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<h4>[[सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</h4> | |||
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<center>[[सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी|सफलता का शॉर्ट-कट]]</center> | |||
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जो सफलता का मंच है वह बीसवीं सीढ़ी चढ़ कर मिलेगा और इस मंच पर हम उन्नीस सीढ़ी चढ़ने के बाद भी नहीं पहुँच सकते क्योंकि बीसवीं तो ज़रूरी ही है। अब एक बात यह भी होती है कि उन्नीसवीं सीढ़ी से नीचे देखते हैं तो लगता है कि हमने कितनी सारी सीढ़ियाँ चढ़ ली हैं और न जाने कितनी और भी चढ़नी पड़ेंगी। इसलिए हताश हो जाना स्वाभाविक ही होता है। जबकि हम मात्र एक सीढ़ी नीचे ही होते हैं। ये आख़िरी सीढ़ी कोई भी कभी भी हो सकती है क्योंकि सफलता कभी आती हुई नहीं दिखती सिर्फ़ जाती हुई दिखती है। [[सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी|...पूरा पढ़ें]] | |||
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| [[शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र -आदित्य चौधरी|शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र]] | |||
| [[शर्मदार की मौत -आदित्य चौधरी|शर्मदार की मौत]] | |||
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* [http://adityachaudhary.com अधिक जानकारी के लिए देखें- adityachaudhary.com] | |||
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<h4>एक पर्यटन स्थल</h4> | <h4>एक पर्यटन स्थल</h4> | ||
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आज का दिन - 23 जून 2025 (भारतीय समयानुसार)



- राष्ट्रीय शाके 1947, 02 गते 09, आषाढ़, सोमवार
- विक्रम सम्वत् 2082, आषाढ़, कृष्ण पक्ष, त्रयोदशी, सोमवार, कृत्तिका
- इस्लामी हिजरी 1446, 26, ज़िलहिज्ज, पीर, सुरैया
- प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि, चण्डी प्रसाद भट्ट (जन्म), राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी (जन्म), प्रदीप कुमार बनर्जी (जन्म), वीरभद्र सिंह (जन्म), सैयद शाहिद हाकिम (जन्म), संजय गाँधी (मृत्यु), श्रीप्रकाश (मृत्यु), श्यामा प्रसाद मुखर्जी (मृत्यु), वी. वी. गिरि (मृत्यु), बालाजी बाजीराव (मृत्यु), गंगाप्रसाद वर्मा (मृत्यु), गिजुभाई बधेका (मृत्यु), निर्मला जोशी (मृत्यु), अन्तरराष्ट्रीय विधवा दिवस, संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस
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भारतकोश हलचल
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मृत्यु
दरबान सिंह नेगी (24 जून) • रानी दुर्गावती (24 जून) • पंडित श्रद्धाराम शर्मा (24 जून) • अवधानम सीता रमन (24 जून) • श्यामा प्रसाद मुखर्जी (23 जून) • गंगाप्रसाद वर्मा (23 जून) • गिजुभाई बधेका (23 जून) • श्रीप्रकाश (23 जून) • संजय गाँधी (23 जून) • वी. वी. गिरि (23 जून) • निर्मला जोशी (23 जून) • बालाजी बाजीराव (23 जून)
भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
जो सफलता का मंच है वह बीसवीं सीढ़ी चढ़ कर मिलेगा और इस मंच पर हम उन्नीस सीढ़ी चढ़ने के बाद भी नहीं पहुँच सकते क्योंकि बीसवीं तो ज़रूरी ही है। अब एक बात यह भी होती है कि उन्नीसवीं सीढ़ी से नीचे देखते हैं तो लगता है कि हमने कितनी सारी सीढ़ियाँ चढ़ ली हैं और न जाने कितनी और भी चढ़नी पड़ेंगी। इसलिए हताश हो जाना स्वाभाविक ही होता है। जबकि हम मात्र एक सीढ़ी नीचे ही होते हैं। ये आख़िरी सीढ़ी कोई भी कभी भी हो सकती है क्योंकि सफलता कभी आती हुई नहीं दिखती सिर्फ़ जाती हुई दिखती है। ...पूरा पढ़ें
पिछले सभी लेख → | शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र | शर्मदार की मौत |
एक पर्यटन स्थल

लक्षद्वीप भारत के दक्षिण-पश्चिम में हिंद महासागर में स्थित एक भारतीय द्वीप-समूह है। सभी केन्द्रशासित प्रदेशों में लक्षद्वीप सबसे छोटा है। यह भारत की मुख्यभूमि से लगभग 400 किमी दूर पश्चिम दिशा में अरब सागर में अवस्थित है। लक्षद्वीप द्वीप-समूह में कुल 36 द्वीप है परन्तु केवल 7 द्वीपों पर ही जनजीवन है। देशी पयर्टकों को 6 द्वीपों पर जाने की अनुमति है जबकि विदेशी पयर्टकों को केवल 2 द्वीपों (अगाती व बंगाराम) पर जाने की अनुमति है। मुख्य भूमि से दूर इनका प्राकृतिक सौंदर्य, प्रदूषणमुक्त वातावरण, चारों ओर समुद्र और इसकी पारदर्शी सतह पर्यटकों को सम्मोहित कर लेती है। समुद्री जल में तैरती मछलियाँ इन द्वीपों की सुंदरता को और बढ़ा देती हैं। ये द्वीप प्रकृति की एक अद्भुत देन है। यह आश्चर्य की बात है कि यहाँ की धरती का निर्माण मूँगों द्वारा किया गया। उन्होंने ही मानव के रहन-सहन के उपयुक्त बनाया। यह द्वीप पर्यटकों का स्वर्ग है। यहाँ का नैसर्गिक वातावरण देश-विदेश के सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। ... और पढ़ें
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