"प्रयोग:कविता सा.-1": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
कविता भाटिया (वार्ता | योगदान) No edit summary |
कविता भाटिया (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 21: | पंक्ति 21: | ||
|| | || | ||
{प्रसिद्ध [[देवगढ़]] का मंदिर [[उत्तर प्रदेश]] के किस नगर के समीप है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-207,प्रश्न-168 | {प्रसिद्ध [[देवगढ़, उत्तर प्रदेश|देवगढ़]] का मंदिर [[उत्तर प्रदेश]] के किस नगर के समीप है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-207,प्रश्न-168 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[आगरा]] | -[[आगरा]] | ||
पंक्ति 27: | पंक्ति 27: | ||
-[[कानपुर]] | -[[कानपुर]] | ||
-गढ़ मुक्तेश्वर | -गढ़ मुक्तेश्वर | ||
||प्रसिद्ध देवगढ़ मंदिर ललितपुर जिले में [[बेतवा नदी]] के तट पर स्थित है। देवगढ़ स्थित दशावतार मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां पर प्रमुख जैन मंदिर भी है। प्रसिद्ध देवगढ़ मंदिर गुप्त काल में बना जिसका निर्माण लगभग 470 ई. (5 वीं शताब्दी) में प्रारंभ हुआ माना जाता है। | ||प्रसिद्ध देवगढ़ मंदिर ललितपुर जिले में [[बेतवा नदी]] के तट पर स्थित है। देवगढ़ स्थित दशावतार मंदिर [[भगवान विष्णु]] को समर्पित है। यहां पर प्रमुख [[जैन मंदिर]] भी है। प्रसिद्ध देवगढ़ मंदिर गुप्त काल में बना जिसका निर्माण लगभग 470 ई. (5 वीं शताब्दी) में प्रारंभ हुआ माना जाता है। | ||
{'पट चित्रण' | {'पट चित्रण' कहाँ की कला है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-378 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[उत्तर प्रदेश]] | -[[उत्तर प्रदेश]] | ||
पंक्ति 35: | पंक्ति 35: | ||
-[[गुजरात]] | -[[गुजरात]] | ||
+[[उड़ीसा]] | +[[उड़ीसा]] | ||
||'पट चित्रण' [[उड़ीसा]] (वर्तमान में ओडिशा) की कला है। यह भगवान जगन्नाथ तथा जगन्नाथ मंदिर पर आधारित पेंटिंग है। यह चित्र अधिकतर कपड़ों पर ही बनाए जाते हैं। | ||'पट चित्रण' [[उड़ीसा]] (वर्तमान में ओडिशा) की कला है। यह भगवान जगन्नाथ तथा [[जगन्नाथ मंदिर पुरी|जगन्नाथ मंदिर]] पर आधारित पेंटिंग है। यह चित्र अधिकतर कपड़ों पर ही बनाए जाते हैं। | ||
{ | {निम्न में से कौन-सी प्रागैतिहासिक गुफ़ा [[मध्य प्रदेश]] में स्थित नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-13 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सिंधनपुर | -सिंधनपुर | ||
पंक्ति 43: | पंक्ति 43: | ||
-[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] | -[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] | ||
+लखनिया | +लखनिया | ||
||सिंघनपुर, आदमगढ़ और भीमबेटका की प्रागैतिहासिक | ||सिंघनपुर, आदमगढ़ और भीमबेटका की प्रागैतिहासिक गुफ़ाएं मध्य प्रदेश में स्थित हैं। वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ को [[मध्य प्रदेश]] से अलग कर नया राज्य बनाया गया। वर्तमान में सिंघनपुर, [[छत्तीसगढ़]] राज्य में है। लखनिया गुफ़ा उत्तर प्रदेश में स्थित है। | ||
{किसने कबूतर के पंख को काटकर चित्रकारों से उसका चित्र बनवाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-66,प्रश्न-69 | {किसने कबूतर के पंख को काटकर चित्रकारों से उसका चित्र बनवाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-66,प्रश्न-69 | ||
पंक्ति 66: | पंक्ति 58: | ||
+[[पटना]] | +[[पटना]] | ||
-[[दिल्ली]] | -[[दिल्ली]] | ||
