"अर्द्धनारीश्वर": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "Category:हिन्दू धर्म कोश" to "Category:हिन्दू धर्म कोशCategory:धर्म कोश") |
||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
{{शिव}}{{शिव2}} | {{शिव}}{{शिव2}} | ||
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]] | [[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]] | ||
[[Category:पौराणिक कोश]] | [[Category:पौराणिक कोश]] | ||
[[Category:धार्मिक चिह्न]] | [[Category:धार्मिक चिह्न]] |
12:13, 21 मार्च 2014 का अवतरण

- इस मूर्ति में आधा शरीर पुरुष अर्थात 'रुद्र' (शिव) का है और आधा स्त्री अर्थात 'उमा' (सती, पार्वती) का है।
- दोनों अर्द्ध शरीर एक ही देह में सम्मिलित हैं।
- उनके नाम 'गौरीशंकर', 'उमामहेश्वर' और 'पार्वती परमेश्वर' हैं।
- दोनों के मध्य काम संयोजक भाव है।
- नर (पुरुष) और नारी (प्रकृति) के बीच का संबंध अन्योन्याश्रित है। पुरुष के बिना प्रकृति अनाथ है, प्रकृति के बिना पुरुष क्रिया रहित है। सूक्ष्म दृष्टि से देखें तो स्त्री में पुरुष भाव और पुरुष में स्त्री भाव रहता है और वह आवश्यक भी है।
- ब्रह्मा की प्रार्थना से स्त्रीपुरुषात्मक मिथुन सृष्टि का निर्माण करने के लिए दोनों विभक्त हुए।
- शिव जब शक्तियुक्त होता है, तो वह समर्थ होता है। शक्ति के अभाव में शिव 'शव' के समान है।
- अर्द्धनारीश्वर की कल्पना भारत की अति विकसित बुद्धि का परिणाम है।
- भारतीय कला का यह प्रतीक स्त्री - पुरुष के अद्वैत का सूचक है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित लेख