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*अयोध्या | *अयोध्या प्राचीन भारत का एक महत्त्वपूर्ण नगर है। यह नगर वर्तमान रूप में फ़ैजाबाद रेलवे स्टेशन से 3 मील दूर (26<sup>॰</sup> 48' उत्तरी अक्षांश से 82<sup>॰</sup> 13' पूर्वी देशान्तर) पर स्थित है।<ref>विशुद्धानंद पाठक, हिस्ट्री ओफ़ कोशल, (मोती लाल बनारसीदास, वाराणसी, प्रथम संस्करण, 1963), पृ. 49 </ref> | ||
*[[राम]] की जन्म-भूमि अयोध्या उत्तर प्रदेश में [[सरयू नदी]] के दाएँ तट पर स्थित है। | *[[राम]] की जन्म-भूमि अयोध्या उत्तर प्रदेश में [[सरयू नदी]] के दाएँ तट पर स्थित है। | ||
*प्राचीन काल में यह [[कौशल]] देश कहा जाता था। अयोध्या हिन्दुओं का प्राचीन और [[सप्ततीर्थ|सात पवित्र तीर्थस्थलों]] में एक है। | *प्राचीन काल में यह [[कौशल]] देश कहा जाता था। अयोध्या हिन्दुओं का प्राचीन और [[सप्ततीर्थ|सात पवित्र तीर्थस्थलों]] में एक है। | ||
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*अयोध्या एक तीर्थ स्थान है और मूल रूप से मंदिरों का शहर है। यहाँ आज भी [[हिन्दू]], [[बौद्ध]], [[इस्लाम]] और [[जैन]] धर्म से जुड़े अवशेष देखे जा सकते हैं। | *अयोध्या एक तीर्थ स्थान है और मूल रूप से मंदिरों का शहर है। यहाँ आज भी [[हिन्दू]], [[बौद्ध]], [[इस्लाम]] और [[जैन]] धर्म से जुड़े अवशेष देखे जा सकते हैं। | ||
*जैन मत के अनुसार यहाँ आदिनाथ सहित पांच [[तीर्थंकर|तीर्थंकरों]] का जन्म हुआ था। | *जैन मत के अनुसार यहाँ आदिनाथ सहित पांच [[तीर्थंकर|तीर्थंकरों]] का जन्म हुआ था। | ||
==इतिहास== | |||
महाकाव्यों में इस नगर का विशद वर्णन मिलता है। [[रामायण]] में अयोध्या का उल्लेख [[कोशल]] जनपद की राजधानी के रूप में किया गया है।<ref> एस. सी. डे, हिस्टारिसिटी ओफ़ रामायण एंड दि इंडो आर्यन सोसाइटी इन इंडिया एंड सीलोन (दिल्ली, अजंता पब्लिकेशंस, पुनमुर्दित, 1976), पृ. 80-81</ref> पुराणों में इस नगर के संबंध में कोई विशेष उल्लेख नहीं मिलता है, परन्तु इस नगर के शासकों की वंशावलियाँ अवश्य मिलती हैं, जो इस नगर की प्राचीनता एवं महत्त्व के प्रामाणिक साक्ष्य हैं । ब्राह्मण साहित्य में इसका वर्णन एक ग्राम के रूप में किया गया है। ।<ref> ऐतरेय ब्राह्मण, 7/3/1; देखें, ज. रा. ए. सो, 1971, पृ॰52 (पादटिप्पणी)</ref> | |||
राम के समय यह नगर [[अवध]] नाम की राजधानी से सुशोभित था। <ref>नंदूलाल डे, दि जियोग्राफ़िकल डिक्शनरी ऑफ़, ऐंश्येंट एंड मिडिवल इंडिया, पृ. 14</ref>बौद्ध-ग्रन्थों के अनुसार अयोध्या पूर्ववती तथा [[साकेत]] परवर्ती राजधानी थी। हिन्दुओं के साथ पवित्र स्थानों में इसका नाम मिलता है। [[फ़ाह्यान]] ने इसका ‘शा-चें’ नाम से उल्लेख किया है, जो [[कन्नौज]] से 13 [[योजन]] दक्षिण-पूर्व में स्थित था। <ref>जेम्स लेग्गे, दि ट्रैवेल्स ऑफ़ फ़ाह्यान ओरियंटल पब्लिशर्स, दिल्ली, पुनर्मुद्रित 1972, पृ. 54</ref>मललसेकर ने पालि-परंपरा के साकेत को सई नदी के किनारे उन्नाव ज़िले में स्थित सुजानकोट के खंडहरों से समीकृत किया है। <ref>जी पी मललसेकर, डिक्शनरी ऑफ़ पालि प्रापर नेम्स, भाग 2 पृ. 1086 </ref> नालियाक्ष दत्त एवं कृष्णदत्त बाजपेयी ने भी इसका समीकरण सुजानकोट से किया है। <ref> नलिनाक्ष दत्त एवं कृष्णदत्त बाजपेयी, उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म का विकास (प्रकाशन ब्यूरो, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ, प्रथम संस्करण, 1956) पृ. 7 एवं 12</ref> थेरगाथा अट्ठकथा <ref>थेरगाथा अट्ठकथा, भाग 1, पृ. 103 </ref> में साकेत को [[सरयू नदी]] के किनारे बताया गया है। अत: संभव है कि पालि का साकेत, आधुनिक अयोध्या का ही एक भाग रहा हो। | |||
