदेश तथा उत्तर और पश्चिम में पहाड़ी क्षेत्रों के बीच विभाजित है। पूर्वी मैदान का सबसे चौड़ा हिस्सा उपजाऊ [[कावेरी नदी]] के डेल्टा पर है और आगे दक्षिण में [[रामनाथपुरम]] और [[मदुरै]] के शुष्क मैदान हैं। [[तमिलनाडु]] राज्य के लगभग 15 प्रतिशत हिस्से में वन हैं। [[पश्चिमी घाट पर्वत|पश्चिमी घाट]] के उच्चतम शिखरों वाले [[पर्वत]], [[नीलगिरि पहाड़ियाँ|नीलगिरि]], [[अन्नामलाई पहाड़ियाँ|अन्नामलाई]] और [[पालनी पहाड़ियाँ]], उपाआल्पीय वनस्पतियों को सहारा देते हैं। पश्चिम घाट के पूर्व की ओर तथा उत्तरी एवं मध्यवर्ती ज़िलों की पहाड़ियों की वनस्पतियों में सदाबहार व पर्णपाती वृक्षों के मिश्रित वन हैं; जिनमें से कुछ शुष्क परिस्थितियों के काफ़ी अनुकूल हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तमिलनाडु]] | ||
{प्रथमत: [[सौरमण्डल]] के बारे में विश्व के समक्ष जानकारी प्रस्तुत करने का श्रेय निम्न में से किस विद्वान को है? | {प्रथमत: [[सौरमण्डल]] के बारे में विश्व के समक्ष जानकारी प्रस्तुत करने का श्रेय निम्न में से किस विद्वान को है? | ||
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||[[चित्र:Solar.jpg|right|100px|सौरमण्डल]][[ब्रह्माण्ड]] में वैसे तो कई [[सौरमण्डल]] है, लेकिन हमारा सौरमण्डल या (सौर परिवार) सभी से अलग है, जिसका आकार एक तश्तरी जैसा है। सौरमण्डल में [[सूर्य]] और वे सभी खगोलीय पिंड जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं, सम्मलित हैं। ये सभी एक-दूसरे से [[गुरुत्व|गुरुत्वाकर्षण बल]] द्वारा बंधे हैं। कॉपरनिकस ने सबसे पहले यह सिद्धांत दिया था कि सभी [[ग्रह]] सूर्य के चारों ओर घूमते हैं। सौरमण्डल में सूर्य का आकार सबसे बड़ा है, जिसका प्रभुत्व है, क्योंकि सौरमण्डल निकाय के [[द्रव्य]] का लगभग 99.999 द्रव्य सूर्य में निहित है। सौरमण्डल की समस्त [[ऊर्जा]] का स्रोत भी सूर्य ही है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सौरमण्डल]] | ||[[चित्र:Solar.jpg|right|100px|सौरमण्डल]][[ब्रह्माण्ड]] में वैसे तो कई [[सौरमण्डल]] है, लेकिन हमारा सौरमण्डल या (सौर परिवार) सभी से अलग है, जिसका आकार एक तश्तरी जैसा है। सौरमण्डल में [[सूर्य]] और वे सभी खगोलीय पिंड जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं, सम्मलित हैं। ये सभी एक-दूसरे से [[गुरुत्व|गुरुत्वाकर्षण बल]] द्वारा बंधे हैं। कॉपरनिकस ने सबसे पहले यह सिद्धांत दिया था कि सभी [[ग्रह]] सूर्य के चारों ओर घूमते हैं। सौरमण्डल में सूर्य का आकार सबसे बड़ा है, जिसका प्रभुत्व है, क्योंकि सौरमण्डल निकाय के [[द्रव्य]] का लगभग 99.999 द्रव्य सूर्य में निहित है। सौरमण्डल की समस्त [[ऊर्जा]] का स्रोत भी सूर्य ही है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सौरमण्डल]] | ||
{विश्व की प्रथम जलवायु मानचित्रावली 'किताब-अल-अंशकाल' [[अरब देश|अरब]] के किस विद्वान द्वारा लिखी गयी थी? | {'सिमोन' नामक हवाएँ किस [[रेगिस्तान]] में बहती हैं? | ||
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-[[आस्ट्रेलियन रेगिस्तान]] | |||
-[[सोनारन रेगिस्तान]] | |||
+[[सहारा रेगिस्तान]] | |||
-[[दि ग्रेट विक्टोरिया रेगिस्तान]] | |||