||[[पटना चित्रकला|पटना कला शैली]] का विकास यूरोपीय एवं भारतीय शैली के सम्मिश्रण से हुआ। इसका दूसरा नाम '[[कंपनी शैली]]' भी है। अंग्रेजी प्रशासन तथा व्यापार का विशिष्ट केंद्र होने के कारण पटना में अंग्रेज व्यापारी, धनाढ्य तथा कंपनी के अधिकारी निवास करते थे। इनके आश्रय में | ||[[पटना चित्रकला|पटना कला शैली]] का विकास यूरोपीय एवं भारतीय शैली के सम्मिश्रण से हुआ। इसका दूसरा नाम '[[कंपनी शैली]]' भी है। अंग्रेजी प्रशासन तथा व्यापार का विशिष्ट केंद्र होने के कारण पटना में अंग्रेज व्यापारी, धनाढ्य तथा कंपनी के अधिकारी निवास करते थे। इनके आश्रय में कलाकार 'एंग्लो इंडियन स्टाइल' चित्रण करते थे। 'अर्द्ध-यूरोपीय ढंग' से पूर्व-पाश्चात्य मिश्रण के आधार पर पटना शैली में पशु-पक्षी, प्राकृतिक चित्र, लघु चित्र, भारतीय जनमानस तथा पारिवारिक चित्र बनाए गए। पटना शैली के कलाकारों ने अबरक (अभ्रक) के पत्रों पर अतिलधु चित्रों का निर्माण आरंभ किया। | ||
{भारतीय [[चित्रकला]] का | {भारतीय [[चित्रकला]] का रंग-विधान किसका भाग है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-162,प्रश्न-39 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सादृश्य | -सादृश्य | ||
पंक्ति 76: | पंक्ति 68: | ||
||भारतीय चित्रकला का 'रंगविधान' वर्णिकाभंग का भाग है। रंगों का प्रभाव तथा मिश्रण उनके प्रयोग की विधियां और ब्रश का ज्ञान वर्णिका भंग के अंतर्गत आता है। कला कृति में भावों के अनुसार रंगों का प्रयोग करने पर ही चित्र प्रभावित होते हैं। [[चित्रकला]] में वर्णिका का विशेष महत्त्व स्पष्ट है। | ||भारतीय चित्रकला का 'रंगविधान' वर्णिकाभंग का भाग है। रंगों का प्रभाव तथा मिश्रण उनके प्रयोग की विधियां और ब्रश का ज्ञान वर्णिका भंग के अंतर्गत आता है। कला कृति में भावों के अनुसार रंगों का प्रयोग करने पर ही चित्र प्रभावित होते हैं। [[चित्रकला]] में वर्णिका का विशेष महत्त्व स्पष्ट है। | ||
{भगवान की लीलाओं से संबंधित किस भगवान के चित्र राजस्थानी कला में अधिक बने? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-51,प्रश्न-32 | {भगवान की लीलाओं से संबंधित किस भगवान के चित्र [[राजस्थानी कला]] में अधिक बने? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-51,प्रश्न-32 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[राम]] | -[[राम]] | ||
पंक्ति 82: | पंक्ति 74: | ||
-[[शिव]] | -[[शिव]] | ||
-[[देवी]] | -[[देवी]] | ||
||[[राजस्थान]] में [[वैष्णव धर्म]] एवं वल्लभ संप्रदाय का प्रभाव अधिक था। इसी कारण [[राजस्थानी चित्रकला]] में [[राधा]] - [[कृष्ण]] की मनोरम लीलाओं के आकर्षक चित्र | ||[[राजस्थान]] में [[वैष्णव धर्म]] एवं वल्लभ संप्रदाय का प्रभाव अधिक था। इसी कारण [[राजस्थानी चित्रकला]] में [[राधा]] - [[कृष्ण]] की मनोरम लीलाओं के आकर्षक चित्र अधिक प्राप्त होते हैं। | ||
{[[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल चित्रकला]] में हिंदू विषयों का पोषक कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-88 | {[[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल चित्रकला]] में हिंदू विषयों का पोषक कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-88 | ||
पंक्ति 90: | पंक्ति 82: | ||
-[[जहांगीर]] | -[[जहांगीर]] | ||
-[[शाहजहां]] | -[[शाहजहां]] | ||
||[[अकबर]] के समय में फारसी ग्रंथों के साथ-साथ हिंदू विषयों से संबंधित ग्रंथों का चित्रण किया गया। इनमें [[रज़्मनामा|रज्मनामा]] (महाभारत), रामायण, | ||[[अकबर]] के समय में फारसी ग्रंथों के साथ-साथ हिंदू विषयों से संबंधित ग्रंथों का चित्रण किया गया। इनमें [[रज़्मनामा|रज्मनामा]] ([[महाभारत]]), [[रामायण]], [[पंचतंत्र]] आदि के अनुवाद किए गए व उन्हें चित्रित किया गया। | ||
{[[शांतिनिकेतन]] में कला भवन की स्थापना किस वर्ष में हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-62 | {[[शांतिनिकेतन]] में कला भवन की स्थापना किस वर्ष में हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-62 | ||