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06:55, 30 सितम्बर 2010 का अवतरण

Laxman Ghat, Ayodhya
- अयोध्या प्राचीन भारत का एक महत्त्वपूर्ण नगर है। यह नगर वर्तमान रूप में फ़ैजाबाद रेलवे स्टेशन से 3 मील दूर (26॰ 48' उत्तरी अक्षांश से 82॰ 13' पूर्वी देशान्तर) पर स्थित है।[1]
- राम की जन्म-भूमि अयोध्या उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के दाएँ तट पर स्थित है।
- प्राचीन काल में यह कौशल देश कहा जाता था। अयोध्या हिन्दुओं का प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में एक है।
- अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है।
- रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी। कई शताब्दियों तक यह नगर सूर्य वंश की राजधानी रहा।
- अयोध्या एक तीर्थ स्थान है और मूल रूप से मंदिरों का शहर है। यहाँ आज भी हिन्दू, बौद्ध, इस्लाम और जैन धर्म से जुड़े अवशेष देखे जा सकते हैं।
- जैन मत के अनुसार यहाँ आदिनाथ सहित पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था।
इतिहास
महाकाव्यों में इस नगर का विशद वर्णन मिलता है। रामायण में अयोध्या का उल्लेख कोशल जनपद की राजधानी के रूप में किया गया है।[2] पुराणों में इस नगर के संबंध में कोई विशेष उल्लेख नहीं मिलता है, परन्तु इस नगर के शासकों की वंशावलियाँ अवश्य मिलती हैं, जो इस नगर की प्राचीनता एवं महत्त्व के प्रामाणिक साक्ष्य हैं । ब्राह्मण साहित्य में इसका वर्णन एक ग्राम के रूप में किया गया है। ।[3] राम के समय यह नगर अवध नाम की राजधानी से सुशोभित था। [4]बौद्ध-ग्रन्थों के अनुसार अयोध्या पूर्ववती तथा साकेत परवर्ती राजधानी थी। हिन्दुओं के साथ पवित्र स्थानों में इसका नाम मिलता है। फ़ाह्यान ने इसका ‘शा-चें’ नाम से उल्लेख किया है, जो कन्नौज से 13 योजन दक्षिण-पूर्व में स्थित था। [5]मललसेकर ने पालि-परंपरा के साकेत को सई नदी के किनारे उन्नाव ज़िले में स्थित सुजानकोट के खंडहरों से समीकृत किया है। [6] नालियाक्ष दत्त एवं कृष्णदत्त बाजपेयी ने भी इसका समीकरण सुजानकोट से किया है। [7] थेरगाथा अट्ठकथा [8] में साकेत को सरयू नदी के किनारे बताया गया है। अत: संभव है कि पालि का साकेत, आधुनिक अयोध्या का ही एक भाग रहा हो।
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वीथिका
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दिगम्बर जैन मंदिर, अयोध्या
Digambar Jain Temple, Ayodhya -
लक्ष्मण क़िला, अयोध्या
Laxman Fort, Ayodhya
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विशुद्धानंद पाठक, हिस्ट्री ओफ़ कोशल, (मोती लाल बनारसीदास, वाराणसी, प्रथम संस्करण, 1963), पृ. 49
- ↑ एस. सी. डे, हिस्टारिसिटी ओफ़ रामायण एंड दि इंडो आर्यन सोसाइटी इन इंडिया एंड सीलोन (दिल्ली, अजंता पब्लिकेशंस, पुनमुर्दित, 1976), पृ. 80-81
- ↑ ऐतरेय ब्राह्मण, 7/3/1; देखें, ज. रा. ए. सो, 1971, पृ॰52 (पादटिप्पणी)
- ↑ नंदूलाल डे, दि जियोग्राफ़िकल डिक्शनरी ऑफ़, ऐंश्येंट एंड मिडिवल इंडिया, पृ. 14
- ↑ जेम्स लेग्गे, दि ट्रैवेल्स ऑफ़ फ़ाह्यान ओरियंटल पब्लिशर्स, दिल्ली, पुनर्मुद्रित 1972, पृ. 54
- ↑ जी पी मललसेकर, डिक्शनरी ऑफ़ पालि प्रापर नेम्स, भाग 2 पृ. 1086
- ↑ नलिनाक्ष दत्त एवं कृष्णदत्त बाजपेयी, उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म का विकास (प्रकाशन ब्यूरो, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ, प्रथम संस्करण, 1956) पृ. 7 एवं 12
- ↑ थेरगाथा अट्ठकथा, भाग 1, पृ. 103
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