मेघालय पर्यटन

Big Lake, Meghalaya
मेघालय में बहुत से ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जहां पर प्रकृति अपने भव्य रूप में उपस्थित है। राजधानी शिलांग में भी अनेकसुन्दर स्थल हैं। जिनमें वार्ड लेक, लेडी हैदरी पार्क, पोलो ग्राउंड, मिनी चिडियाघर, एलीफेंट जलप्रपात, और शिलांग की पर्वत चोटी प्रमुख हैं। शिलांग की पर्वत चोटी से पूरे नगर का दृश्य दिखाई देता है। यहाँ का गोल्फ कोर्स देश के अच्छे गोल्फ कोर्स मैदानों में से एक है।
राज्य सरकार पर्यटन को पर्याप्त बढ़ावा देती है किन्तु अलगाववादी संगठन 'उल्फा' और 'बोडो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा', गारो पहाड़ियों को अपनी गतिविधियों का केन्द्र बनाते रहे हैं । घने जंगल और बांग्लादेश की सीमा समीप होने के कारण ये लोग इसे गुप्तवास की भाँति प्रयोग करते हैं।
- शिलांग
शिलांग समुद्र तल से 1496 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह असम को काट कर बनाया गया है। शिलांग का मनोरम प्राकृतिक परिवेश पूरे वर्ष अवकाश बिताने के लिए उत्तम है। गाड़ी से जाने योग्य पर्वतीय स्थानों में से एक माना जाने वाला शिलांग ऐसा पर्यटन स्थल जहाँ इतना अधिक पैदल नहीं चलना होता। शिलांग की उपयुक्त सुविधाएं, मनोरम दृश्य, खुशहाल लोग, बादल और लंबे पाइन के पेड़, पर्वत, घाटियाँ, दलदल और एक शानदार गोल्फ कोर्स शिलांग को एक अच्छा गंतव्य बनाते हैं। खांसी, जैंतिया और गारो पहाडियों के लोग एक रंग बिरंगी जीवन शैली जीते हैं और साथ ही वे अपनी परंपराएं भी निभाते हैं। शिलांग मेघालय में अन्य स्थानों पर जाने के लिए एक आधार के तौर पर कार्य कर सकता है।

Elephant Falls, Shillong
वन्य जीवन अभयारण्य
- नोकरेक नेशनल पार्क
पश्चिमी गारो पहाड़ी ज़िले में स्थित नोकरेक नेशनल पार्क और बायोस्फीयर रिजर्व तूरा से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर है। नोक रेक गारों पहाडियों को सबसे ऊंचा बिन्दु है और यहाँ हाथी तथा हू लॉक गिब्बन सहित अनेक प्रकार की वन्य प्रजातियाँ पाई जाती हैं। नोक रेक नेशनल पार्क की स्थापना नोकरेक में तथा इसके आस पास वाले स्थानों में जंगली हाथियों के समूह, पक्षियों की दुर्लभ किस्में तथा दुर्लभ ऑर्किड के संरक्षण के लिए की गई थी। इस पार्क में सिट्रस इंडिका की अत्यंत दुर्लभ प्रजाति पाई जाती है जिसका नाम है मेमांग नारंग (भावनाओं का संतरा)। नोकरेक को जंगली मनुष्य का घर माना जाता है और नोकरेक के गांव के आस पास इन्हें देखे जाने के मामले बताए गए हैं।
- बालपकराम नेशनल पार्क
यह राष्ट्रीय वन्य जीवन पार्क तूरा से लगभग 167 किलोमीटर की दूरी पर है। यह दुनिया के सबसे अधिक दुर्लभ लाल पांडा का घर माना जाता है। इसका सामान्य रूप से नाम लेसर पांडा है। बालपकाराम का अर्थ है लगातार चलती हवाओं का घर जो बाघ, हाथी, बायसन, काले भालू, चीते, सांभर, हिरण सहित अनेक प्रकार के वन्य जंतुओं के साथ लगभग 220 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह मेघालय के पश्चिमी गारों पहाड़ी ज़िले में स्थित बाघ मारा से जुड़ा हुआ है। इस पार्क के पश्चिमी हिस्से के साथ सिमसेंग नदी के किनारे सिजू पक्षी वन अभयारण्य है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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