पंक्ति 98: | पंक्ति 90: | ||
-1922 | -1922 | ||
-1948 | -1948 | ||
||अमर कवि [[रबींद्रनाथ टैगोर]] ने वर्ष 1919 में [[शांतिनिकेतन]] के | ||अमर कवि [[रबींद्रनाथ टैगोर]] ने वर्ष 1919 में [[शांतिनिकेतन]] के प्रागंण में विश्वभारती के कला भवन की स्थापना की। शांतिनिकेतन के कला भवन में ही [[चित्रकला]] की बंगाल शैली का विकास हुआ। | ||
{[[अजंता]] के चित्रकारों ने [[पीला रंग]] बनाया था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-30,प्रश्न-9 | {[[अजंता]] के चित्रकारों ने [[पीला रंग]] बनाया था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-30,प्रश्न-9 | ||
पंक्ति 106: | पंक्ति 98: | ||
+संखिया से | +संखिया से | ||
-इन सभी को मिलाकर | -इन सभी को मिलाकर | ||
||[[अजंता]] के चित्रकारों ने [[पीला रंग]] संभवत: संखिया के भस्म | ||[[अजंता]] के चित्रकारों ने [[पीला रंग]] संभवत: संखिया के भस्म से बनाया था। | ||
{निम्न में कौन सिर्फ चित्रकार है, मूर्तिकार नहीं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-94,प्रश्न-6 | {निम्न में कौन सिर्फ चित्रकार है, मूर्तिकार नहीं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-94,प्रश्न-6 | ||
पंक्ति 116: | पंक्ति 108: | ||
||[[एन.एस. बेंद्रे]] सिर्फ [[चित्रकार]] थे, वे मूर्तिकार नहीं थे जबकि जेराम पटेल, [[रामकिंकर बैज|राम किंकर बैज]] और [[देवी प्रसाद रायचौधरी]] चित्रकार के साथ-साथ [[मूर्तिकार]] भी थे? | ||[[एन.एस. बेंद्रे]] सिर्फ [[चित्रकार]] थे, वे मूर्तिकार नहीं थे जबकि जेराम पटेल, [[रामकिंकर बैज|राम किंकर बैज]] और [[देवी प्रसाद रायचौधरी]] चित्रकार के साथ-साथ [[मूर्तिकार]] भी थे? | ||
{'[[रस]]' का प्रमुख | {'[[रस]]' का प्रमुख श्रोत है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-156,प्रश्न-18 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+नाट्य | +नाट्य | ||
पंक्ति 122: | पंक्ति 114: | ||
-सौन्दर्य | -सौन्दर्य | ||
-आनंद | -आनंद | ||
||पठन, श्रवण अथवा दृश्य के दर्शन के कारण जो अलौकिक आनंद प्राप्त होता है अर्थात दर्शक के मन में जो आनंद की अनुभूति उत्पन्न होती है। वह '[[रस]]' कहलाता है। अत: नाट्य रस का प्रमुख | ||पठन, श्रवण अथवा दृश्य के दर्शन के कारण जो अलौकिक आनंद प्राप्त होता है अर्थात दर्शक के मन में जो आनंद की अनुभूति उत्पन्न होती है। वह '[[रस]]' कहलाता है। अत: नाट्य रस का प्रमुख श्रोत है। | ||
{[[चित्रकला]] का कौन-सा स्कूल राजस्थान का है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-54,प्रश्न-9 | {[[चित्रकला]] का कौन-सा स्कूल [[राजस्थान]] का है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-54,प्रश्न-9 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-कुलू | -कुलू | ||
पंक्ति 131: | पंक्ति 123: | ||
-[[मंडी ज़िला|मंडी]] | -[[मंडी ज़िला|मंडी]] | ||
||[[बूंदी चित्रकला]] का संबंध राजस्थान चित्रकला शैली से है। इसके अतिरिक्त [[मेवाड़ की चित्रकला|मेवाड़ शैली]], किशनगढ़ शैली, जयपुर शैली, [[बीकानेर की चित्रकला|बीकानेर शैली]] आदि का संबंध भी राजस्थानी चित्रकला शैली से है। शृंगार विषयक चित्रों की रचना बूंदी चित्रकला शैली की प्रमुख विशेषताओं में से एक है। | ||[[बूंदी चित्रकला]] का संबंध राजस्थान चित्रकला शैली से है। इसके अतिरिक्त [[मेवाड़ की चित्रकला|मेवाड़ शैली]], किशनगढ़ शैली, जयपुर शैली, [[बीकानेर की चित्रकला|बीकानेर शैली]] आदि का संबंध भी राजस्थानी चित्रकला शैली से है। शृंगार विषयक चित्रों की रचना बूंदी चित्रकला शैली की प्रमुख विशेषताओं में से एक है। | ||
</quiz> | </quiz> | ||
|} | |} | ||
|} | |} |
11:54, 3 जनवरी 2018 का अवतरण
|