केरल पर्यटन
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- पर्यटन गतिविधियों के लिए केरल में स्थायी और सफल वृद्धि के लिए अपेक्षित वातावरण पहले से विद्यमान है। पर्यटन क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण तत्व है - प्राकृतिक सौंदर्य, सामान्य जलवायु, स्वच्छ पर्यावरण, मैत्री भाव वाले शांतिप्रिय लोग हैं जो सांस्कृतिक विविधता के प्रति बेहद सहिष्णु हैं और अनूठे पर्यावरण को निर्मित करने की क्षमता रखते हैं। केरल देश में सर्वप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है। समुद्र तट, गर्म मौसम, समुद्री झीलें, पर्वतीय स्थल, जल प्रपात, वन्य जीवन, आयुर्वेद, वर्ष भर त्योहार तथा विविध पेड़ पौधे केरल को पर्यटकों के लिए एक अनूठा गंतव्य स्थल बनाते हैं।
- पर्यटन विभाग, केरल पर्यटन विकास निगम, ज़िला पर्यटन संवर्द्धन परिषद, बेकल पर्यटन विकास निगम, स्थानीय प्रशासनों तथा निजी क्षेत्र की पर्यटन में महत्वपूर्ण भूमिका है। वर्तमान में जो मुख्य क्षेत्र विकास के लिए देखे जा रहे है: वे हैं ग्रामीण पर्यटन, माइस पर्यटन (एम.आई.सी.ई - मीटिंग, इंसेंटिव, कन्वेंशस तथा इवेंट्स/एक्सीबीशन ट्रेड शोज़) यानी - बैठक, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियां/व्यापार प्रदर्शनियां, सांस्कृतिक पर्यटन, विरासत पर्यटन, पर्यावरण पर्यटन तथा चिकित्सा पर्यटन।
- थेणमाला पर्यटन सुविधा केन्द्र के साथ पर्यटन परियोजना है, जिसमें शॉप कोर्ट गार्डन, प्लाजा, पिकनिक क्षेत्र, चट्टान पर चढाई, नदी पार का मुक्त प्रेक्षागृह, रेस्तरां, झूलते पुल, कमल के तालाब, संगीतमय नृत्य, फव्वारे, शिल्पमूर्ति वाले बाग, हिरण पुनर्वास केंद्र, नौकायन, बैटरी चालित वाहन आदि हैं। वन विभाग के समन्वय से पकरूवी में ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। वर्ष 2004-05 में, 104622 पर्यटक थेणमाला पर्यावरण (इको) पर्यटन स्थल देखने गए और 3563820 लाख रुपए की राजस्व प्राप्ति हुई।
- राज्य में 2004 में विदेशी पर्यटकों से विदेशी मुद्रा में 1266.77 करोड़ रुपए की आय हुई और घरेलू पर्यटकों से 3881.92 करोड़ रुपए की आय हुई। पर्यटन से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कुल आय लगभग 6829 करोड़ रुपए हुई। पर्यटन में 8 लाख लोगों को रोज़गार मिला हुआ है और प्रतिवर्ष 500 करोड़ रुपए का निवेश किया जाता है।
- कोवलम
यह प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल है। कोवलम में तीन अर्द्धचंद्राकार समुद्र तट हैं। इन तीनों समुद्र तटों में से सर्वाधिक प्रसिद्ध किनारा 'लाइटहाउस' है। इस समुद्री तट पर पहुंचना भी सरल है। यह केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से सोलह किलोमीटर की दूरी पर है।
- वारकला
यहाँ का शांत समुद्री तट , रेत का विस्तार, स्वच्छ झरनों तथा चट्टानी पहाडि़याँ हैं। श्री जनार्दन स्वामी मंदिर और नेचर केयर सेंटर भी आकर्षण का केंद्र है। यह तिरुवनंतपुरम से 40 कि.मी. की दूरी पर है और तिरुवनंतपुरम से यहाँ के लिए नियमित बस सेवा हैं। यहाँ के लिए रेल सुविधा भी उपलब्ध है।