||[[चित्र:Sahara-Desert-3.jpg|right|120px|सहारा रेगिस्तान]]'सहारा रेगिस्तान' या 'ग्रेट सहारा रेगिस्तान' विश्व का सर्वाधिक गर्म और [[अंटार्कटिका महाद्वीप|अंटार्कटिका]] के बाद दूसरा सबसे विशाल [[रेगिस्तान]] है। यह उत्तरी अफ़्रीका में स्थित है। यह रेगिस्तान इतना बड़ा है कि विश्व की समस्त मरुभूमि का यह आधा भाग है। माना जाता है कि किसी समय सहारा हरा-भरा क्षेत्र हुआ करता था और उसके कुछ भाग पर [[सागर]] लहराता था। [[सहारा रेगिस्तान]] में आने वाले तूफ़ान अक्सर स्थानीय होते हैं, जो क़रीब 20 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले छोटे क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। सहारा की मौसम प्रणाली में तेज तथा अनिश्चित हवाएँ जटिल होती हैं। इनका नाम 'खमसिन', 'सिरोक्कू', 'शहली' और 'सिमोन' है, जो दिन के पिछले भाग में बहती हैं। ये हवाएँ अपने साथ धूल और बालू की विशाल मात्रा लाती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सहारा रेगिस्तान]] | |||
{विश्व की प्रथम जलवायु मानचित्रावली 'किताब-अल-अंशकाल' [[अरब देश|अरब]] के किस विद्वान द्वारा लिखी गयी थी? | |||
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-रहमुर मुजी | -रहमुर मुजी | ||
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+अल बल्खी | +अल बल्खी | ||
{[[भूमध्य सागर|भूमध्य सागरीय]] जलवायु निम्न में से किस फ़सल की [[कृषि]] के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है? | {[[भूमध्य सागर|भूमध्य सागरीय]] जलवायु निम्न में से किस फ़सल की [[कृषि]] के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है? | ||
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-[[चावल]] | -[[चावल]] | ||
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||[[चित्र:Fruits.jpg|right|100px|विभिन्न प्रकार के फल]]फल वनस्पतियों, वृक्षों आदि का विशिष्ट ऋतुओं में लगने वाला वह भाग है, जो उनमें [[फूल]] आने के बाद लगता है। इसे प्रायः खाने में प्रयोग किया जाता है तथा जिसके अंदर उस वनस्पति या वृक्ष के बीज और कुछ अवस्थाओं में गूदा और रस भी होता है। [[फल]] विश्व का सबसे स्वादिष्ट भोजन हैं। यह ऐसा भोजन हैं, जिसे खाया भी जाता है और रस निकाल कर पिया भी जाता है। अनेक प्रकार के नमकीन व मीठे व्यंजनों में फलों का प्रयोग होता है। इसमें किसी भी प्रकार के हानिकारक कार्बन या कैलोरी नहीं होती। फल [[विटामिन]], रेशों और [[खनिज]] के सर्वश्रेष्ठ स्रोत हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[फल]] | ||[[चित्र:Fruits.jpg|right|100px|विभिन्न प्रकार के फल]]फल वनस्पतियों, वृक्षों आदि का विशिष्ट ऋतुओं में लगने वाला वह भाग है, जो उनमें [[फूल]] आने के बाद लगता है। इसे प्रायः खाने में प्रयोग किया जाता है तथा जिसके अंदर उस वनस्पति या वृक्ष के बीज और कुछ अवस्थाओं में गूदा और रस भी होता है। [[फल]] विश्व का सबसे स्वादिष्ट भोजन हैं। यह ऐसा भोजन हैं, जिसे खाया भी जाता है और रस निकाल कर पिया भी जाता है। अनेक प्रकार के नमकीन व मीठे व्यंजनों में फलों का प्रयोग होता है। इसमें किसी भी प्रकार के हानिकारक कार्बन या कैलोरी नहीं होती। फल [[विटामिन]], रेशों और [[खनिज]] के सर्वश्रेष्ठ स्रोत हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[फल]] | ||
{निम्न में से कौन-सी नदी 'पक्षिपाद डेल्टा' का निर्माण करती है? | {निम्न में से कौन-सी नदी 'पक्षिपाद डेल्टा' का निर्माण करती है? | ||
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+मिसीसिपी | +मिसीसिपी | ||
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-[[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]] | -[[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]] | ||
