"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:The-World-Peace-Pagoda-Lumbini.jpg|right|90px|विश्व शांति स्तूप, लुम्बनी]]शाक्य गणराज्य की राजधानी [[कपिलवस्तु]] के निकट [[उत्तर प्रदेश]] के 'ककराहा' नामक ग्राम से 14 मील और [[नेपाल]]-[[भारत]] सीमा से कुछ दूर पर नेपाल के अन्दर '[[रुमिनोदेई]]' नामक ग्राम ही '[[लुम्बनी|लुम्बनीग्राम]]' है, जो [[गौतम बुद्ध]] के जन्म स्थान के रूप में जगत प्रसिद्ध है। नौतनवाँ स्टेशन से यह स्थान दस मील दूर है। बुद्ध की माता मायादेवी कपिलवस्तु से [[कोलिय गणराज्य]] की राजधानी [[देवदह]] जाते समय लुम्बनीग्राम में एक [[साल वृक्ष]] के नीचे ठहरी थीं। उसी समय [[बुद्ध]] का जन्म हुआ था। रुम्मिनदेई से प्राप्त [[अभिलेख]] से ज्ञात होता है कि [[सम्राट अशोक]] अपने राज्याभिषेक के बीस वर्ष बाद यहाँ आया था। उसने यहाँ [[पूजा]] की, क्योंकि यह शाक्यमुनि की पावन जन्म स्थली है। | ||[[चित्र:The-World-Peace-Pagoda-Lumbini.jpg|right|90px|विश्व शांति स्तूप, लुम्बनी]]शाक्य गणराज्य की राजधानी [[कपिलवस्तु]] के निकट [[उत्तर प्रदेश]] के 'ककराहा' नामक ग्राम से 14 मील और [[नेपाल]]-[[भारत]] सीमा से कुछ दूर पर नेपाल के अन्दर '[[रुमिनोदेई]]' नामक ग्राम ही '[[लुम्बनी|लुम्बनीग्राम]]' है, जो [[गौतम बुद्ध]] के जन्म स्थान के रूप में जगत प्रसिद्ध है। नौतनवाँ स्टेशन से यह स्थान दस मील दूर है। बुद्ध की माता मायादेवी कपिलवस्तु से [[कोलिय गणराज्य]] की राजधानी [[देवदह]] जाते समय लुम्बनीग्राम में एक [[साल वृक्ष]] के नीचे ठहरी थीं। उसी समय [[बुद्ध]] का जन्म हुआ था। रुम्मिनदेई से प्राप्त [[अभिलेख]] से ज्ञात होता है कि [[सम्राट अशोक]] अपने राज्याभिषेक के बीस वर्ष बाद यहाँ आया था। उसने यहाँ [[पूजा]] की, क्योंकि यह शाक्यमुनि की पावन जन्म स्थली है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लुम्बनी]], [[देवदह]], [[रुम्मिनदेई]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन [[सम्राट अशोक]] के [[पिता]] थे? | {निम्नलिखित में से कौन [[सम्राट अशोक]] के [[पिता]] थे? | ||
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||[[चित्र:Bindusara-Coin.png|right|100px|बिन्दुसार कालीन सिक्का]]'बिन्दुसार' [[मौर्य]] सम्राट [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] का पुत्र था, जो 297-98 ईसा पूर्व में शासक बना और उसने 272 ईसा पूर्व तक राजकाज किया। [[बिन्दुसार]] को 'अमित्रघात' भी कहा जाता है। [[यूनानी]] इतिहासकार उसे 'अमित्रोचेट्स' के नाम से पुकारते हैं। बिन्दुसार ने अपने [[पिता]] द्वारा जीते गए क्षेत्रों को पूर्ण रूप से अक्षुण्ण रखा था। उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र [[अशोक]] [[मौर्य साम्राज्य]] का स्वामी बना था। बिन्दुसार को यूनानियों ने 'अमित्रोचेट्स' कहा, जो संभवत: [[संस्कृत]] शब्द 'अमित्रघट' से लिया गया है, जिसका अर्थ है- 'शत्रुनाशक'। यह उपाधि सम्भवत: दक्षिण में उनके सफल सैनिक अभियानों के लिये दी गई होगी, क्योंकि [[उत्तर भारत]] पर तो उनके पिता [[चंद्रगुप्त मौर्य]] ने पहले ही विजय प्राप्त कर ली थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिन्दुसार]], [[अशोक]], [[चंद्रगुप्त मौर्य]] | |||
{"आपका कोई भी काम महत्त्वहीन हो सकता है, पर महत्त्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें।" यह कथन किस महापुरुष का है? | {"आपका कोई भी काम महत्त्वहीन हो सकता है, पर महत्त्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें।" यह कथन किस महापुरुष का है? |
07:36, 9 जून 2013 का अवतरण
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