- कप्पड़
इसी स्थान पर 1498 ई. में वास्को द गामा आया था। ऐतिहासिक दंत कथाएं और रीति-रिवाज से भरा है यह स्थान। कप्पड़ में आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र सुविधाओं की भी प्रसिद्धी है। कप्पड़ कोझीकोड से 14 कि.मी. की दूरी है।
- बेकल
केरल का एक अन्य समुद्री तट है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है, जहां बेकल का क़िला लंबे सुंदर नारियल के पेड़ों से घिरे दो द्वीपों के बीच में है। केरल में यह सबसे बड़ा व संरक्षित क़िला है। यह क़िला विभिन्न ताकतों जैसे विजयनगर साम्राज्य, टीपू सुल्तान तथा अंग्रेज़ी हुकूमत की कहानी कहता है। यह कोझीकोड से 160 किलोमीटर दूर है।
पर्वतीय स्थल
अपने समुद्री तटों के अतिरिक्त केरल पर्वतीय पर्यटक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। इन पर्वतीय स्थलों का अधिकांश आकर्षण पूर्वी घाटों के ऊपरी क्षेत्रों में बसा हुआ है। 1520 मीटर औसत ऊंचाई वाले इन घाटों में उष्ण कटिबंधीय वन, वनस्पति तथा जीव-जंतुओं से युक्त हैं। चाय, कॉफी, रबर तथा खुशबूदार इलायची के बागान हैं।
- मुन्नार
केरल का मुख्य पर्वतीय स्थल मुन्नार है। समुद्री तल से लगभग 1600 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। दक्षिण भारत का यह स्थान अंग्रेज़ी सरकार का ग्रीष्मकालीन आवास होता था। चाय बागान, दर्शनीय शहर, घुमावदार रास्ते तथा आवास-गृह से यह लोकप्रिय पर्वतीय स्थल है। वनों की वनस्पति तथा हरे घास के मैदानों में यहाँ 'नीलकुरंजी' नामक फूल पाया जाता है। यह फूल बारह वर्षों में केवल एक बार पूरी पहाड़ी को नीला कर देता है। मुन्नार में दक्षिणी भारत की सबसे ऊंची चोटी अनाइमुड़ी भी है जिसकी ऊंचाई लगभग 2695 मीटर है। ट्रेकिंग के रास्ते में 'इराविकुलम नेशनल पार्क' है। यह अभयारण्य नीलगिरी की जाति को बचाने के लिए स्थापित किया गया था। मुन्नार का अन्य आकर्षण 'मेडूपट्टी' बांध है। विशाल पानी का भंडार चारों तरफ की ख़ूबसूरत पहाडि़यों से घिरा हुआ है। यहाँ नौका विहार और स्पीड मोटर बोट की सुविधा है। मुन्नार कोच्चि से लगभग 130 कि.मी. की दूरी पर है।
- पीरमेड
केरल का यह सुंदर पर्वतीय स्थल समुद्री तल से 915 मीटर की ऊंचाई पर है। पेरियार वन्यप्राणी उद्यान के रास्ते में पड़ता है। किसी समय में ट्रावनकोर के महाराजाओं का ग्रीष्मकालीन आवास गृह हुआ करता था। सड़क किनारे यहाँ चाय, कॉफी, इलायची, रबर व यूक्लिप्टस के बागान और साथ में प्राकृतिक घास के मैदान व घने जंगल मिलते हैं। यह स्थान कोट्टयम से 75 कि.मी. दूर है।
- विथीरी
यह पर्वतीय स्थल केरल के उत्तर-पूर्वी भाग में समुद्र तल से 1300 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। विथीरी कॉफी, चाय, इलायची, काली मिर्च व रबर के लिए प्रसिद्ध है। कोहरे से ढकी पहाडि़यां तथा विस्मयकारी दृश्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। कोझीकोड से 100 कि.मी. दूर है।
- पोनमुडी