{'कृष्ण छिद्र' (ब्लैक होल) सिद्धांत को किसने प्रतिपादित किया था? | {'कृष्ण छिद्र' (ब्लैक होल) सिद्धांत को किसने प्रतिपादित किया था? | ||
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-[[सी. वी. रमन]] | -[[सी. वी. रमन]] | ||
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||[[चित्र:Subrahmanyan-Chandrasekhar.jpg|right|100px|सुब्रह्मण्यम चन्द्रशेखर]]सुब्रह्मण्यम चन्द्रशेखर प्रसिद्ध खगोल भौतिक शास्त्री थे। वे सन [[1983]] के भौतिक शास्त्र के "[[नोबेल पुरस्कार]]" विजेता भी थे। उनकी शिक्षा [[चेन्नई]] के प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुई थी। [[एस. चन्द्रशेखर]] 'नोबेल पुरस्कार' विजेता [[सी. वी. रमन|सर सी. वी. रमन]] के भतीजे थे। बाद के समय में एस. चन्द्रशेखर [[अमेरिका]] चले गए थे, जहाँ उन्होंने खगोल भौतिक शास्त्र तथा [[सौरमंडल]] से संबधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं। एस. चन्द्रशेखर ने 'व्हाइट ड्वार्फ', यानी 'श्वेत बौने' नाम के [[नक्षत्र|नक्षत्रों]] के बारे में सिद्धांत का प्रतिपादन भी किया। इन नक्षत्रों के लिए उन्होंने जो सीमा निर्धारित की थी, उसे "चन्द्रशेखर सीमा" कहा जाता है। उनके सिद्धांत से [[ब्रह्माण्ड]] की उत्पत्ति के बारे में अनेक रहस्यों का पता चला।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एस. चन्द्रशेखर]] | ||[[चित्र:Subrahmanyan-Chandrasekhar.jpg|right|100px|सुब्रह्मण्यम चन्द्रशेखर]]सुब्रह्मण्यम चन्द्रशेखर प्रसिद्ध खगोल भौतिक शास्त्री थे। वे सन [[1983]] के भौतिक शास्त्र के "[[नोबेल पुरस्कार]]" विजेता भी थे। उनकी शिक्षा [[चेन्नई]] के प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुई थी। [[एस. चन्द्रशेखर]] 'नोबेल पुरस्कार' विजेता [[सी. वी. रमन|सर सी. वी. रमन]] के भतीजे थे। बाद के समय में एस. चन्द्रशेखर [[अमेरिका]] चले गए थे, जहाँ उन्होंने खगोल भौतिक शास्त्र तथा [[सौरमंडल]] से संबधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं। एस. चन्द्रशेखर ने 'व्हाइट ड्वार्फ', यानी 'श्वेत बौने' नाम के [[नक्षत्र|नक्षत्रों]] के बारे में सिद्धांत का प्रतिपादन भी किया। इन नक्षत्रों के लिए उन्होंने जो सीमा निर्धारित की थी, उसे "चन्द्रशेखर सीमा" कहा जाता है। उनके सिद्धांत से [[ब्रह्माण्ड]] की उत्पत्ति के बारे में अनेक रहस्यों का पता चला।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एस. चन्द्रशेखर]] | ||
{दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा [[मरुस्थल]] कौन-सा है? | {दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा [[मरुस्थल]] कौन-सा है? | ||
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-[[अटाकामा मरुस्थल|अटाकामा]] | -[[अटाकामा मरुस्थल|अटाकामा]] | ||
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||[[चित्र:Thar desert.jpg|right|120px|थार मरुस्थल]]'थार मरुस्थल' लहरदार रेतीले पहाड़ों का विस्तार है, जो विशाल भारतीय मरुस्थल भी कहलाता है। इस [[मरुस्थल]] का कुछ भाग [[भारत]] के [[राजस्थान]] में और कुछ [[पाकिस्तान]] में स्थित है। '[[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन]]' (इसरो) की ताजा रिसर्च में यह खुलासा हुआ है कि कल तक राजस्थान की पहचान रहे [[थार मरुस्थल]] ने अब [[हरियाणा]], [[पंजाब]], [[उत्तर प्रदेश]] तथा [[मध्य प्रदेश]] तक अपने पाँव पसार लिए हैं। 'राष्ट्रीय मृदा सर्वे' और 'भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो' का कहना है कि थार मरुस्थल के फैलाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि [[1996]] तक 1 लाख, 96 हज़ार 150 वर्ग कि.मी. में फैले इस मरुस्थल का विस्तार अब 2 लाख, 8 हज़ार 110 कि.मी. तक हो चुका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[थार मरुस्थल]] | ||[[चित्र:Thar desert.jpg|right|120px|थार मरुस्थल]]'थार मरुस्थल' लहरदार रेतीले पहाड़ों का विस्तार है, जो विशाल भारतीय मरुस्थल भी कहलाता है। इस [[मरुस्थल]] का कुछ भाग [[भारत]] के [[राजस्थान]] में और कुछ [[पाकिस्तान]] में स्थित है। '[[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन]]' (इसरो) की ताजा रिसर्च में यह खुलासा हुआ है कि कल तक राजस्थान की पहचान रहे [[थार मरुस्थल]] ने अब [[हरियाणा]], [[पंजाब]], [[उत्तर प्रदेश]] तथा [[मध्य प्रदेश]] तक अपने पाँव पसार लिए हैं। 'राष्ट्रीय मृदा सर्वे' और 'भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो' का कहना है कि थार मरुस्थल के फैलाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि [[1996]] तक 1 लाख, 96 हज़ार 150 वर्ग कि.मी. में फैले इस मरुस्थल का विस्तार अब 2 लाख, 8 हज़ार 110 कि.मी. तक हो चुका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[थार मरुस्थल]] | ||
{टार्नेडो बहुत प्रबल उष्ण कटिबंधीय चक्रवात हैं। यह कहाँ से उठते हैं? | {टार्नेडो बहुत प्रबल उष्ण कटिबंधीय चक्रवात हैं। यह कहाँ से उठते हैं? | ||
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+कैरीबियन सागर | +कैरीबियन सागर | ||
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-श्याम सागर | -श्याम सागर | ||
{[[भारत]] में चीनी के प्रथम तीन अग्रणी उत्पादक राज्य कौन-से हैं? | {[[भारत]] में चीनी के प्रथम तीन अग्रणी उत्पादक राज्य कौन-से हैं? | ||
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+[[महाराष्ट्र]], [[उत्तर प्रदेश]], [[तमिलनाडु]] | +[[महाराष्ट्र]], [[उत्तर प्रदेश]], [[तमिलनाडु]] | ||
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||[[चित्र:Sugar.jpg|right|120px|चीनी]]महाराष्ट्र भारतीय राज्य, प्रायद्वीपीय [[भारत]] के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। ये [[गुजरात]], [[मध्य प्रदेश]], [[आंध्र प्रदेश]], [[कर्नाटक]] और [[गोवा]] राज्यों से घिरा हुआ है और इसके पश्चिम में [[अरब सागर]] है। [[महाराष्ट्र]] के दो-तिहाई निवासी कृषक हैं। यहाँ नमी धारण करने की क्षमता वाले खेतों में [[शीत ऋतु]] में [[गेहूँ]] की फ़सल उगाई जाती है। 610-990 मिलीमीटर [[वर्षा]] वाले क्षेत्रों में [[कपास]], [[तंबाकू]] और [[मूंगफली]] प्रमुख फ़सलें हैं। यहाँ [[फल|फलों]] की खेती में [[अंगूर]], [[आम]], [[केला]] और काजू ज़्यादा लोकप्रिय हैं। सिंचाई की सुविधा ने महाराष्ट्र को [[भारत]] का सबसे बड़ा [[गन्ना]] और चीनी उत्पादक क्षेत्र बना दिया गया है। चीनी ने कृषि औद्योगिक क्षेत्रों को भी बढ़ावा दिया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाराष्ट्र]], [[उत्तर प्रदेश]], [[तमिलनाडु]] | ||[[चित्र:Sugar.jpg|right|120px|चीनी]]महाराष्ट्र भारतीय राज्य, प्रायद्वीपीय [[भारत]] के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। ये [[गुजरात]], [[मध्य प्रदेश]], [[आंध्र प्रदेश]], [[कर्नाटक]] और [[गोवा]] राज्यों से घिरा हुआ है और इसके पश्चिम में [[अरब सागर]] है। [[महाराष्ट्र]] के दो-तिहाई निवासी कृषक हैं। यहाँ नमी धारण करने की क्षमता वाले खेतों में [[शीत ऋतु]] में [[गेहूँ]] की फ़सल उगाई जाती है। 