समुद्र स्तर से 915 मीटर ऊंचाई पर स्थित पोनमुडी एक संकीर्ण, घुमावदार रास्तों वाला पर्वतीय स्थल है। सुंदर पहाड़ी फूलों, विलक्षण तितलियों, छोटी-छोटी नदियों तथा झरनों के लिए प्रसिद्ध यह स्थान ट्रेकिंग के लिए भी प्रसिद्ध है। यह स्थल तिरुवनंतपुरम से 61 कि.मी. की दूरी पर है।
- पेरियार
यह वन्यप्राणी उद्यान भारत के बड़े वन्य प्राणी उद्यानों में से एक है। पेरियार वन्यप्राणी उद्यान बाघ संरक्षण के लिए है। 777 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य की सुंदरता यहाँ के घने जंगल और 20 वर्ग किलोमीटर में फैली झील है। नौका विहार द्वारा इस वन्यप्राणी उद्यान को देख सकते हैं। हाथियों के झुंड यहाँ का आकर्षण हैं जो झील के पानी में उतर आते हैं। बाघ, सांभर, जंगली भैंसा, धब्बेदार हिरन, चीता, मालाबार गिलहरियां तथा धारीदार गर्दन वाला नेवला आदि भी यहाँ दिख्तें हैं। एक महत्त्वपूर्ण मसाला व्यापार केंद्र, कुमली भी पास में है। यह स्थान कोच्चि से 190 किलोमीटर की दूरी पर है।
- जलक्रीड़ा कोलाम
मालाबार तट का प्राचीनतम बंदरगाह कोलाम कभी अंतर्राष्ट्रीय मसाला व्यापार केंद्र था। तिरुअनंतपुरम के उत्तर में इस ऐतिहासिक शहर का 30 प्रतिशत हिस्सा अस्थमुडी झील से घिरा है। कोलाम तथा अलाप्पुजा के बीच यह 8 घंटे का सफर सबसे लंबा तथा केरल के जलप्रपातों का मोहक अनुभव है। कोलाम तिरुअनंतपुरम से लगभग 72 किलोमीटर दूर है।
- अलाप्पुजा
नौका दौड़, हाउसबोट, समुद्री किनारों, समुद्री उत्पाद तथा जूट उद्योगों के लिए प्रसिद्ध अलाप्पुजा को 'पूरब का वेनिस' भी कहा जाता है। केरल में कट्टानड़ ही शायद विश्व का ऐसा स्थान है जहां समुद्र तल से नीचे खेती की जाती है।
- कुमाराकम
कोट्टयम से 12 किलोमीटर दूर यह तंबानड़ स्थल झील के किनारे स्थित है। इसे कट्टानड़ के जलप्रपातों का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। 'कुमाराकम पक्षी उद्यान' विश्व के प्रवासी पक्षियों का मनपसंद बसेरा है।
- कोच्चि
केरल की व्यावसायिक तथा औद्योगिक राजधानी कोच्चि विश्व के बेहतरीन प्राकृतिक बंदरगाहों में से एक है। इस शहर में राष्ट्रमंडल का प्राचीनतम यहूदी प्रार्थना भवन तथा अनेक प्राचीन चर्च व मंदिर भी हैं। इस यहूदी प्रार्थना भवन के आस-पास जीउ टाऊन है जो मसाला व्यापार तथा कलाकृतियों की दुकानों का केंद्र है। इस सुंदर टापुओं वाले शहर में अरब, चीन, हालैंड, ब्रिटेन तथा पुर्तग़ाल के अनेक समुद्री यात्रियों का प्रभाव देखने को मिलता है। कोच्चि में घूमने का पूरा आनंद साधारण नौकाओं में बैठकर ही लिया जा सकता है। कोच्चि भारत के सभी शहरों से वायु, समुद्र तथा रेलवे लाइनों से पूरी तरह जुड़ा हुआ है।
- कायल
कायल केरल के ज़िला तिन्नेवली में ताम्रपर्णी नदी के तट पर स्थित है। कायल जो पाण्ड्य राज्य का मुख्य द्वार था
- आदिचनल्लूर
- आदिचनल्लूर केरल के तिन्नेवली ज़िले में स्थित है।
- आदिचनल्लूर से प्राप्त शव-कलश महापाषाण काल से कुछ पहले का माना जाता है।
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