610-990 मिलीमीटर [[वर्षा]] वाले क्षेत्रों में [[कपास]], [[तंबाकू]] और [[मूंगफली]] प्रमुख फ़सलें हैं। यहाँ [[फल|फलों]] की खेती में [[अंगूर]], [[आम]], [[केला]] और काजू ज़्यादा लोकप्रिय हैं। सिंचाई की सुविधा ने महाराष्ट्र को [[भारत]] का सबसे बड़ा [[गन्ना]] और चीनी उत्पादक क्षेत्र बना दिया गया है। चीनी ने कृषि औद्योगिक क्षेत्रों को भी बढ़ावा दिया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाराष्ट्र]], [[उत्तर प्रदेश]], [[तमिलनाडु]] | ||
{उष्ण प्रदेशीय [[हिमालय]] का सर्वोच्च शिखर कौन-सा है? | {उष्ण प्रदेशीय [[हिमालय]] का सर्वोच्च शिखर कौन-सा है? | ||
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-[[अराकान योमा]] | -[[अराकान योमा]] | ||
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||[[चित्र:Nanda-Devi-Peak.jpg|right|100px|नन्दा देवी पर्वत]]'नन्दा देवी पर्वत' [[भारत]] के [[उत्तराखंड]] राज्य के अंतर्गत [[टिहरी गढ़वाल ज़िला|गढ़वाल ज़िले]] में स्थित है। यह [[पर्वत]] [[हिमालय]] के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र का प्रसिद्ध और सर्वोच्च पर्वत शिखर है। [[नन्दा देवी पर्वत]] की [[चमोली]] से दूरी 32 मील {{मील|मील=32}} पूर्व है। इस पर्वत शिखर में दो जुड़वाँ चोटियाँ हैं, जिनमें से नन्दा देवी चोटी समुद्रतल से 25,645 फुट ऊँची है। [[अंग्रेज़]]-अमरीकी पर्वतारोहियों के एक दल ने सर्वप्रथम वर्ष [[1936]] ई. में इस पर विजय प्राप्त की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नन्दा देवी]] | ||[[चित्र:Nanda-Devi-Peak.jpg|right|100px|नन्दा देवी पर्वत]]'नन्दा देवी पर्वत' [[भारत]] के [[उत्तराखंड]] राज्य के अंतर्गत [[टिहरी गढ़वाल ज़िला|गढ़वाल ज़िले]] में स्थित है। यह [[पर्वत]] [[हिमालय]] के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र का प्रसिद्ध और सर्वोच्च पर्वत शिखर है। [[नन्दा देवी पर्वत]] की [[चमोली]] से दूरी 32 मील {{मील|मील=32}} पूर्व है। इस पर्वत शिखर में दो जुड़वाँ चोटियाँ हैं, जिनमें से नन्दा देवी चोटी समुद्रतल से 25,645 फुट ऊँची है। [[अंग्रेज़]]-अमरीकी पर्वतारोहियों के एक दल ने सर्वप्रथम वर्ष [[1936]] ई. में इस पर विजय प्राप्त की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नन्दा देवी]] | ||
{'[[बरमूडा त्रिभुज]]' कहाँ अवस्थित है? | {'[[बरमूडा त्रिभुज]]' कहाँ अवस्थित है? | ||
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||[[चित्र:Bermuda-Triangle.jpg|right|120px|बरमूडा त्रिभुज]]'बरमूडा त्रिभुज' [[अटलांटिक महासागर]] का वह भाग है, जिसे 'दानवी त्रिकोण', 'शैतानी त्रिभुज', 'मौत के त्रिकोण' और 'भुतहा त्रिकोण' आदि नामों से भी जाना जाता है। यह एक रहस्यमयी जल क्षेत्र जो उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित है, जिसकी गुत्थी आज तक कोई नहीं सुलझा सका है। यहाँ अब तक सैकड़ों की संख्या में विमान, पानी के जहाज़ तथा व्यक्ति गये और संदिग्ध रूप से लापता हो गये। लाख कोशिशों के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका। यही वह कारण है कि आज भी इसके आस-पास से गुजरने वाले जहाजों और वायुयानों के चालक दल के सदस्य व यात्री सिहर उठते हैं। सैकडॊं वर्षों से '[[बरमूडा त्रिभुज]]' वैज्ञानिकों, इतिहासकारों और खोजकर्ताओं के लिए भी एक बड़ा रहस्य बना हुआ है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बरमूडा त्रिभुज]] | ||[[चित्र:Bermuda-Triangle.jpg|right|120px|बरमूडा त्रिभुज]]'बरमूडा त्रिभुज' [[अटलांटिक महासागर]] का वह भाग है, जिसे 'दानवी त्रिकोण', 'शैतानी त्रिभुज', 'मौत के त्रिकोण' और 'भुतहा त्रिकोण' आदि नामों से भी जाना जाता है। यह एक रहस्यमयी जल क्षेत्र जो उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित है, जिसकी गुत्थी आज तक कोई नहीं सुलझा सका है। यहाँ अब तक सैकड़ों की संख्या में विमान, पानी के जहाज़ तथा व्यक्ति गये और संदिग्ध रूप से लापता हो गये। लाख कोशिशों के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका। यही वह कारण है कि आज भी इसके आस-पास से गुजरने वाले जहाजों और वायुयानों के चालक दल के सदस्य व यात्री सिहर उठते हैं। सैकडॊं वर्षों से '[[बरमूडा त्रिभुज]]' वैज्ञानिकों, इतिहासकारों और खोजकर्ताओं के लिए भी एक बड़ा रहस्य बना हुआ है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बरमूडा त्रिभुज]] | ||
{[[मरुस्थल]] में उगने वाले पौधों की जड़ें लम्बी होती हैं, क्योंकि- | {[[मरुस्थल]] में उगने वाले पौधों की जड़ें लम्बी होती हैं, क्योंकि- | ||
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-भूमि का उच्च [[तापमान]] जड़ों को लम्बा होने हेतु प्रोत्साहित करता है। | -भूमि का उच्च [[तापमान]] जड़ों को लम्बा होने हेतु प्रोत्साहित करता है। | ||
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||[[चित्र:Sonoran-Desert.jpg|right|120px|मरुस्थल के पौधे]][[मरुस्थल]] या रेगिस्तान एक बंजर और शुष्क क्षेत्र है, जहाँ वनस्पति नहीं के बराबर होती है। यहाँ केवल वही पौधे पनप सकते हैं, जिनमें [[जल]] संचय करने की अथवा [[पृथ्वी]] के बहुत नीचे से जल प्राप्त करने की अदभुत क्षमता हो। यहाँ पर उगने वाले पौधे ज़मीन के काफ़ी नीचे तक अपनी जड़ों को विकसित कर लेते हैं, जिस कारण नीचे की नमी को ये आसानी से ग्रहण कर लेते हैं। मरुस्थल में [[मिट्टी]] की पतली चादर, जो वायु के तीव्र वेग से पलटती रहती है और जिसमें खाद-मिट्टी आदि का प्राय: अभाव होता है, वह उपजाऊ नहीं होती। इन क्षेत्रों में [[वर्षा]] बहुत कम और कहीं-कहीं ही हो पाती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मरुस्थल]] | ||[[चित्र:Sonoran-Desert.jpg|right|120px|मरुस्थल के पौधे]][[मरुस्थल]] या रेगिस्तान एक बंजर और शुष्क क्षेत्र है, जहाँ वनस्पति नहीं के बराबर होती है। यहाँ केवल वही पौधे पनप सकते हैं, जिनमें [[जल]] संचय करने की अथवा [[पृथ्वी]] के बहुत नीचे से जल प्राप्त करने की अदभुत क्षमता हो। यहाँ पर उगने वाले पौधे ज़मीन के काफ़ी नीचे तक अपनी जड़ों को विकसित कर लेते हैं, जिस कारण नीचे की नमी को ये आसानी से ग्रहण कर लेते हैं। मरुस्थल में [[मिट्टी]] की पतली चादर, जो वायु के तीव्र वेग से पलटती रहती है और जिसमें खाद-मिट्टी आदि का प्राय: अभाव होता है, वह उपजाऊ नहीं होती। इन क्षेत्रों में [[वर्षा]] बहुत कम और कहीं-कहीं ही हो पाती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मरुस्थल]] | ||
{निम्नांकित में से कौन एक सुमेलित नहीं है? | |||
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+[[चेन्नई]] - [[भारत]] का सबसे गहरा पत्तन। | +[[चेन्नई]] - [[भारत]] का सबसे गहरा पत्तन। |
13:20, 17 मार्च 2013 का अवतरण
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